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20, 30 और 40 की उम्र में मासिक धर्म में आने वाले बदलाव
मासिक धर्म में पेट में दर्द होना, जी मितली, असहजता और मूड स्विंग्स होना आम बात है। लेकिन अगर माहवारी हर महीने समय पर ना आए तो ये चिंता का कारण बन जाती है। कई महिलाओं का पीरियड्स के साथ लव-हेट रिलेशनशिप होता है। आज इस पोस्ट के ज़रिए हम आपको बताने जा रहे हैं कि 20, 30 और 40 की उम्र में माहवारी में किस तरह बदलाव आते हैं।
कई बार मासिक चक्र अप्रत्याशित होता है - किसी महीने देर से आता है तो कभी समय से पहले ही आ जाता है। कभी एक हफ्ते तक रक्तस्राव होता है तो कभी तीन दिन में ही बंद हो जाता है। स्ट्रेस, सेहत या जीवनशैली में बदलाव का असर मासिक स्राव पर पड़ता है।
उम्र बढ़ने पर शरीर में होने वाले हार्मोनल बदलाव के साथ भी मासिक चक्र में बदलाव आता रहता है। इससे रक्तस्राव पर भी असर पड़ता है।
तो चलिए जानते हैं 20, 30 और 40 की उम्र में पीरियड्स में कैसे और क्या बदलाव आते हैं।
20 की उम्र में क्या होता है
इस उम्र में स्राव नियमित होता है। हालांकि, नियमित माहवारी आने के बीच में कई समस्याएं भी होती हैं, जैसे कि
गर्भ निरोधक शुरु करने से स्राव कम या ना के बराबर हो सकता है लेकिन आपको इसे लेकर चिंता करने की जरूरत नहीं है। शरीर को इसकी आदत होने में समय लगेगा लेकिन अगर तीन महीने से ज्यादा समय तक ऐसा होता है तो आपको गाइनेकोलॉजिस्ट से संपर्क करने की जरूरत है।
अगर आप स्ट्रेस नहीं ले रही हैं और गर्भवती नहीं हैं और आपको एक सप्ताह तक माहवारी रहती है तो इसकी वजह पीसीओएस या कोई हार्मोनल संतुलन हो सकता है जिसकी वजह से ओवरी में सिस्ट बनने लगते हैं। ये समस्या 20 की उम्र में महिलाओं में ज्यादा रहती है।
20 की उम्र के दौरान ऐसी कई चीज़ें होती हैं जो स्ट्रेस देती हैं। नौकरी, सीरियस रिलेशनशिप या ब्रेकअप जैसी कई वजहों से इस उम्र में तनाव रहता है। ये सब चीज़ें आपके मासिक चक्र को भी प्रभावित करती हैं क्योंकि इसमें दिमाग आपकी ओवरी तक स्ट्रेस हार्मोंस की वजह से संदेश नहीं भेज पाता है और इस वजह से कुछ महीने तक माहवारी अनियमित रहती है।
20 की उम्र में पीएमएस के लक्षण भी नज़र आते हैं जिसमें पेट में दर्द, ब्रेस्ट का सख्त होना या अन्य प्रीमेंस्ट्रुअल लक्षण शामिल होते हैा।
30 की उम्र में माहवारी
इस उम्र में माहवारी नियमित रहती है और स्राव ज्यादा या कम हो सकता है। 30 की उम्र में फाइब्रॉएड और एंडोमेट्रिओसिस भी सामान्य होता है।
30 की उम्र में महिलाओं को ये समस्याएं आती हैं
30 की उम्र में मां बनना पूरी तरह से आपके मासिक चक्र को बदल देता है। बच्चे को जन्म देने से आपके सामान्य मासिक चक्र पर भी असर पड़ता है खासतौर पर स्तनपान करवाने से। इसे लेकर ज्यादा चिंता करने की जरूरत नहीं है।
30 की उम्र में सबसे ज्यादा फाइब्रॉएड, पोलिप्स और सौम्य गर्भाशय वृद्धि की समस्या रहती है। इनका कोई नुकसान तो नहीं होता लेकिन ये आपके मासिक चक्र पर असर जरूर डालती हैं।
40 की उम्र में माहवारी
ये मेनोपॉज़ से पहले का समय होता है जिसमें आपको मासिक धर्म में अनियमितता या मासिक धर्म का ना आना या माहवारी के दौरान थोड़ा-बहुत रक्त आना जैसी दिक्कत रहती है। 40 की उम्र में मां बनना मुश्किल होता है।
एक्सरसाइज़ रूटीन में बदलाव का भी आपकी उम्र पर असर पड़ता है क्योंकि शरीर को इस नई जीवनशैली में एडजस्ट होने में समय लगता है। इसका असर मासिक चक्र पर भी पड़ता है। माहवारी में व्यायाम करने से क्या होता है ?
40 की उम्र में गर्भाश्य का खतरा ज्यादा रहता है। ये अनियमित माहवारी का पहला लक्षण है। तो अगर इस दौरान आपको माहवारी में दिक्कत या अनियमितता लगे तो तुरंत डॉक्टर से परामर्श करें।
कुछ महिलाओं को मेनोपॉज़ से 10 साल पहले ही पेरीमेनोपॉज़ हो सकता है। यहां तक कि अगर आपका ऑवेल्यूशन नियमित है तो भी आप प्रेग्नेंट हो सकती हैं लेकिन अगर आपको एक साल से माहवारी नहीं हुई है तो रजोनिवृत्ति के चरण में प्रवेश कर चुकी हैं। इस चरण में एस्ट्रोजन और प्रोजेस्ट्रॉन हार्मोन अपने तरीके से काम करना बंद कर देते हैं और ये उस तरह से काम नहीं करते हैं जैसे कि आपकी जवानी में किया करते थे।