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क्‍यों, तवायफ के घर की मिट्टी के बिना नहीं बनती है दुर्गा की मूर्ति..?

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Navratri: वेश्‍यालय की मिट्टी से ही क्‍यों बनती है मां दुर्गा की मूर्ति | Goddess Durga Idol | Boldsky

नवरात्रि शुरु होते ही पश्चिम बंगाल में दुर्गा पूजा फेस्टिवल की तैयारिया भी जोर शोर से शुरु हो जाएंगी। जहां हर जगह पांडाल सजाए जाएंगे, वहीं दुर्गापूजा के दुर्गा माता की बड़ी बड़ी मूर्तियां स्‍थापित की जाएंगी।

इस मुस्लिम देश में सदियों से जल रही मां भगवती की अखंड ज्‍योतइस मुस्लिम देश में सदियों से जल रही मां भगवती की अखंड ज्‍योत

लेकिन माता दुर्गा की मूर्तियों को लेकर एक खास तरह की मान्यता है। इस मान्यता के अनुसार इन मूर्तियों को बनाने के लिए तवायफ के घर बाहर या रेडलाइट एरिया से मिट्टी लाई जाती है।

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मूर्ति बनाने वाले कलाकारों का कहना है कि परंपरा के मुताबिक रेडलाइट एरिया की मिट्टी को जब तक मूर्ति में इस्तेमाल नहीं किया जाता तब तक वह पूर्ण नहीं मानी जाती। हालांकि पहले कारीगर या फिर मूर्ति बनवाने वाले सेक्स वर्कर्स के घरों से भिखारी बनकर मिट्टी मांग कर लाते थे, लेकिन बदलते समय के साथ ही इस मिट्टी को भी अब इसका कारोबार होने लगा है।

अब मिट्टी का भी होने लगा कारोबार

अब मिट्टी का भी होने लगा कारोबार

पहले दुर्गापूजा मुख्य रूप से पश्चिम बंगाल में मनाया जाता था, लेकिन अब यह पूरे देश में मनाया जाने लगा है। सोनागाछी पश्चिम बंगाल का सबसे बड़ा रेडलाइट एरिया है और अधिकतर जगह मूर्तियों में सोनागाछी की मिट्टी का इस्तेमाल होता है।

एक मूर्ति के सेट में माता दुर्गा, शेर, भैंसा और राक्षस एक प्लेटफॉर्म पर तैयार किए जाते हैं, जबकि मां सरस्वती, लक्ष्मी माता, श्री गणेश और कार्तिकेय की मूर्तियां इसके साथ होती हैं। पहले तो कारीगर या फिर मूर्ति बनवाने वाले सेक्स वर्कर्स के घरों से भिखारी बनकर मिट्टी मांग कर लाते थे, लेकिन अब इसका कारोबार होने लगा है।

सोनागाछी की मिट्टी के बिना नहीं बनती है मूर्ति

सोनागाछी की मिट्टी के बिना नहीं बनती है मूर्ति

दुर्गा पूजा में सिर्फ बंगाल में ही वेश्यालयों के की मिट्टी का इस्तेमाल नहीं किया जाता बल्कि संपूर्ण देश में वेश्यालय की मिट्टी का इस्तेमाल किया जा सकता है जिसकी कीमत 300 से 500 रुपए बोरी होती है वेश्यालय की मिट्टी से बनी मां दुर्गा की प्रतिमा की कीमत 5 हजार से लेकर 15 हजार तक होती है।

आखिर ऐसी मान्यता क्यों है?

आखिर ऐसी मान्यता क्यों है?

सेक्स वर्कर के घर के बाहर की मिट्टी इस्तेमाल करने के पीछे मान्यता यह है कि जब कोई व्यक्ति ऐसी जगह पर जाता है तो उसकी सारी अच्छाइयां बाहर रह जाती हैं। उसी बाहर की मिट्टी को मूर्ति में लगाया जाता है।

नारी शक्ति

नारी शक्ति

एक अन्य मान्यता बारे कहा जाता है कि नारी ‘शक्ति' है और अगर वह कहीं गलत है तो उसके पीछे समाज और वक्त की खामियां रही होंगी। इसलिए उन्हें सम्मान देने के लिए ऐसा किया जाता है।

एक और मान्‍यता

एक और मान्‍यता

ऐसी ही एक और मान्यता बताई जाती है कि एक वैश्‍या मां दुर्गा के परम भक्त थे और उस वेश्या को समाज से तिरस्कार से बचाने के लिए मां दुर्गा ने उस वेश्या को यह वरदान दिया था की उसके यहां की मिट्टी का इस्तेमाल जब तक उनकी प्रतिमा में नहीं किया जाएगा वह प्रतिमाएं अपूर्ण मानी जाएगी।

English summary

Why The Soil From Brothel Is Used For Making Durga Puja Idols.

The soil is known as "Punya Maati" and it originates from the Nishiddho Palli or Red-light regions.
Story first published: Thursday, September 21, 2017, 18:28 [IST]
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