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बासोड़ा या ठंडा पूजन में क्यों खाया जाता है बासी खाना, जानें वैज्ञानिक तर्क
होली के आठ दिन बाद हिंदू कैलेंडर के अनुसार शीतला अष्टमी पर मां शीतला देवी की पूजा की जाती है। पूजा चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को होती हैं। इस पर्व को 'बासौड़ा', 'लसौड़ा' या 'ठंडा पूजन' के नाम से भी जाना जाता है। इस बार शीतला अष्टमी हिंदू कैलेंडर के अनुसार 28 मार्च 2019 को पड़ रही है। देश में कई जगह शीतलाष्टमी की जगह शीतला सप्तमी भी मनाई जाती है जो 27 मार्च को मनाई जाएंगी।
शीतलाष्टमी या शीतला सप्तमी के दिन एक रात पहले ही महिलाएं खाना बनाकर रख देती हैं, इसके बाद अष्टमी की सुबह सबसे पहले शीतला माता को भोग लगाकर घर के अन्य सदस्यों को खिलाती हैं, इस पूरे दिन घर में चूल्हा नहीं जलाया जाता हैं। वैसे इस त्योहार और पूजन के पीछे वैज्ञानिक आधार है, माना जाता है कि मौसम चक्र बदलने की वजह से शरीर इस समय कमजोर हो जाता है। जिसकी वजह से कई मौसमी बीमारियां और संक्रमण हमें चपेट में ले सकता है। इस समय साफ-सफाई पर बहुत ज्यादा ध्यान देकर और ठंडा खाने से इन बीमारियों से बचा जा सकता है। शीतला माता का पूजन करके स्वच्छता और पर्यावरण को सुरक्षित रखने की प्रेरणा मिलती है।

पुराणों में बताया है इसका महत्व
स्कंद पुराण में शीतला माता के विषय में बताया गया है कि देवी शीतला चेचक जैसे रोग की देवी हैं। माता शीतला बच्चों की रक्षक हैं तथा रोग दूर करती हैं। प्राचीन काल में जब आधुनिक चिकित्सा विधि अस्तित्व में नहीं थी तब शीतला यानी चेचक की बीमारी महामारी के रूप में फैलती थी। उस समय ऋषियों ने देवी की उपासना एवं साफ-सफाई के विशेष महत्व को बताया।
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बीमारियों से दूर रखता है बसोड़ा
बसोड़ा की परंपराओं के अनुसार, इस दिन भोजन पकाने के लिए अग्नि नहीं जलाई जाती। इसलिए अधिकतर महिलाएं शीतला अष्टमी के एक दिन पहले भोजन पका लेती हैं और सुबह जल्दी उठकर ठंडे पानी से स्नान करके बसोड़े को देवी शीतला को भोग लगाने के बाद बसोड़ा वाले दिन घर के सभी सदस्य इसी बासी भोजन का सेवन करते हैं। माना जाता है शीतला माता चेचक रोग, खसरा आदि बीमारियों से बचाती हैं। मान्यता है, शीतला मां का पूजन करने से चेचक, खसरा, बड़ी माता, छोटी माता, दुर्गंधयुक्त फोड़े, नेत्रों के समस्त रोग जैसी बीमारियां नहीं होती और अगर हो भी जाए तो उससे जल्द छुटकारा मिलता है।

वैज्ञानिक आधार
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ऐसे में रोगों से बचने के लिए साफ-सफाई, शीतल जल और एंटीबायोटिक गुणों से युक्त नीम का प्रयोग करना चाहिए। मान्यता है कि इस दिन आखिरी बार आप बासी भोजन खा सकते हैं, इसके बाद से बासी भोजन का प्रयोग बिलकुल बंद कर देना चाहिए। वैज्ञानिक तौर पर देखें तो गर्मी बढ़ने के कारण बासी भोजन के खराब होने की आशंका बढ़ जाती हैं, अत: इनका प्रयोग नहीं करना चाहिए।