Just In
- 3 hrs ago
24 जनवरी राशिफल: मकर राशि वालों को मिलेगी आज बड़ी सफलता, आमदनी में होगी वृद्धि
- 12 hrs ago
नोरा की तरह कलरफुल को-आर्ड सेट पहनकर अपने लुक को करें फ्लॉन्ट
- 13 hrs ago
प्रिंटेड मैक्सी ड्रेस में बेहद ब्यूटीफुल लग रही हैं मलाइका, खरीद सकती हैं आप भी
- 16 hrs ago
शरीर की थकान दूर करने और ग्लोइंग स्किन के लिए नहाने के पानी में इस्तेमाल करें ये चीजें
Don't Miss
- Automobiles
VW Arteon Could Come To India: फॉक्सवैगन भारत में लॉन्च कर सकती है आर्टिऑन लग्जरी सेडान
- News
सिंघु बॉर्डर पर किसानों ने जिस शूटर को पकड़ा, उसपर पुलिस ने कहा- 'डर की वजह से संदिग्ध ने गलत बयान दिया'
- Sports
गाबा में प्रदर्शन पर बोले शार्दुल ठाकुर, कहा- तेज गेंदबाजों का सामना करना आसान लोकल मे सीट मिलना मुश्किल
- Movies
आमिर खान के भांजे इमरान की जिंदगी में आ गई थीं ये एक्ट्रेस, इसी वजह से पत्नी अवंतिका मलिक से टूटा रिश्ता?
- Finance
Tata ने बढ़ाईं Car की कीमतें, जानिए नई प्राइस लिस्ट
- Education
SBI SCO Admit Card 2021 Download: एसबीआई एससीओ एडमिट कार्ड 2021 sbi.co.in पर जारी, ऐसे करें डाउनलोड
- Technology
OnePlus Nord का प्री-ऑर्डर अमेज़न पर 15 जून से होगी शुरू; इसको खरीदने वाले पहले बने
- Travel
ऐतिहासिक और धार्मिक स्थलों का संगम : पठानकोट
मकर संक्रांति में क्यों खाई जाती है खिचड़ी, जानें इसका धार्मिक और वैज्ञानिक कारण
सूर्य के राशि परिवर्तन को संक्रांति कहते हैं। मकर संक्रांति के दिन सूर्य धनु से मकर राशि में प्रवेश करता है। मकर संक्रांति के दिन सूर्य दक्षिणायन से उतरायण में प्रवेश करता है, वहीं, इस दिन से ही खरमास की समाप्ति और शुभ कार्यों की शुरुआत हो जाती है। इस दिन पारंपारिक खिचड़ी और तिल के उपयोग से पकवान बनाने की भी मान्यता है। देश अलग- अलग प्रांतों में खिचड़ी और तिल के व्यंजन पकाए जाते हैं। मकर संक्राति के दिन तिल, गुड़ और खिचड़ी के सेवन के पीछे पौराणिक कथाओं के अलावा वैज्ञानिक आधार भी है। आइए जानते हैं मकर संक्रांति के पर्व पर तिल-गुड़ अलावा खिचड़ी का ही सेवन क्यों करते हैं।

पेट को मिलता है आराम, डायजेशन होता है बेहतर
सर्दियों के मौसम में लोगों का पाचन तंत्र सुस्त हो जाता है। ऐसे में गर्मागर्म खिचड़ी खाएं। इससे आपका डायजेशन बेहतर होगा और पाचन से जुड़ी सभी समस्याएं कम होती हैं। इससे, गैस, पेट में भारीपर और अपच जैसी समस्याओं से आराम मिलती है। इसका सीधा असर, शरीर की मेटाबॉलिक रेट पर पड़ता है। मेटाबॉलिज़्म सही रहने से वजन नियंत्रित रहता है और कई मेटाबॉलिक डिसऑर्डर्स का रिस्क भी कम होती है।

शरीर का पोषण करती है खिचड़ी
जैसा कि खिचड़ी टमाटर, मटर, फूलगोभी, पालक, लौकी और आलू सहित, धनिया, अदरक, लहसुन, हींग और जीरा जैसी कई पौष्टिक चीज़ों का मिश्रण होती है। इसीलिए, इन सभी सब्ज़ियों, अनाज़ों और मसालों में मौजूद एंटी-ऑक्सीडेंट्स, विटामिन्स, मिनरल्स और फाइटोकेमिकल्स जैसे पोषक तत्वों का फायदा भी शरीर को प्राप्त होता है। इससे, आपके शरीर को पोषण होता है और शरीर की कार्यप्रणालियों में सुधार होता है।

वेट लॉस के लिए बेस्ट
खिचड़ी वेट लॉस के लिए एक आदर्श रेसिपी है। खिचड़ी में दाल, चावल और मसालों की मात्रा कम और पानी की मात्रा थोड़ी अधिक होती है। सर्दियों में यह पेट भरता है और देर तक आपको भूख नहीं लगती। इससे, आपका वजन बढ़ने से रोकना आसान होता है। सर्दियों में देसी घी, सलाद और दही या छाछ के साथ खिचड़ी का सेवन करने से हाजमा और मेटाबॉलिज़्म ठीक रहता है। जिससे, वेट लॉस में भी सहायता होती है।

वैज्ञानिक धारणा
मकर संक्रांति को खिचड़ी बनाने और खाने का खास महत्व होता है। यही वजह है कि इस पर्व को कई जगहों पर खिचड़ी पर्व भी कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस मौके पर चावल, काली दाल, नमक, हल्दी, मटर और सब्जियां खासतौर पर फूलगोभी डालकर खिचड़ी बनाई जाती है। दरअसल चावल को चंद्रमा का प्रतीक माना जाता है और काली दाल को शनि का। वहीं, हरी सब्जियां बुध से संबंध रखती हैं।
कहा जाता है कि खिचड़ी की गर्मी व्यक्ति को मंगल और सूर्य से जोड़ती है। इस दिन खिचड़ी खाने से राशि में ग्रहों की स्थिती मजबूत होती है।

ये भी है कारण
मकर संक्रांति को खिचड़ी बनाने की परंपरा को शुरू करने वाले बाबा गोरखनाथ थे। मान्यता है कि खिलजी के आक्रमण के समय नाथ योगियों को खिलजी से संघर्ष के कारण भोजन बनाने का समय नहीं मिल पाता था। इस वजह से योगी अक्सर भूखे रह जाते थे और कमजोर हो रहे थे।
रोज योगियों की बिगड़ती हालत को देख बाबा गोरखनाथ ने इस समस्या का हल निकालते हुए दाल, चावल और सब्जी को एक साथ पकाने की सलाह दी थी। यह व्यंजन पौष्टिक होने के साथ-साथ स्वादिष्ट भी था। इससे शरीर को तुरंत उर्जा भी मिलती थी। नाथ योगियों को यह व्यंजन काफी पसंद आया। बाबा गोरखनाथ ने इस व्यंजन का नाम खिचड़ी रखा।
झटपट तैयार होने वाली खिचड़ी से नाथ योगियों की भोजन की परेशानी का समाधान हो गया और इसके साथ ही वे खिलजी के आतंक को दूर करने में भी सफल हुए। खिलजी से मुक्ति मिलने के कारण गोरखपुर में मकर संक्रांति को विजय दर्शन पर्व के रूप में भी मनाया जाता है। इस दिन गोरखनाथ के मंदिर के पास खिचड़ी मेला आरंभ होता है। कई दिनों तक चलने वाले इस मेले में बाबा गोरखनाथ को खिचड़ी का भोग लगाया जाता है और इसे प्रसाद के रूप में वितरित किया जाता है।