Just In
- 4 hrs ago Nitin Gadkari Health : पहले भी कई दफा बेहोश हो चुके हैं नितिन गडकरी, कहीं शुगर तो वजह नहीं?
- 5 hrs ago Cow Dreams Meaning: सपने में गाय देखना शुभ या अशुभ, जानें क्या कहता है स्वप्न शास्त्र
- 6 hrs ago Shukra Gochar 2024: भोग-विलास के कारक शुक्र देव का गोचर जल्द, इन राशियों के शुरू होंगे ऐशो-आराम के दिन
- 6 hrs ago पार्टनर से कितना भी हो प्यार, मगर कभी बर्दास्त न करें उनके ये काम, शादी नर्क बनते नहीं लगेगी देर
Don't Miss
- News अब घरेलू क्रिकेटरों पर बरसेगा पैसा, BCCI जल्द करेगा ऐलान
- Education MP Board Shivpuri Toppers List 2024: शिवपुरी जिले के 10वीं, 12वीं के टॉपर छात्रों की सूची
- Movies Seema Haider ने पाकिस्तानी प्रेमी का किया खुलासा, कहा- 'मैं उससे शादी करके घर बसाना चाहती थी, लेकिन...'
- Technology OPPO Find X7 Ultra Camera Deep-Dive: स्मार्टफोन पर फोटोग्राफी की सीमाओं को आगे बढ़ाने का नया उपाय
- Finance IndiGo Airline: आपके एंटरटेनमेंट पर नहीं लगेगा फुल स्टॉप, फ्लाइट में मिलेगी ये खास सर्विस
- Automobiles मिडिल क्लास की पसंदीदा है Hero की ये बाइक, कीमत सिर्फ 75 हजार रुपये, माइलेज भी है शानदार..
- Travel DGCA ने पेरेंट्स के साथ सफर कर रहे 12 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए बदला नियम, जाने यहां
- Sports Japan Open 2023: सेमीफाइनल में पहुंचे लक्ष्य सेन, एचएस प्रणय की विक्टर एक्सेलसन से भिड़ंत आज
रात में सोने के दौरान या पहले होने वाले दर्द को न ले हल्के में, जाने इसके कारण
रोज़मर्रा के कामों में सबसे ज्यादा दबाव पैरों पर ही पड़ता है। घंटों तक बस में खड़े रहना या पूरा दिन ऑफिस में बैठने पर पैरों पर दबाव पड़ता है। पूरा दिन तो जैसे-तैसे निकल जाता है लेकिन रात को सोते समय पैर जरूर अपना दर्द जाहिर कर देते हैं। कई बार रात के समय पैरों में बहुत तेज दर्द उठता है और इसकी वजह से कभी-कभी नींद भी टूट जाती है। तनाव भी दर्द का एक कारण हो सकता है और कभी-कभी ज्यादा काम न करने पर भी पैरा में दर्द हो सकता है, खासतौर पर सोने के लिए लेटने पर ज्यादा दर्द महसूस होता है। टाइट जूते और हाई हील पहनने वाली महिलाओं को पैरों में दर्द होने की शिकायत ज्यादा रहती है।
अगर आपको भी अपने पैरों में दर्द का कारण नहीं पता है तो ये एक गंभीर समस्या हो सकती है जिस पर आपको तुरंत ध्यान देने की जरूरत है। सबसे पहले इसकी वजह जानें और फिर इसका सही इलाज करें। कुछ समय बाद ये दर्द आपकी रोज़मर्रा की जिंदगी में भी दखल देने लगता है और इसकी वजह से आपकी निजी और प्रोफेशनल लाइफ प्रभावित होने लगती है।
पेरिफेरल न्यूरोपैथी
यह नसों से संबंधित विकार है और इसके कारण हाथ एवं पैरों में दर्द तथा सुन्नता हो सकती है। घंटों पैरों पर खड़े रहने की वजह से पैरों और पैरों की उंगलियों में दर्द या सुन्नपन रहता है। सुबह जब आप उठते हैं और थोड़ा-सा हिलते हैं तो पैरों में दर्द महसूस होता है। यहां तक कि इसकी वजह से रात को नींद भी टूट जाती है।
Most Read : केसर पहचानने में धोखा न खाइएं, इन तरीको से असली और नकली में फर्क जानिए
ये होती है वजह
मधुमेह, कैंसर, किडनी फेल्योर, विटामिन की कमी आदि जैसे कई अन्य विकार पेरिफेरल न्यूरोपैथी से जुड़े हुए हैं। हालांकि, इस विकार का सटीक कारण बताना मुश्किल है लेकिन पैर या टखने में तंत्रिका फाइबर के आंतरिक कोर में आंशिक या पूरी तरह से रुकावट आने पर ऐसा होता है।
मोर्टोंस न्यूरोमा
ये पैर की उंगलियों तक पहुंचने वाली नसों के आसपास के ऊतकों का मोटा होना है। इसे इंटरडिजिटल न्यूरोमा भी कहा जाता है। यह स्थिति तब विकसित होती है जब पैर की तीसरी और चौथी उंगली की हड्डियों पर दबवा डाला जाता है और एक नस को दबाया जाता है। इस दबाव के कारण नस में सूजन आने लगती है और ऐंठन, सुन्नता, जलन या झुनझुनी महसूस होती है। रात के समय दर्द और ऐंठन बढ़ जाती है एवं ज्यादा टाइट जूते पहनने से भी ये समस्या बढ़ सकती है।
नस दबने से
रात को सोने से पहले नस दबने के कारण भी पैर में दर्द हो सकता है। यह दर्द ज्यादातर दिन के समय उठता है और रात में बढ़ जाता है। हील पहनने पर नस दबने का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में बार-बार चलने या एक ही मुद्रा में घंटों तक खड़े रहने की वजह से भी नस दब सकती है।
Most Read :पेट की मालिश करने से दूर होता है कब्ज और घटता है वजन, आजमा कर देखें
रेस्टलेस लेग सिंड्रोम
कुछ लोग रेस्टलेस लेग सिंड्रोम से पीड़ित होते हैं। इसमें रात में लेटने पर पैरों को हिलाने के लिए ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है। इसमें पैरों में दर्द, झुनझुनी, झटके महसूस होते हैं जिसकी वजह से नींद भी टूट जाती है।
अध्ययनों में पाया गया है कि हर 10 में से 1 व्यक्ति रेस्टलेस लेग सिंड्रोम से पीड़ित है। हालांकि, कई लोग उपचार या निदान के बिना ही जीवन व्यतीत करते हैं। कुछ विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि आरएलएस डोपामाइन के असंतुलन के कारण ऐसा होता है। ये शरीर में मौजूद एक रसायन है जो मस्तिष्क और तंत्रिका कोशिकाओं के बीच संकेतों को प्रसारित करता है। मधुमेह जैसी स्थिति भी आरएलएस को ट्रिगर कर सकती है। कुछ गर्भवती महिलाएं अस्थायी रूप से आरएलएस का अनुभव कर सकती हैं।