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हौसले के दम पर उड़ेगी उड़ान, ये है दुनिया की सबसे कम उम्र की बोइंग पायलट
ये है दुनिया की सबसे कम उम्र की बोइंग 777 की महिला कमांडर। आइए पढ़ते है इनके बारे में-
आज वह बोइंग 777 फ्लाइट उड़ाने वाली विश्व की सबसे कम उम्र (30 साल) की महिला कमांडर हैं। बहुत हौंसले के साथ आसमान कहते है ना सपने बड़े होने चाहिए। बचपन से पायलट बनने का सपना देखने वाली दिव्या इतनी जल्दी अपने सपनों के आसमान में उड़ेगी ऐसा उन्होंने भी नहीं सोचा होगा। लेकिन अपने बुलंद हौंसले की वजह से उन्होंने इतनी कम उम्र में ही यह सपना पूरा कर दिखाया।
दिव्या के पिता भारतीय सेना में कार्यरत थे। अपने सपने पूरे करने के लिए दिव्या को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। जब वह पठानकोट से विजयवाड़ा शिफ्ट हुईं तो छोटे शहर से होने की वजह से दिव्या को खुद को एडजेस्ट करने में काफी परेशानी हुई। शुरुआत में इंग्लिश नहीं बोल पाने के कारण लोग उनका मजाक उड़ाते थे।
19 साल में ही मिल गई थी कमान
17 साल में अपनी स्कूलिंग पूरी करने के बाद दिव्या ने यूपी के फ्लाइंग स्कूल इंदिरा गांधी राष्ट्रीय उड़ान एकेडमी में एडमिशन लिया। 19 साल की उम्र में उन्होंने अपनी ट्रेनिंग पूरी की और एयर इंडिया के साथ जॉब का ऑफर मिला। इसके बाद वह स्पेन में ट्रेनिंग के लिए गई और तब वहां उन्हें बोइंग 737 की कमान सौंपी गईं।
यह था टर्निंग प्वाइंट
दो साल के बाद, दिव्या दूसरी ट्रेनिंग के लिए लंदन गईं और वहां उन्हें बोइंग 777 की कमान मिली। यह सबसे कम उम्र की कमांडर के लिए टर्निंग पॉइंट था। उन्होंने पूरे विश्व की उड़ान कराई और अपने आलोचकों का मुंह बंद किया। अपनी कामयाबी के पीछे वो अपने पैरंट्स और फैमिली को बताती हैं।
अंग्रेजी में थी दिक्कत
दिव्या को अंग्रेजी माहौल में रहने और अंग्रेजी बोलने में परेशानी होती थी। अक्सर उनकी खराब अंग्रेजी का मजाक उड़ता था। एक वक्त तो उन्होंने सब छोड़ने की ठानी, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। फिर उन्होंने स्कॉलरशिप पाने के लिए कड़ी मेहनत की और वो मिल गई।
कम है महिला पायलटों की संख्या
दिव्या ने फ्लाइंग के अलावा लॉ में पोस्ट ग्रैजुएशन किया है। कैप्टन को कविताएं लिखना भी अच्छा लगता है। वह अब तक करीब 30 कविताएं उर्दू में लिख चुकी हैं। भारत में महज 15 प्रतिशत महिलाएं पायलट हैं जबकि विश्व स्तर पर यह आंकड़ा तो सिर्फ पांच प्रतिशत ही है। इस पेशे में पुरुषों का वर्चस्व बरकरार है।