Just In
- 30 min ago नारियल पानी Vs नींबू पानी, गर्मियों में हाइड्रेड रहने के लिए क्या पीना है ज्यादा फायदेमंद?
- 2 hrs ago Mukesh Ambani Quotes On Success: हर युवा को प्रेरित करते हैं मुकेश अंबानी के ये विचार
- 3 hrs ago Happy Birthday Mukesh Ambani: बुलंदियों पर पहुंचकर भी जड़ों को न भूलने वाले मुकेश अंबानी को दें जन्मदिन की बधाई
- 4 hrs ago Kamada Ekadashi 2024 Wishes: श्रीहरि विष्णु की कृपा के साथ प्रियजनों को भेजें कामदा एकादशी की शुभकामनाएं
Don't Miss
- Finance Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव 2024 के पहले चरण के दिन क्या बंद रहेंगे बैंक, यहां से जाने डीटेल
- News Israle-Iran Live: इजराइल ने ईरान पर मिसाइलों से किया जोरदार हमला, परमाणु ठिकाने वाले शहर में धमाके
- Movies दिव्यांका त्रिपाठी का एक्सीडेंट, टूट गईं इस जगह की हड्डियां, पति ने रद्द किए सारे इवेंट्स!
- Technology Youtube, UPI पेमेंट सपोर्ट के साथ Itel ने भारत में नया फीचर फोन किया लॉन्च, दाम 1800 रुपये से कम
- Education Jharkhand Board 10th Result 2024: कल आयेगा झारखंड बोर्ड 10वीं का परिणाम, कैसे चेक करें JAC Matric Result
- Travel बोरिंग जिंदगी से चाहिए ब्रेक तो घूम आएं ये 6 बटरफ्लाई पार्क, जहां फूलों में रंग भरती हैं तितलियां
- Automobiles टोल प्लाजा पर अब नहीं होंगे ये बोर्ड! केंद्र सरकार ने लिया अहम फैसला, जानें डिटेल्स
- Sports Japan Open 2023: सेमीफाइनल में पहुंचे लक्ष्य सेन, एचएस प्रणय की विक्टर एक्सेलसन से भिड़ंत आज
इस साल का पितृ पक्ष है विशेष, नवरात्रि से पहले लग जाएगा अधिकमास
हर साल पितृपक्ष के समय पर पूर्वजों के लिए श्राद्ध कर्म किया जाता है। इस अवधि में विशेष तौर पर पिंडदान, तर्पण, हवन और अन्न दान किया जाता है। यह समय पूर्ण रूप से पितरों को समर्पित माना जाता है। श्राद्ध करने से पितरों को शांति मिलती है और परिवार पर उनका आशीर्वाद बना रहता है। ऐसा माना जाता है कि पितृ पक्ष में जो लोग अपने पितरों का तर्पण नहीं कराते हैं उन्हें पितृदोष लगता है। जानते हैं इस साल पितृ पक्ष कौन सी तिथि से लगने वाला है और इस बार कौन सा विशेष संयोग बन रहा है।
पितृ पक्ष की तिथि
इस साल श्राद्ध 1 सितंबर से शुरू होंगे और 17 सितंबर को समाप्त होंगे।
पहला श्राद्ध (पूर्णिमा श्राद्ध) -1 सितंबर 2020
दूसरा श्राद्ध -2 सितंबर
तीसरा श्राद्ध -3 सितंबर
चौथा श्राद्ध -4 सितंबर
पांचवा श्राद्ध -5 सितंबर
छठा श्राद्ध -6 सितंबर
सांतवा श्राद्ध -7 सितंबर
आंठवा श्राद्ध -8 सितंबर
नवां श्राद्ध -9 सितंबर
दसवां श्राद्ध -10 सितंबर
ग्यारहवां श्राद्ध -11 सितंबर
बारहवां श्राद्ध -12 सितंबर
तेरहवां श्राद्ध -13 सितंबर
चौदहवां श्राद्ध -14 सितंबर
पंद्रहवां श्राद्ध -15 सितंबर
सौलवां श्राद्ध -16 सितंबर
सत्रहवां श्राद्ध -17 सितंबर (सर्वपितृ अमावस्या)
पितृ पक्ष पर विशेष संयोग
हिंदू धर्म में पितृ पक्ष काफी महत्वपूर्ण माना गया है। इस बार 19 साल बाद ऐसा संयोग बन रहा है कि पितृ पक्ष और नवरात्र के बीच में एक महीने का अंतर रहेगा। दरअसल पितृ पक्ष के बाद अधिकमास लग जाएगा और इस वजह से नवरात्रि का पावन पर्व 17 अक्टूबर से शुरू होगा।
श्राद्ध का महत्व
पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध किया जाता है। यहां श्राद्ध का अर्थ श्रद्धापूर्वक अपने पितरों के प्रति सम्मान और आस्था प्रकट करने से है। पितृ पक्ष के समय में लोग अपने पूर्वजों को याद करते हैं और उनका आशीर्वाद पाने के लिए प्रार्थना करते हैं। 15 दिन की इस अवधि को श्राद्ध पक्ष भी कहा जाता है। वैदिक ज्योतिष के मुताबिक जब कन्या राशि में सूर्य का प्रवेश होता है तब उसी दौरान पितृ पक्ष मनाया जाता है। भारतीय धर्मशास्त्र एवं कर्मकाण्ड के अनुसार पितर देव स्वरूप होते हैं।