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ना करे शिवलिंग की पूर्ण परिक्रमा नहीं तो लगेगा पाप
भगवान शिव रूप रहित हैं। अर्थात् शिव अनन्त हैं, असीम हैं। वह दयालु भी हैं तथा क्रोध आने पर रौद्र रूप भी दिखा सकते हैं। लिंग भगवान की सृजनात्मक शक्ति का प्रतिरूप है इसलिए यह प्रतिरूप भगवान शिव का है।
भगवान शिव हरदम अटल व अचल रहते हैं इसलिए स्थाणु नाम से भी जाने जाते हैं। चूंकि यह बहुत शीघ्र खुश हो जाते हैं इसलिए इन्हें आशुतोष भी कहते हैं।
अम्बिका के पति होने के कारण यह अम्बिकेश्वर के नाम से भी जाने जाते हैं। शिव ही एक मात्र ऐसे भगवान् हैं जिनकी पूजा पूरे एक महीने तक की जाती हैं। इसमें उनके लिए उपवास (व्रत) रखे जाते हैं, भजन गाये जाते हैं और कुछ दिनों के लिए सांसारिक जीवन से दूर रहा जाता है।
सावन के महीने में लोग मंदिर जाके शिवलिंग की पूजा करते हैं। उस पर बिल पत्र, दूध, दही और भांग चढ़ाते हैं। साथ ही शिवलिंग की प्रक्रिमा करते हैं।
इसमें कुछ लोग पूरी परिक्रमा करते हैं तो कुछ आधी परिक्रमा करते हैं। लेकिन सावन में परिक्रमा करने के कुछ विशेष नियम और अनुष्ठान हैं। आइये जानते हैं उन नियमों के बारे में।
1. शिवलिंग की अर्ध-परिक्रमा
शिवपुराण और शास्त्राओं के अनुसार शिव भक्तों को शिवलिंग की आधी परिक्रमा या अर्ध-परिक्रमा करनी चाहिए। इसका कारण यह है कि शिव आदी' और 'अनंत दोनों हैं।
2. शिवलिंग की संरचना
शक्ति शिवलिंग से बहने वाली अनंत हैं जिसे निर्मलि को कहा जाता है। आज के समय में शिवलिंग पर दूध और पानी चढ़ाया जाता है जिसे निर्मलि कहा जाता है।
3. शिव की शक्ति
शिव की शक्ति इतनी उग्र है कि उनके बीच में आने की किसी ने हिम्मत नहीं की। ऐसा कहा जाता है कि निर्मलि शिवलिंग का अंश हैं जिस पर कभी पैर नहीं रखा जाता है।
4. भगवान शिव का क्रोध
एक पुरानी कथा के अनुसार एक बार राजा गंधर्व शिवलिंग का अभिषेक कर रहे थे। जिसके बाद उन्होंने परिक्रमा करने के दौरान निर्मलि पर पैर रख दिया था। जिसके फल स्वरूप गंधर्व अपनी सारी शक्तियां खो बैठे थे।
5. शिवलिंग में निर्मलि का महत्त्व
ग्रंथों में यह बताया गया है कि भगवान शिव और शक्ति की निर्मलि के संपर्क में आने या उस पर पैर रखने से आपको भगवान शिव का क्रोध झेलना पड़ सकता है।
6. शिवलिंग में निर्मलि का उद्देश्य
प्राचीन काल में, शिवलिंग इस तरह से बनाया जाता था कि निर्मलि (दूध और पानी बहने की जगह) पृथ्वी की सतह के अंदर गहराई में होती थी। जिसे मनुष्य नहीं देख सकता था।
7. शिवलिंग की परिक्रमा के नियम
आज के समय में निर्मिली को पृथ्वी की सतह के ऊपर बनाया जाता है जिसके चलते, पूर्ण-परिक्रमा के दौरान अक्सर लोग उस पर पैर रख देते हैं। इसलिए शिवलिंग की अर्ध परिक्रमा ही करनी चाहिए।