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स्तन कैंसर के लिये मैमोग्राफी – 7 बातें जो आपको जाननी चाहिये
अगर आपके डॉक्टर या प्रसूतिविशेषज्ञ ने मैमोग्राफी की सलाह दी है, तो उस जाँच के लिये जाने से पूर्व, नीचे दिये गये बिन्दुओं को ध्यान में रखें।
स्तन कैंसर भारत में महिलाओं के कैंसर का प्रमुख कारण है। हलाँकि स्तन कैंसर के लक्षणों और खतरों के बारे में जागरूकता काफी है, लेकिन स्तन कैंसर की पहचान के लिये होने वाली जाँच के बारे में जागरूकता कम है।
तो
अगर
आपके
डॉक्टर
या
प्रसूतिविशेषज्ञ
ने
मैमोग्राफी
की
सलाह
दी
है,
तो
उस
जाँच
के
लिये
जाने
से
पूर्व,
नीचे
दिये
गये
बिन्दुओं
को
ध्यान
में
रखें।
1-
मौमोग्राफी
की
सलाह
40
साल
से
कम
उम्र
की
महिलाओं
के
लिये
नहीं
दी
जाती
है।
ऐसा
इसलिये
है
क्योंकि
उम्रदराज
महिलाओं
की
अपेक्षा
युवा
महिलाओं
में
स्तन
की
कोशिकायें
सघन
होती
हैं
और
मैमोग्राम
में
वे
एक
सफेद,
सघन
क्षेत्र
के
रूप
में
दिखती
हैं।
चूँकि
स्तन
कैंसर
भी
सफेद
दिखता
है
तो
इस
जाँच
प्रक्रिया
के
माध्यम
से
स्तन
कैंसर
को
पहचानना
मुश्किल
हो
जाता
है।
हलाँकि,
स्तन
कैंसर
ज्यादातर
50
साल
से
अधिक
उम्र
की
महिलाओं
में
काफी
सामान्य
रूप
से
देखा
गया
है,
और
इसलिये,
50
से
75
वर्ष
की
महिलाओं
को
मैमोग्राफी
करानी
चाहिये।
2-
अगर
आप
युवा
हैं
और
परिवार
में
स्तन
कैंसर
का
इतिहास
रहा
हो
तो
आपकी
डॉक्टर
मैमोग्राफी
जाँच
के
लिये
कह
सकती
हैं।
अगर
आपको
स्तन
कैंसर
का
कोई
लक्षण
दिखाई
दे,
जैसे
कि
स्तन
में
गाँठ,
स्तन
से
तरल
बहना
या
स्तन
के
आकार
में
परिवर्तन,
तो
आप
चाहें
25
साल
या
उससे
कम
उम्र
की
हों,
आपको
मैमोग्राफी
करानी
चाहिये।
स्तन
कैंसर
के
खतरों
के
बारे
में
भी
पढ़ें।
3-कई
लोगों
को
यह
नहीं
पता
है
कि
मैमोग्राफी
दो
प्रकार
की
होती
है
-
स्क्रीनिंग
और
नैदानिक।
स्क्रीनिंग
मैमोग्राफी
महिलाओं
में
बिना
स्तन
कैंसर
के
लक्षण
के
स्तन
की
एक
नियमित
एक्स-रे
जाँच
है।
इसकी
सलाह
अक्सर
40
साल
से
अधिक
उम्र
की
महिलाओं
के
लिये
दी
जाती
है।
जबकि
नैदानिक
मैमोग्रफी
स्तन
का
वह
एक्स-रे
होता
है
जिसमें
महिला
स्तन
कैंसर
के
लक्षण
प्रकट
करती
है
या
डॉक्टर
को
स्तन
में
किसी
असामान्यता
का
शक
हो।
4-बिना
डॉक्टर
की
सलाह
के
मैमोग्राफी
नहीं
करानी
चाहिये।
इसलिये
जब
आपको
स्तन
कैंसर
के
लक्षण
दिखें
या
स्तन
में
कोई
असामान्यता
दिखे
तो
स्वंय
ही
जाँच
के
लिये
जाने
से
पहले
डॉक्टर
से
सलाह
लेना
बुद्धिमानी
है।
क्योंकि
डॉक्टर
पहले
स्वंय
जाँच
करेंगी
और
फिर
विशिष्ट
जाँचों
को
कराने
के
लिये
कह
सकती
है
जो
कि
नैदानिक
रूप
से
पुष्टि
करेगा।
5-
उम्रदराज़
महिलाओं
में
स्तन
कैंसर
के
लिये
मैमोग्राफी
एक
महत्वपूर्ण
जाँच
साधन
है।
इस
प्रक्रिया
के
दौरान,
एक
विशेषज्ञ
आपके
स्तन
को
मैमोग्रफी
इकाई
में
रखेगी,
जो
साफ
छवि
के
लिये
आपके
स्तन
को
दबाता
है
या
चपटा
कर
देता
है
जिससे
स्तन
की
कोशिकायें
फैल
जाती
हैं।
ज्यादातर
महिलाओं
को
स्तन
के
दबने
पर
दर्द
या
असुविधा
हो
सकती
है।
अगर
दर्द
काफी
तीक्ष्ण
हो
तो
विशेषज्ञ
बता
दें
जिससे
कि
वह
कोण
बदल
दे
या
स्तन
पर
दबाव
कम
कर
दे।
इस
प्रक्रिया
में
लगभग
30
मिनट
लगते
हैं
और
जाँच
के
बाद
मरीज
अपनी
नियमित
दिनचर्या
जारी
रख
सकता
है।
यहाँ
मैमोग्राफी
प्रक्रिया
के
बारे
में
तथा
जाँच
परिणाम
के
मायने
के
बारे
में
और
अधिक
जानकारी
उपलब्ध
है।
6-
मैमोग्राफी
की
जाँच
के
लिये
जाने
का
सर्वोत्तम
समय
मासिक
धर्म
के
लगभग
एक
सप्ताह
बाद
का
होता
है।
क्योंकि,
मासिक
धर्म
के
दौरान,
हार्मोन
परिवर्तनों
के
कारण
स्तन
कोमल
हो
जाते
हैं,
जिससे
कि
जाँच
के
दौरान
दर्द
और
कष्टकारी
हो
जाता
है।
इसलिये
मैमोग्रफी
के
लिये
सही
समय
मासिक
धर्म
के
बाद
के
पहले
3-4
दिन
होते
हैं।
7- ज्यादातर मामलों में, जाँच के दिन पाउडर और डियोड्रेन्ट लगाने के लिये मना किया जाता है क्योंकि ये मैमोग्राम में कैल्शियम धब्बे के रूप में दिख सकते हैं। और, गर्भवती महिलाओं को भी मैमोग्राफी की सलाह नहीं दी जाती है, इसलिये यदि आप गर्भवती हैं तो इस बारे में अपने डॉक्टर से बात करें।