Just In
- 9 min ago Pickle in Diabetes : डायबिटीज में आम का अचार खा सकते है या नहीं? इस सवाल का जवाब जानें
- 39 min ago गर्मी में बच्चों से लेकर बूढ़ों तक हर किसी को पसंद आएगी मैंगो स्टफ्ड मलाई कुल्फी, यह रही रेसिपी
- 13 hrs ago Blackheads Removal Tips: नहीं निकल रहे हैं ठुड्डी पर धंसे हुए ब्लैकहेड्स? 5 मिनट में ये नुस्खें करेंगे काम
- 14 hrs ago आम पन्ना से 10 गुना ज्यादा ठंडक देता है इमली का अमलाना, लू से बचने का है देसी फार्मूला
Don't Miss
- Finance PMS vs Mutual Funds: जानें किसमें मिलेगा बेहतर रिटर्न और जोखिम भी होगा कम
- News Lok Sabha Election 2024: उत्तर प्रदेश में पहले चरण में 60.59 प्रतिशत पड़े वोट, इस सीट पर सर्वाधिक पोलिंग
- Automobiles इलेक्ट्रिक वाहन मालिकों को Google की सौगात, अब EV चार्ज करना होगा और आसान, जानें क्या है नया फीचर?
- Technology Samsung Galaxy F15 5G का भारत में नया वेरिएंट लॉन्च, जानिए कीमत, ऑफर और उपलब्धता
- Education UP Board Result 2024 Statistics: जानिए पिछले 10 वर्षों में कैसे रहा यूपी बोर्ड कक्षा 12वीं रिजल्ट ग्राफ
- Movies Bollywood Hindi News Live: BMCM की हुई हाफ सेंचुरी, गोविंदा की भांजी की शादी की रस्में शुरू
- Travel हनुमान जयंती : वो जगहें जहां मिलते हैं हनुमान जी के पैरों के निशान
- Sports Japan Open 2023: सेमीफाइनल में पहुंचे लक्ष्य सेन, एचएस प्रणय की विक्टर एक्सेलसन से भिड़ंत आज
प्रेगनेंसी के दौरान तनाव क्या बच्चे के लिंग का करता है निर्धारण?
हाल ही में किये गए एक अध्ययन से पता चला है कि मानसिक तनाव ना केवल भ्रूण और बच्चे के विकास को प्रभावित करता है बल्कि जन्म के परिणामों पर भी प्रभाव डालता है।
यह अध्ययन ऑनलाइन जनरल - पीएनएएस, द प्रोसीडिंग्स ऑफ़ द नेशनल एकेडमी ऑफ़ साइंसेज में प्रकाशित हुआ है।
कैथरीन मोंक पीएचडी, कोलंबिया विश्वविद्यालय वैगेलोस कॉलेज ऑफ फिजीशियन और सर्जन में चिकित्सा मनोविज्ञान के प्रोफ़ेसर और न्यूयॉर्क - प्रेस्बिटेरियन/ कोलंबिया विश्वविद्यालय इरविंग मेडिकल सेंटर में प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग में महिला मानसिक स्वास्थ्य के निदेशक हैं। उन्होंने बताया कि "गर्भ भी बच्चे के लिए उतना ही प्रेरक होता है जितना कि वह घर जिसमें जन्म के बाद बच्चा रहता है।"
तनाव कई प्रकार से दिखाई दे सकता है, दोनों तरीके से, चाहे वह व्यक्तिपरक अनुभव हो और शारीरिक और जीवन शैली के माप में, मोंक तथा उनके सहयोगियों ने 18 से 45 आयु की 187 स्वस्थ रूप से गर्भवती महिलाओं की 27 मानकों पर जांच की। ये मानक मानसिक, शारीरिक और जीवनशैली से संबंधित तनाव थे जिन्हें प्रश्नावली, डायरी और उनके दैनिक शारीरिक आंकलन से एकत्र किया गया था। अध्ययन से पता चलता है कि शारीरिक और मनोवैज्ञानिक तनाव का सामना करने वाली गर्भवती महिलाओं को लड़का होने की संभावना बहुत कम होती है।
9/11 आतंकवादी हमले के बाद पैटर्न की हुई जांच
मोंक ने बताया कि "सामाजिक उथल पुथल जैसे न्यूयॉर्क शहर में हुए 9/11 आतंकवादी हमले के बाद ऐसा पैटर्न देखने में आया है कि लड़कों की जन्म दर घट गयी है।"
मोंक ने यह भी बताया कि "यह तनाव महिलाओं में लंबे समय तक रहने की संभावना है, अध्ययनों से पता चला है कि पुरुष प्रतिकूल प्रसवपूर्व वातावरण के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं। पूर्व में गर्भपात हो जाने पर तथा उस गर्भपात में लड़के की हानि होने के बाद, अकसर जब उन्हें पता भी नहीं होता कि वे गर्भवती हैं, बहुत अधिक तनाव से गुजरने वाली महिलाओं द्वारा लड़के को जन्म देने की संभावना बहुत कम होती है।"
इसके अलावा तनाव रहित माताओं की तुलना में शारीरिक रूप से तनावग्रस्त माताएं जिनका ब्लडप्रेशर और कैलोरी इनटेक अधिक होता है उनके द्वारा जन्म के समय से पहले बच्चे को जन्म देने की संभावना अधिक होती है।
तनाव रहित माताओं की तुलना में शारीरिक रूप से तनावग्रस्त माताओं में भ्रूण की हृदयगति कम हो जाती है जो केंद्रीय तंत्रिका तंत्र के धीमे विकास का संकेतक है। मानसिक रूप से तनावग्रस्त माताओं में जन्म संबंधित समस्याएं आने की संभावना अधिक होती है।
दोस्तों और परिवार के समर्थन का सकारात्मक प्रभाव
शोधकर्ताओं ने यह भी पता लगाया कि तीन समूहों में सबसे अलग जो था वह था दोस्तों और परिवार से मिलने वाला सामाजिक सहयोग। उदाहरण के लिए जिस मां को सामाजिक सहयोग जितना अधिक मिलता है उसे लड़का होने की संभावना उतनी अधिक होती है।
जब सामाजिक सहयोग को समूहों में सांख्यकीय रूप से समान रूप से बांटा गया तो समय से पूर्व जन्म पर तनाव के प्रभाव कम हो गए।
मोंक ने बताया कि "जन्मपूर्व अवसाद और चिंता की स्क्रीनिंग जन्मपूर्व किये जाने वाला एक निश्चित अभ्यास बनता जा रहा है। परन्तु हमारा अध्ययन छोटा था, परिणाम बताते हैं कि सामाजिक समर्थन बढ़ाना संभवत: रोगविषयक हस्तक्षेप के लिए एक प्रभावी लक्ष्य है।"
महिलाओं में अपनी नौकरी को लेकर तनाव
शोधकर्ताओं के अनुसार लगभग 30% गर्भवती महिलाओं को नौकरी की थकान या अवसाद के कारण तनाव होता है।
इस प्रकार के तनाव के कारण समय से पूर्व जन्म होने की संभावना बढ़ जाती है जिस कारण नवजात शिशु मृत्यु दर भी बढ़ती है या बच्चों में मानसिक और शारीरिक विकार जैसे ध्यान की कमी, अतिसक्रियता और बच्चों में चिंता आदि आने की संभावना होती है।