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दमा के लिए अचूक जानू शीर्षासन योगा
दमा यानि अस्थमा को लाइलाज बीमारी माना जाता है; लेकिन अगर रोगी नियमित रूप से योगासनों को करें, तो उसे इस लाइलाज बीमारी से मुक्ति मिल सकती है।
दमा के रोगी जरुर करें ये 7 योग, होगा बड़ा फायदा
अस्थमा को दूर करने के लिए बोल्डस्काई के इस आर्टिकल में हम आपको जानू यानि घुटनों और सिरसा यानि सिर से मिलकर बने योगासन जानू शीर्षासन के बारे में बताएंगे। यह आसन काफी फायदेमंद है और सांस सम्बंधी रोगों में आराम दिलाता है।
इस आसन को करने के चरण:
1. सबसे पहले अपनी टांगों को आगे लाएं और अपने कूल्हों के नीचे कम्बल को मोड़कर रखें, अगर आवश्यकता हो तभी ऐसा करें। इसके बाद, गहरी सांस लें, दाएं घुटने को मोढ़ते हुए दाएं एड़ी को अंदर की लाएं और बाईं जांघ को भीतर की ओर से छुएं। इस दौरान, बाईं जांघ जमीन पर होनी चाहिए। अगर आपको शुरूआत में इसे करने में दिक्कत होती है तो एक कम्बल रखकर करना शुरू करें।
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2. जब आपका बायां हाथ, जमीन पर आराम कर रहा हो, तो दाएं हाथ को उठाकर दाईं ओर कमर पर रखें। अब सांस छोडें और अपने आपको नाभि को ओर झुकाएं। इस स्थिति में कुछ सेकेंड के लिए रूक जाएं।
3. अब अपने हाथों को खोल दें, अपने सामने ले आएं और दाएं पैर को धड़ के सामने तक उठाएं। अपने कूल्हों को न हिलाएं और न ही डगमगाएं।
4.
आगे
की
ओर
बढ़ते
हुए,
अपने
आपके
शरीर
को
सहज
रूप
से
स्ट्रेच
करें।
अपने
फेफड़ों
में
हवा
भरें
और
निकालें।
अपने
निचले
पेट
के
जांघों
से
टच
करें।
फिर
अपने
सिर
को
टच
करें।
इस
स्थिति
में
दो
मिनट
ठहरें।
इस आसन के लाभ:
- तनाव दूर होता है। दिमाग को शांति मिलती है।
- पेट में अतिरिक्त चर्बी दूर हो जाती है।
- कमर में होने वाला दर्द दूर हो जाता है।
- किडनी और लिवर का क्रियान्वन सुचारू रूप से होने लगता है।
- रक्तचाप सही रहता है।
- अस्थमा और साइनस में आराम मिलता है।
- पाचन क्रिया भी दुरूस्त रहती है।
सावधानी : गर्भवती महिलाओं को तीन माह के बाद इस योगासन को नहीं करना चाहिए।