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जानिए आईवीएफ से जन्मे बच्चे कितने होते हैं हेल्दी?
आज के समय में विज्ञान ने काफी तरक्की कर ली है और यही कारण है कि विज्ञान के चमत्कारों ने असंभव को भी संभव कर दिखाया है। इन्हीं चमत्कारों में से एक है निःसंतान कपल्स को माता-पिता बनने की खुशी देना। वर्तमान में, आईवीएफ या इन विट्रो फर्टिलाइजेशन के जरिए बहुत से कपल्स के घर में किलकारियां गूंजी है। हालांकि, अधिकतर माता-पिता के दिमाग में इसके विश्वसनीयता के बारे में सवाल उठते हैं। बहुत से लोगों का मानना है कि इस सहायक प्रजनन तकनीक के तहत पैदा हुए ये बच्चे उतने स्वस्थ नहीं होते हैं, जितना कि प्राकृतिक रूप से जन्मे बच्चे। हो सकता है कि आपके मन में भी आईवीएफ तकनीक के जरिए पैदा हुए बच्चों से शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य को लेकर कई तरह के सवाल या भ्रम हों। तो चलिए आज इस लेख में हम ऐसे ही कुछ सवालों के जवाब खोजने की कोशिश कर रहे हैं-
आईवीएफ और प्राकृतिक गर्भाधान
आईवीएफ से जन्मे बच्चों की सेहत के बारे में किसी निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले आपको आईवीएफ और प्राकृतिक गर्भाधान की प्रक्रिया के बीच का अंतर समझना होगा। दोनों ही प्रक्रिया में एक बात जो आम है, वह यह है कि दोनों प्रक्रियाओं में शुक्राणु द्वारा अंडों का निषेचन होता है। प्राकृतिक प्रक्रिया में संभोग के बाद निषेचन फैलोपियन ट्यूब में होता है। जबकि आईवीएफ में निषेचन प्रक्रिया के लिए एक विशेष प्रयोगशाला का इस्तेमाल किया जाता है। प्राकृतिक गर्भाधान में, गठित भ्रूण गर्भाशय की यात्रा करता है और गर्भावस्था के लिए स्वाभाविक रूप से प्रत्यारोपित किया जाता है। जबकि दूसरी ओर, लैब निर्मित भ्रूण को कृत्रिम रूप से भ्रूण में प्रत्यारोपित किया जाता है। इस तरह अगर देखा जाए तो आईवीएफ प्रक्रिया में अंडों को लैब में शुक्राणु की मदद से निषेचित किया जाता है और उसके बाद महिला के गर्भ में प्रत्यारोपित किया जाता है। इसके बाद बच्चे के भ्रूण के विकसित होने से जन्म लेने की प्रक्रिया प्राकृतिक प्रक्रिया के समान ही होती है।
कितना होता है हेल्थ रिस्क
वैसे तो आईवीएफ तकनीक से जन्मे बच्चे और प्राकृतिक रूप से जन्मे बच्चे एक जैसे ही नजर आते हैं, इसलिए उनमें अंतर कर पाना काफी मुश्किल होता है। लेकिन फिर भी आईवीएफ बेबी हाई रिस्क कैटेगिरी में आते हैं। ऐसे बच्चों का जन्म अक्सर समय से पूर्व ही हो जाता है, इसलिए जन्म के समय उनका वजन कम हो सकता है। इसके अलावा किसी-किसी मामले में वजन बहुत कम होने की स्थिति में नवजात शिशु की मृत्यु होने की संभावना भी रहती है। आईवीएफ बच्चों में जन्मजात जन्म दोष और न्यूरोलॉजिकल विकार स्वाभाविक रूप से गर्भित बच्चों की तुलना में अधिक होता हैं। आईवीएफ या किसी अन्य असिस्टेड रिप्रोडक्टेड तकनीक के माध्यम से शिशुओं ंमें आत्मकेंद्रित या किसी अन्य सीखने की विकलांगता विकसित हो सकती है।
क्या कहती है रिसर्च
यह सच है कि आईवीएफ तकनीक से जन्मे बच्चों में हेल्थ रिस्क की संभावना अधिक होती है। हालांकि ऐसा सामान्य बच्चों के साथ भी हो सकता है। रिसर्च से पता चलता है कि आईवीएफ बच्चों में हेल्थ के रिस्क के पीछे का कारण माता-पिता की प्रजनन क्षमता या उम्र हो सकती है। इसके अलावा, विशेषज्ञ गर्भधारण होने की संभावना को बढ़ाने के लिए एक से अधिक भ्रूण स्थानांतरित करते हैं। जिसके कारण एकल जन्मों की तुलना में मल्टीपल बर्थ होने की आशंका रहती है। जिससे आईवीएफ बच्चों में हेल्थ रिस्क भी अधिक होता है।