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असुरों के राजा बलि से जुड़ा है ओणम का त्योहार, जानें इस साल ओणम की तिथि और शुभ मुहूर्त
ओणम का त्योहार केरल राज्य में बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है। यह दक्षिण भारत के राज्य केरल का ख़ास पर्व है। यह पर्व पूरे दस दिनों का होता है और मुख्य पर्व ओणम दसवें दिन ही पड़ता है।
ओणम का त्योहार फसल से जुड़ा हुआ विशेष पर्व है। यह उत्सव फसल काटकर घर लाने की खुशी में मनाया जाता है और इसके लिए लोग अपने आराध्य का आभार प्रकट करके उन्हें धन्यवाद करते हैं। जानते हैं इस साल ओणम की तिथि और इससे जुड़ी कथा के बारे में।
ओणम 2020 का शुभ मुहूर्त
मलयालम कैलेंडर के अनुसार ओणम महोत्सव का शुभारंभ 22 अगस्त से होगा। मलयालम कैलेंडर के अनुसार जब चिंगम माह में श्रावण/थिरुवोणम नक्षत्र मजबूत होता है, तब थिरु ओणम का उत्सव मनाया जाता है।
थिरुवोणम नक्षत्रं आरम्भ- अगस्त 30, 2020 को 13:52:20 से
थिरुवोणम नक्षत्रं समाप्त- अगस्त 31, 2020 को 15:04:17 पर
ओणम का महत्व
चिंगम महीने में ओणम के साथ चावल की फसल का पर्व भी मनाया जाता है। ओणम की कहानी असुर राजा महाबली और भगवान विष्णु से जुड़ी हुई है। ऐसी मान्यता है कि हर साल ओणम पर्व के दौरान राजा महाबली अपनी प्रजा से मिलने और उनका हालचाल जानने के लिए केरल आते हैं। अपने राजा के सम्मान में ही लोग इस त्योहार का आयोजन करते हैं।
ओणम पर्व से जुड़ा धार्मिक कथा
पौराणिक काल में राजा बलि केरल के राजा थे। उनके शासनकाल में केरल की प्रजा बहुत खुशहाल और समृद्ध थी। उनकी प्रजा अपने राजा के प्रति पूर्ण रूप से समर्पित थी। इतिहास में राजा बलि को महादानी और महाबली भी कहा गया है। राजा बलि के शौर्य और साहस की कई गाथाएं मशहूर हैं।
एक प्रचलित कथा के अनुसार राजा बलि ने अपने दम पर तीनों लोकों पर अपना अधिकार जमाया था। इस कारण स्वयं भगवान विष्णु को उनसे युद्ध करने के लिए वामन अवतार लेना पड़ा।
भगवान विष्णु ने राजा बलि से उनका सारा राज्य ले लिया और उन्हें पाताल लोक भेज दिया। मगर राजा बलि को भगवान विष्णु से वरदान मिला कि वो साल में एक बार अपनी प्रजा को देखने के लिए धरती पर आ सकते हैं। ओणम के मौके पर केरल के लोग अपने राजा बलि के आने की ख़ुशी में जोरशोर से तैयारी करते हैं। ओणम महोत्सव राजा बलि और उनकी प्रजा के बीच के मजबूत रिश्ते को दर्शाता है।