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सितंबर के महीने में क्यों ज्यादा आते हैं अस्थमा अटैक?
सितंबर के महीने को अस्थमा के मरीजों के लिए बहुत खराब समझा जाता है। यूएसए में इस दौरान वसंत ऋतु जबकि भारत में मॉनसून का अंत होता है और हवा में उमस भरी रहती है। सितंबर का महीना अस्थमा के मरीजों के लिए बहुत मुश्किल होता है। अस्थमा एंड एलर्जी फाउंडेशन ऑफ अमेरिका के अनुसार इस महीने में अस्थमा के मामले बढ़ जाते हैं।
अस्थमा एक गंभीर स्थिति है। केवल भारत में ही अस्थमा के 10 मिलियन मरीज हैं और हर साल इनकी संख्या बढ़ती जा रही है। इसी तरह अमेरिका में भी अस्थमा के मरीजों की संख्या बहुत बढ़ रही है। इससे फेफड़ों में ब्लॉकेज होने की वजह से सांस लेने में दिक्कत होती है। इसका कोई स्थायी इलाज नहीं है लेकिन इसके ट्रिगर पॉइंट्स से बचकर अटैक को रोका जा सकता है। आइए जानते हैं कि खासतौर पर सितंबर के महीने में अस्थमा अटैक से कैसे बचा जा सकता है:
वायु प्रदूषण से बचना
सबसे पहले तो आपको धूल-भरे वातावरण से दूर रहना है। अस्थमा के मरीजों के लिए ये बहुत जरूरी है। वायु प्रदूषकों के संपर्क में जाने से पहले अपने नाक और मुंह को ढक लें। घर में धूल-मिट्टी, सिगरेट के धुएं आदि के संपर्क में ना आएं। इन सब चीजों से अस्थमा बहुत जल्दी ट्रिगर होता है। इनकी वजह से स्वस्थ व्यक्ति को भी सांस लेने में दिक्कत हो सकती है। इनसे बचकर अस्थमा के अटैक को रोका जा सकता है।
सर्दी जुकाम का इलाज
इस मौसम में सर्दी-जुकाम पैदा करने वाले कीटाणु बहुत पनपते हैं। खांसी और जुकाम अस्थमा को बहुत जल्दी ट्रिगर करते हैं। इस मौसम में अस्थमा के अटैक से बचने के लिए आपको ज्यादा सावधान रहना चाहिए। अगर आपके आसपास किसी को जुकाम हो गया है तो उससे दूर रहें। अस्थमा के मरीजों में जुकाम स्थिति को और खराब कर सकता है इसलिए इससे बचने की कोशिश करें।
दवाएं लेते रहें
किसी भी प्रकार की समस्या से बचने के लिए आपको इस मौसम में अपनी दवाओं का साथ नहीं छोड़ना चाहिए। अपने साथ हमेशा इनहेलर रखें। कई बार अस्थमा के गंभीर रूप ले लेने पर डॉक्टर दो इनहेलर दवाओं की भी सलाह देते हैं। अपनी दवा की ज्यादा खुराक लेने से भी बचें।
स्मार्ट डिवाइस रखें
कई डॉक्टर स्मार्ट इनहेलर की सलाह देने लगे हैं जिसकी मदद से अस्थमा की स्थिति को ट्रैक किया जा सकता है। ये डिवाइस ब्लूटूथ टेक्नोलोजी के जरिए मोबाइल एप से कनेक्ट हो जाते हैं। ये खासतौर पर बच्चों का रियल टाइम डाटा माता-पिता और डॉक्टर तक पहुंचाता है। इसके अलावा और भी कई डिवाइस हैं जो हवा की क्वालिटी को मापते हैं।