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कहीं इन लाइफस्टाइल प्रॉब्लम्स के चलते तो कंसीव करने में नहीं हो रही परेशानी

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एक वक्त आता है, जब एक कपल अपने रिश्ते को नेक्स्ट लेवल पर ले जाना चाहते हैं और माता-पिता बनने का सुख भोगना चाहते हैं। लेकिन कई बार उनकी ख्वाहिशें पूरी नहीं होती हैं। आमतौर पर, यह माना जाता है कि देर से शादी करने या फिर फैमिली प्लानिंग देर से करने के कारण जोड़ों को पैरेंट्स बनने में दिक्कत आती है। लेकिन सिर्फ यही एक वजह नहीं है, तो बांझपन का कारण बनता है। आपको शायद पता ना हो, लेकिन आपका लाइफस्टाइल व उससे जुड़े मुद्दे भी आपके कंसीव करने में समस्या खड़ी कर सकते हैं। एक अनुमान के अनुसार, 48 मिलियन जोड़े और 186 मिलियन व्यक्ति विश्व स्तर पर बांझपन से निपटते हैं। एक अध्ययन के अनुसार, भारत में सक्रिय रूप से गर्भ धारण करने का प्रयास करने वाले लगभग 27.5 मिलियन जोड़े बांझपन से पीड़ित हैं। तो चलिए आज इस लेख में हम आपको उन लाइफस्टाइल इश्यूज के बारे में बता रहे हैं, जो कंसीव में समस्या खड़ी कर सकते हैं-

खराब लाइफस्टाइल

खराब लाइफस्टाइल

कई ऐसे कारक हैं, जो खराब लाइफस्टाइल की वजहें बनते हैं। देर से काम करने से लेकर, नाइट शिफ्ट के काम करना, अनियमित सोने का समय, नींद के पैटर्न में गड़बड़ी, साथ ही तनाव और चिंता हमारी बायोलॉजिकल क्लॉक की रिदम को प्रभावित करते हैं। इसके अलावा, गतिहीन जीवन शैली और नियमित व्यायाम की कमी मोटापा, हार्मोनल विकार और अनियमित पीरियड्स का कारण बनता है। मोटापा महिला के कारण शुक्राणुओं को नुकसान पहुंचाता है। वहीं, काम पर लंबे समय तक बैठने से उत्पन्न गर्मी पुरूष के शुक्राणुओं को प्रभावित करती है। इसके अलावा, लंबे समय तक टाइट अंडरगारमेंट्स, जींस पहनने से निश्चित रूप से हानिकारक प्रभाव पड़ता है।

खानपान पर सही ध्यान देना

खानपान पर सही ध्यान देना

फ्रोजन, इंस्टेंट और पैकेज्ड फूड, रिफाइंड शुगर, कम फाइबर युक्त आहार, फल और सब्जियां कम खाना हानिकारक हो सकता है। आपको शायद पता ना हो, लेकिन शुक्राणु की गुणवत्ता सीधे आहार संबंधी आदतों से प्रभावित होती है। महिलाओं में, खराब फूड हैबिट्स ओव्यूलेशन डिसफंक्शन और पीरियड्स में देरी हो सकती है, जिससे बांझपन हो सकता है। अनियमित भोजन समय भी बीएमआई को प्रभावित करने में एक भूमिका निभाता है।

पर्याप्त ज्ञान ना होना

पर्याप्त ज्ञान ना होना

किशोरावस्था के दौरान यौन और प्रजनन स्वास्थ्य में शिक्षा की कमी से यौन संचारित रोग हो सकते हैं, जिससे ट्यूबल समस्याओं के कारण अपरिवर्तनीय बांझपन हो सकता है। इसके अलावा, फर्टाइल विंडो की पर्याप्त जानकारी ना होने से भी कंसीव करने में समस्या होती है।

करियर को प्राथमिकता देना

करियर को प्राथमिकता देना

कई बार ऐसा भी देखा जाता है कि कपल्स शादी या बच्चे पैदा करने से इसलिए भी कतराते हैं, क्योंकि पहले वह खुद को एक फाइनेंशियल स्टेबिलिटी देना चाहते हैं। ऐसे में जब वह देर से शादी करते हैं या लंबे वक्त तक फैमिली प्लानिंग नहीं करते हैं तो इससे भी उनकी फर्टिलिटी पर असर पड़ता है। भारतीय महिलाओं की रजोनिवृत्ति की औसत आयु 47 वर्ष है लेकिन यूरोपीय महिलाओं के लिए यह 51 वर्ष है। भारतीय महिलाओं का प्रजनन जीवन जल्दी शुरू होता है और जल्दी खत्म हो जाता है। ऐसे में अगर वह बहुत अधिक विलम्ब करती हैं तो इससे उन्हें कंसीव करने में कई तरह की समस्या होती हैं।

पर्यावरण प्रदूषण का एक्सपोजर

पर्यावरण प्रदूषण का एक्सपोजर

पर्यावरण प्रदूषण भी महिलाओं की फर्टिलिटी पर गहरा प्रभाव डालता है। इससे कई महिलाओं में पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम हो गया है और शुक्राणुओं की मात्रा और गुणवत्ता भी कम हो गई है। प्लास्टिक के अत्यधिक उपयोग से हमारे शरीर के विभिन्न अंगों को नुकसान होता है। लड़कियों में 10 साल से पहले शुरुआती माहवारी या असामयिक यौवन को वायु प्रदूषण और खाद्य पदार्थों में मिलावट के कारण भी होता है।

धूम्रपान और शराब पीना

धूम्रपान और शराब पीना

धूम्रपान और शराब का सेवन करने के साथ-साथ गैजेट्स का अत्यधिक इस्तेमाल शुक्राणुओं की संख्या को काफी कम कर सकते हैं। यह शुक्राणु के डीएनए को नुकसान पहुंचा सकते हैं। धूम्रपान करने वाले महिला को अपने ओवेरियन रिजर्व में तेजी से गिरावट का अनुभव होता है। जिससे एएमएच का स्तर गिर जाता है और समय से पहले रजोनिवृत्ति हो सकती है।

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English summary

Lifestyle Problems That Can Be Cause Of Delay Conceiving in hindi

If you are facing the problem of infertility or delay conceiving, it can be because of some lifestyle issues.
Story first published: Thursday, September 8, 2022, 12:10 [IST]
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