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किशोरियां अक्सर हो जाती हैं अंडाशय विकार का शिकार
आईएएनएस| भारतीय किशोरियों में सुस्त जीवनशैली, बासी भोजन की आदतें और मोटापे के कारण पोलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस) फैलने की संभावना बढ़ रही है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने बताया कि एक अनुमान के मुताबिक, 10 से 30 फीसदी किशोरियां इससे प्रभावित हो रही हैं। इंद्रप्रस्थ अस्पताल में वरिष्ठ प्रसूति रोग सलाहकार रंजना शर्मा ने आईएएनएस को बताया, "मोटापा और पीसीओएस का गहरा संबंध है, खासकर जब यह किशोरावस्था के समय होता है। पीसीओएस की घटना बढ़ रही है और जीवनशैली में परिवर्तन हो रहा है, पोषण और आहार कारक इसमें बहुत अहम भूमिका अदा करते हैं।"
रंजना शर्मा की बात पर सहमति जताते हुए जेपी अस्पताल नोएडा में प्रसूति एवं स्त्रीरोग विभाग के कार्यकारी सलाहकार संदीप चड्डा ने बताया कि पीसीओएस मामलों में हार्मोनल असंतुलन प्रमुख रूप से 'दोषी' हैं। READ: ओवेरियन कैंसर को होने से रोकते हैं ये बेहतरीन फूड
अन्य कारकों में उन्होंने मोटापे का अचानक बढ़ जाना और कुछ मामलों में आनुवांशिक स्थितियों को गिनाया।
चड्डा ने आईएएनएस को बताया, "पिछले एक दशक में तंगहाल जीवनशैली हार्मोनल बदलाव के लिए पहला कारण बन चुकी है, और इससे पीसीओएस की संभावना बढ़ जाती है। अगर हम शहरी भारत की ओर देखें तो हर साल यहां लगभग 15 फीसदी लड़कियां पीसीओएस का शिकार हो जाती हैं।"
पीसीओएस से अंडाशय में कई प्रकार के अल्सर गठित होते हैं और एंड्रोजन (पुरुष हार्मोन) का अत्यधिक उत्पादन होने लगता है। इससे शरीर और चेहरे पर बाल, मासिक धर्म में अनियमितताएं और मुंहासे बढ़ने लगते हैं। READ: मासिक धर्म के बारे में 9 आम मिथक
मुंबई के लीलीवती अस्पताल में बांझपन विशेषज्ञ ऋषिकेश पई ने आईएएनएस को बताया, "वजन बढ़ना, गले के पीछे और शरीर के अन्य भागों में काले धब्बे, अनियमित मासिक धर्म, अनचाहे बाल बढ़ना और मुंहासे पीसीओएस का कारण बन सकते हैं।"
पाई ने कहा, "हालांकि, हर उस व्यक्ति को पीसीओएस नहीं होता जिसमें यह सब लक्षण हों। तीव्रता के विभिन्न लक्षणों के साथ अलग-अलग लोगों में अलग-अलग लक्षण होते हैं।" उन्होंने कहा, "कुछ किशोरियों के लिए भविष्य में यह चुनौतीपूर्ण हो जाएगा जब वह मां बनने की योजना बनाएंगी।"
एससीआई हेल्थकेयर की निदेशक शिवानी सचदेव गौड़ के मुताबिक, अगर पीसीओएस का इलाज नहीं किया गया तो इससे कैंसर के साथ-साथ कई गंभीर समस्याएं पैदा हो सकती हैं। READ: स्वस्थ योनि की देखभाल के नए तरीके
चड्डा ने कहा कि पीसीओएस की पहचान लक्षणों और संकेतों, अल्ट्रासाउंड और हार्मोन विश्लेषण द्वारा की जा सकती है। साथ ही उन्होंने कहा कि अगर कोई महिला गर्भ धारण नहीं करना चाहती है तो इसके लिए हार्मोन की कई तरह की गोलियां उपलब्ध हैं।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।