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दुनिया में दूसरी बार हुआ एड्स का सफल इलाज, जाने कैसे हुआ ये चमत्कार
एड्स
एक
लाइलाज
बीमारी
है,
लेकिन
हाल
ही
में
लंदन
के
डॉक्टर्स
ने
दावा
किया
है
कि
उन्होंने
एचआईवी
वायरस
से
पीड़ित
एक
मरीज
का
सफल
स्टेम
ट्रांसप्लांट
(अस्थि
मज्जा
प्रत्यारोपण)
करके
उसे
दुनिया
का
दूसरा
एचआईवी
मुक्त
मरीज
बना
दिया
हैं।
इससे
पहले
12
साल
पहले
ये
चमत्कार
बर्लिन
के
चिकित्सकों
ने
कर
दिखाया
था,
2007
में
एचआईवी
से
पीड़ित
टिमोथी
रे
बाउन
नामक
शख्स
का
इसी
थेरेपी
के
जरिए
सफल
इलाज
किया
था।
जिसे
बाद
में
'बर्लिन
मरीज'
के
नाम
से
भी
जाना
गया।
इस
थेरेपी
के
बाद
बाउन
अब
एड्स
से
मुक्त
होकर
सफल
जीवन
बिता
रहे
हैं।
डॉक्टर्स की मानें तो, एचआईवी से ग्रसित मरीज के हर मामले में जरुरी नहीं है कि ये ट्रांसप्लांट काम करें। हालांकि कई एचआईवी संक्रमितों के इलाज के दौरान ये थैरेपी असफल हुई हैं।
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कैसे हुआ ये चमत्कार
लंदन के चिकित्सकों ने दावा किया है कि एचआईवी प्रतिरोधी क्षमता रखने वाले व्यक्ति का 'बोन मैरो' (अस्थि मज्जा ) संक्रमित व्यक्ति का ट्रांसप्लांट करने के बाद एड्स से पीड़ित व्यक्ति के प्रतिरक्षा प्रणाली में सुधार होने लगा, जिससे उसका स्वास्थय पहले की तुलना में बेहतर दिखने लगा। जांच के बाद डॉक्टरों ने उसे एड्स मुक्त घोषित कर दिया। हालांकि अभी इस मरीज की पहचान उजागर नहीं की गई हैं। फिलहाल इसे 'लंदन मरीज' का नाम दिया गया हैं।
18 माह रखा गया निगरानी पर
2003 में लंदन मरीज को एचआईवी होने की पुष्टि कें बाद 2016 में स्टेम ट्रांसप्लांटेशन के बाद लंदन मरीज को तीन हफ्ते तक एचआईवी की एंटीबॉयोटिक दवाईयों का सेवन नहीं करने दिया। आमतौर पर, एचआईवी रोगियो को वायरस का प्रभाव कम करने के लिए रोजाना एंटीबॉयोटिक दवाईयां खाने की आवश्यकता होती है। अगर एचआईवी मरीज दवाईयां रोक दे तो वायरस का दो से तीन सप्ताह के भीतर फिर से वापस आने का खतरा रहता हैं।
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लंदन मरीज को ट्रांसप्लांटेशन के बाद 18 माह बिना दवाईयों के निगरानी पर रखा गया और डॉक्टर्स को कोई भी वायरस का खतरा नहीं दिखा। इस मामले के सामने आने से एक बात तो साफ है कि आने वाले समय में वैज्ञानिक एड्स जैसी लाइलाज बीमारी का हल खोज निकालेंगे।