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इतिहास: रविंद्र नाथ टेगोर ने नहीं इस गुमनाम स्वतंत्रता सेनानी ने 'जन गण मन' के लिए बनाई थी धुन
जब भी राष्ट्रगान की धुन पर सावधान में खड़े होते हैं, तो हमें इसे लिखने वाले महाकवि रबीन्द्रनाथ टैगोर तो याद आते है, पर क्या आप जानते हैं कि इसकी धुन किसने बनायी थी? शायद कम ही लोग जानते होंगे कि हमारे राष्ट्रगान 'जन गण मन...' की धुन हिमाचल प्रदेश के एक स्वतंत्रता सेनानी ने बनाई थी। जिसके बारे में बहुत ही कम लोग जानते हैं। 15 अगस्त 1914 को धर्मशाला के चीलगाड़ी में जन्मे राम सिंह का बाल्यकाल धौलाधार की गोद में बसे खनियारा गांव में गुजरा।
बचपन में जानवर के सींग से वाद्य यंत्र बनाकर सुर निकालने वाले राम सिंह 1922 में 14 साल की उम्र में गोरखा ब्वॉय कंपनी में भर्ती हुए। ब्रिटिश सेना में सेवाएं देने के बाद वह नेताजी सुभाष चंद्र बोस की आजाद हिंद फौज में आ गए।
द्वितीय विश्व युद्ध में भी दिया योगदान
अगस्त 1941 में उन्हें द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान सेना के साथ मलय और सिंगापुर भेजा गया। यहाँ पर जापानी सेना ने युद्ध के दौरान ब्रिटिश सेना के बहुत से सिपाहियों को बंदी बना लिया। इन सिपाहियों में लगभग 200 सिपाही भारतीय थे, जिनमें से राम सिंह भी एक थे। साल 1942 में, इन्ही बंदी बनाये गये भारतीय सिपाहियों को रिहाई के बाद एकजुट करके नेताजी सुभाष चन्द्र बोस ने 'आज़ाद हिन्द फौज' की स्थापना की। राम सिंह जब पहली बार नेताजी से मिले, तो उन्होंने उनके सम्मान में मुमताज़ हुसैन के लिखे एक गीत को अपनी धुन देकर तैयार किया। यह गीत था:
"सुभाष
जी,
सुभाष
जी,
वो
जाने
हिन्द
आ
गये
है
नाज
जिस
पे
हिन्द
को
वो
जाने
हिन्द
आ
गये"
नेताजी उनकी संगीत निपुणता से इस कदर प्रभावित हुए कि उन्होंने अपना वायलिन राम सिंह को उपहार स्वरुप भेंट किया।
ऐसे बनी धुन
वैसे तो यह गीत महाकवि, रबीन्द्रनाथ टैगोर द्वारा लिखा गया और इसकी वास्तविक धुन भी उन्होंने ही बनाई थी। लेकिन आज जिस धुन के साथ हम अपने राष्ट्रगान को गाते और सुनते हैं, वह कैप्टेन राम सिंह ठाकुरी ने तैयार की थी। आज़ाद हिन्द फौज के गठन से एक साल पहले ही नेताजी ने अपने दल का राष्ट्रगान तय कर लिया था। इसके लिए उन्होंने टैगोर की एक बंगाली कविता 'भारतो भाग्यो-बिधाता' को चुना। यह वही कविता है जिससे भारत का आधुनिक राष्ट्रगान, 'जन-गण-मन' लिया गया है।
कई देशभक्ति के गीतों को दी धुन
अपने सैन्य सफर में कैप्टन राम सिंह ठाकुर ने कदम कदम बढ़ाए जा... जैसे कई देशभक्ति गीतों की धुनें बनाईं। 15 अगस्त 1947 को कैप्टन राम सिंह के नेतृत्व में आईएनए (इंडियन नेशनल आर्मी) के आर्केस्ट्रा ने लाल किले पर शुभ सुख चैन की बरखा बरसे...गीत की धुन बजाई। यह गीत रविंद्रनाथ टैगोर के जन गण मन... का हिंदी अनुवाद था।