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Varalakshmi Vrat 2022: इस विधि से करें देवी वरलक्ष्मी की पूजा, कंगाल से हो जाएंगे मालामाल
हर साल सावन महीने के अंतिम शुक्रवार को वरलक्ष्मी का व्रत रखा जाता है। वरलक्ष्मी देवी लक्ष्मी का ही स्वरूप है। इस दिन लक्ष्मी जी के साथ गणेश जी की भी पूजा की जाती है। साल 2022 में 12 अगस्त,शुक्रवार को यह पूजा पड़ने वाली है। कहा जाता है कि देवी वरलक्ष्मी की पूजा करने से सुख समृद्धि आती है। शादीशुदा महिलाएं यह व्रत अपने पति और बच्चों की लंबी आयु के लिए रखती हैं। आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, उत्तरी तमिलनाडु और तेलंगाना में यह व्रत और पूजा बहुत ही महत्वपूर्ण मानी जाती है।
आइए जानते हैं इस बार पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है, साथ ही हम आपको पूजा की सही विधि के साथ और भी कई जानकारियां देंगे।
शुभ मुहूर्त
जानकारों के अनुसार 12 अगस्त, शुक्रवार को सुबह 6 बजकर 14 मिनट से 8 बजकर 32 मिनट तक पूजा का शुभ मुहूर्त है। इसके बाद दोपहर 1 बजकर 7 मिनट से 3 बजकर 26 मिनट तक और शाम 7 बजकर 12 मिनट से रात्रि 8 बजकर 40 मिनट तक भी पूजा के अच्छा समय है।
पूजा की विधि
वरलक्ष्मी जी की मूर्ति या चित्र को स्थापित करने से पहले उस स्थान पर गंगा जल जरूर छिड़कें। लकड़ी की चौकी पर लाल वस्त्र बिछाकर वरलक्ष्मी जी के साथ गणेश जी को रखना न भूलें। इसके बाद कुमकुम, चंदन, इत्र, धूप, वस्त्र, कलावा, अक्षत और नैवेद्य अर्पित करें। गणेश जी के आगे घी का दीपक जलाएं और देवी मां के सामने सरसों के तेल का दीपक जलाएं। अब व्रत कथा पढ़ें या सुनें और फिर आरती करें। कमलगट्टे या स्फटिक की माला से मां लक्ष्मी के मंत्र का जाप करें। इस दिन लक्ष्मी जी के आठ स्वरूपों की पूजा करना बेहद शुभ माना जाता है।
बन रहा है ये शुभ संयोग
इस बार वरलक्ष्मी व्रत सावन की पूर्णिमा को पड़ रहा है जिससे बहुत ही अच्छा संयोग माना जा रहा है। ऐसे में इस पूजा का महत्व और भी बढ़ गया है।
आने वाली पीढ़ियों को भी मिलता है वरलक्ष्मी जी का आशीर्वाद
वरलक्ष्मी जी की पूजा करने से जीवन में खुशहाली आती है। इस पूजा से पैसों की तंगी दूर होती है और घर में किसी भी चीज़ की कमी नहीं रहती है। साथ ही देवी मां की कृपा आने वाली पीढ़ियों पर भी बनी रहती है। यह व्रत और पूजा केवल शादीशुदा लोग ही करते हैं। वरलक्ष्मी देवी की पूजा पुरुष भी कर सकते हैं।