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समय रहते नहीं दिया ध्यान तो बच्चे का जीवन बीतेगा अंधकार में
इस समय बच्चे भी इलेक्ट्रॉनिक गैजेट और मोबाइल फोन का बहुत इस्तेमाल करने लगे हैं। कई बच्चे और किशोर घंटों तक मोबाइल पर अपनी आंखें गड़ाए बैठे रहते हैं। हालांकि, कभी-कभी माता-पिता अपने काम निपटाने के लिए बच्चों को मोबाइल दे देते हैं लेकिन उन्हें इसकी लत से बचाना जरूरी है।
आपको बता दें कि लंबे समय तक मोबाइल इस्तेमाल करने की वजह से आठ साल से कम उम्र में ही बच्चों की आंखें कमजोर हो रही हैं।
बढ़ती उम्र में आंखों में धुंधलेपन की समस्या सामान्य बात है लेकिन बच्चों में इस तरह की परेशानी आना खतरनाक है। इसका सबसे अच्छा तरीका है बच्चों को डिजिटल गैजेट से दूर रखा जाए।
डॉक्टर की मानें तो बच्चों की आंखें कमजोर होने से बचने के लिए माता-पिता को इसके सामान्य लक्षणों के बारे में जानकारी होनी चाहिए।
आंखें कमजोर होने के लक्षण:
आंखों से पानी आना
आंखों में धुंधलापन
बच्चों को पढ़ने में दिक्कत आना
आंखों में लगातार लालपन रहना
लोगों के पास जानकारी की है कमी
इन लक्षणों के साथ साथ सिरदर्द भी बना रहता है। इस स्थिति में नेत्र विशेषज्ञ से सलाह लेनी बहुत जरूरी है। ये लक्षण किसी भी उम्र में सामने आ सकते हैं लेकिन वयस्कों में ये उनके प्रोफेशन पर निर्भर करता है।
भारत में संतुलित पोषण एवं आहार को इतना ज्यादा महत्व नहीं दिया जाता है। जागरूकता और बचाव की कमी के कारण भारत में युवा तक ग्लूकोमा और मोतियाबिंद का शिकार हो रहे हैं। आंखों को कमजोर होने से बचाने के लिए सबसे पहले इस बारे में जागरूक होना जरूरी है।
कुछ भी खाकर सिर्फ पेट ना भरें
आंखों के लिए संतुलित आहार में विटामिन (ए, डी, ई, के, बी12) से प्रचुर चीजों को शामिल करना चाहिए। आहार में निम्न फल और सब्जियों को भी शामिल किया जा सकता है:
- शकरकंद: 100 ग्राम शकरकंद में 283% विटामिन, 4% विटामिन सी और 10% विटामिन बी6 होता है। ये सोडियम (2% या 1.8 ग्रा) से प्रचुर होता है एवं इसमें पोटाशियम (337mg or 10%) भी होता है कि जो कि आंखों पर पड़ रहे दबाव को कम करता है।
- हरी पत्तेदार सब्जियों में विटामिन ए भी प्रचुर मात्रा में होता है। ये आंखों के लिए उत्तम रहता है।
- गाजर विटामिन एक का बेहतरीन स्रोत है।
- सूखे मेवे खासतौर पर अखरोट को दिन में किसी भी समय खा सकते हैं।
- मछली में ना सिर्फ प्रोटीन होता है बल्कि ये मेटाबोलिज्म में सुधार लाने में भी मदद करती है। इसमें विटामिन ए भी होता है।
- आम और पपीते जैसे फलों को भी अपने आहार में शामिल करना चाहिए।
आलस की वजह से नियमित चेकअप को ना टालें
नियमित नेत्र चिकित्सक से चेकअप करवाते रहें। संतुलित और समय पर आहार लें। साथ ही रक्तप्रवाह के लिए व्यायाम जरूर करें। आधुनिक जीवनशैली से दूर रहना संभव तो नहीं है लेकिन बचाव का प्रयास जरूर करें। युवाओं में आंखों की कमजोरी की समस्या से बचने के लिए कम उम्र में ही जरूरी सावधानियां बरतना शुरु कर देना चाहिए।