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मक्का के 4 मिथकों की सच्चाई
(आईएएनएस)| बारिश के समय भुट्टा खाना किसे पसंद नहीं। लेकिन कुछ मिथक हैं, जो लोगों को इस सब्जी से दूर करते हैं। आइए, जानते हैं उन मिथकों की सच्चाई। वेबसाइट 'हफिंग्टन पोस्ट डॉट कॉम' की रिपोर्ट के मुताबिक, मीठे मक्के के बारे में कुछ मिथक और उसकी सच्चाई।
कुछ लोग मानते हैं कि मक्का स्वास्थ्यवर्धक नहीं है, मगर ऐसा नहीं है। कच्चा मक्का एक सब्जी है, जिसमें कई पोषक तत्व होते हैं। मक्का को स्वास्थ्यवर्धक नहीं मानने के पीछे का तर्क इसमें उच्च मंड (स्टार्च) का होना है। जानिये भुट्टा खाने का स्वास्थ्य लाभ
मिथक है कि आपका शरीर मक्का को नहीं पचा सकता। यह सच है कि मक्का में अघुलनशील फाइबर काफी ज्यादा मात्रा में होती है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि यह खराब है। शोध में यह बात सामने आई है कि अघुलनशील फाइबर हमारी आंत में अच्छे बैक्टीरिया की वृद्धि में सहायक है।
मिथक है कि मक्का पोषक तत्वों का बढ़िया स्रोत नहीं है, मगर मक्का में विटामिन बी और सी होता है। साथ ही इसमें मैग्निशियम और पोटाशियम भी होता है। पीले मक्के में काफी मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट होता है, जो आंखों के लिए फायदेमंद है।
कहा जाता है कि मक्का नहीं खाना चाहिए, क्योंकि इसमें शर्करा की मात्रा बेहद ज्यादा होती है। सवाल यह है कि अगर आप ज्यादा शर्करा होने के कारण केला खाना बंद नहीं कर सकते, तो फिर मक्का क्यों? सच्चाई यह है कि एक भुट्टे में करीब छह से आठ ग्राम तक शर्करा होता है, जबकि केला में लगभग 15 ग्राम।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।