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महाराष्ट्रीयन शादी से पहले साकर पुडा से लेकर हळद चढवणे की खास रस्में जानें
भारत में महाराष्ट्रीयन शायद सबसे सरल और सबसे कम भव्य लेकिन रस्मों-रिवाजों से भरपूर विवाह समारोह करते हैं। मराठी शादी के रस्में और उनकी परंपराएं बहुत अनोखी होती हैं। इसकी शुरूआत लगनाच बेदी मैचमेकिंग से शुरू होती है। महाराष्ट्रीयन परिवारों के बीच विवाह गठबंधन किया जाता है। हालांकि, परिवार के पंडित, कुंडली मिलान के बाद ही विवाह गठबंधन को अंतिम रूप देते हैं। इसके बाद पंडित शादी की शुभ तिथि तय करते हैं। सबसे पहले, शादी से पहले की रस्मों पर एक नज़र डालते हैं जो दूल्हा और दुल्हन के शादी करने का फैसला करने के बाद शुरू होती हैं-
लगनाच बेदिओर
ये महाराष्ट्रीयन शादी में शादी की रस्मों का पहला चरण है। यहां, वर और वधू की कुंडली का मिलान किया जाता है। एक रस्म जो ज्यादातर अरेंज मैरिज के मामले में पॉपुलर है, जिसमें पेरेंट्स अपने बेटे या बेटी के लिए जीवनसाथी चुनते हैं। परिवार के पुजारी फिर शादी के लिए एक शुभ मुहूर्त और तारीख तय करते हैं।
साकर पुडा
ये सगाई की रस्म होती है। यहां, दूल्हे का परिवार दुल्हन को एक साड़ी और मिठाई गिफ्ट करता है। इसमें दूल्हे के परिवार और करीबी रिश्तेदार दुल्हन के घर पर आते हैं और सभी रस्में पूरी करते हैं। आज के वक्त में परिवार इस रस्म को काफी भव्य तरीके से मनाया जाता हैं। अनुष्ठान में दुल्हन अपने माता-पिता और 'करावली' दुल्हन की छोटी बहन के बीच बैठती है। दूल्हे की मां दुल्हन के माथे पर ‘हल्दी-कुमकुम' लगाती है। उसके बाद दूल्हे की मां "ओटी भरने" करती है और उसे ‘सकर पुड़ा' गिफ्ट में देती है, एक शंकु के आकार का पैकेट जो 'पेडा' से भरा होता है। बाद में दुल्हन की मां दूल्हे के साथ वही रस्म अदा करती है। इसके बाद, लड़का और लड़की एक दूसरे को अंगूठियां पहनाते हैं।
मुहूर्त
शादी की तारीख और समय तय होने के बाद, डी-डे से कुछ महीने पहले से ही तैयारियां शुरू हो जाती हैं। दुल्हन की मां 5 विवाहित महिलाओं को आमंत्रित करती हैं और वे हल्दी पाउडर बनाना शुरू करती हैं जिसका यूज वे बाद में हल्दी समारोह के लिए करती हैं और ओखल और मूसल में संडेगे का उपयोग बाद में शादी में किया जाता है। पापड़ बेलना मुहूर्त करने की एक और महत्वपूर्ण प्री-वेडिंग इवेंट है। इस सब के बाद, खरीदारी शुरू हो जाती है। जिसके बाद दुल्हन के लहंगे और साड़ियों, जूलरी, रसोई के बर्तनों, मिठाइयों, सूखे मेवों और दुल्हन के साजो-सामान को दिखाने के लिए "रुखवत" रखती हैं।
केलवन
यह रस्म शादी से कुछ दिन पहले की जाती है, जिसमें दूल्हा और दुल्हन दोनों परिवार अपने-अपने करीबी परिवार और रिश्तेदारों को अपने-अपने घर पर लंच के लिए इनवाइट करते हैं। अनुष्ठान आमतौर पर परिवारों के आशीर्वाद के लिए अपने "कुल देवता" या पारिवारिक देवता की पूजा करने के साथ शुरू होते हैं।
हलाद चाडवने
इसमें जहां दूल्हे के माथे, कंधों, हाथों और पैरों पर आम के पत्तों के साथ हल्दी का लेप लगाती हैं, यह लेप हल्दी पाउडर से बनाया जाता है जिसे उन्होंने "मुहूर्त करण" के दौरान तैयार किया था। बेशक, वे इस समारोह की शुरुआत करते हैं और बाद में दूसरों को भी हल्दी लगाने के लिए इनवाइट किया जाता है। उसी पेस्ट को दुल्हन के घर ले जाया जाता है और उसी रस्म के साथ उस पर लगाया जाता है। इस रस्म के बाद दूल्हा-दुल्हन दोनों को अपनी शादी तक बाहर जाने की इजाजत नहीं होती है।
ये महाराष्ट्रीयन शादी में होने वाली प्री-वेडिंग रस्में हैं। शादी समारोह के दौरान होने वाली रस्मों के लिए आगे के लेख में पढ़ने के लिए बने रहें।