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जन्म से पहले भी बच्चे को सुनाई देती हैं आपकी सारी बातें
डिलीवरी से पहले हर माता-पिता का अपने बच्चे से बात करने का मन करता है। ऐसी धारणा है कि जन्म से पहले गर्भाश्य के अंदर पल रहे बच्चे को बाहरी हलचलों के बारे में कोई अहसास नहीं होता और ना ही उसे बाहर की कोई आवाज़ सुनाई देती है लेकिन ऐसा नहीं है।
जी हां, हाल ही में हुए एक अध्ययन में ये बात सामने आई है कि नौवें महीने के दौरान गर्भाश्य में पल रहा बच्चा बाहर की कुछ आवाज़ों को सुन सकता है।
रिसर्च की मानें तो पेट में पल रहा बच्चा भी आपकी बातों को ना केवल सुन सकता है बल्कि वो बार-बार आने वाली आवाज़ों और मनुष्य की बातों के अंतर को भी पहचान पाता है।
कुछ तरह की आवाज़ें सुनने पर भ्रूण की ह्रदय गति में हल्का-सा बदलाव आने लगता है। वहीं अन्य तरह की आवाज़ों के प्रति बच्चे के ह्रदय की गति समान रहती है।
सुनने की क्षमता
इस रिसर्च के परिणामों को देखने के बाद शोधकर्ताओं का मानना है कि जन्म से पहले ही बच्चे की भाषा और सुनने की क्षमता विकसित होने लगती है। हालांकि जन्म के बाद उसकी इस क्षमता का विकास होता है और धीरे-धीरे वो बोलने और सुनने लगता है लेकिन जन्म से पहले ही वो ये सब थोड़ा-बहुत सीख जरूर लेता है।
प्रसव से पूर्व संवेदनशीलता
अध्ययन की मानें तो कुछ आवाज़ों के प्रति भ्रूण अपनी प्रतिक्रिया देने लगता है। इसे ध्वनि के प्रति प्री-नेटल सेंसिटिविटी कहते हैं। इसके द्वारा बच्चे की सुनने की क्षमता और भाषा सीखने का विकास होता है।
क्या कहता है शोध
इस अध्ययन में 20 से ज्यादा गर्भवती महिलाओं ने हिस्सा लिया था। ये सभी महिलाएं गर्भावस्था के आठवें चरण से गुज़र रही थीं। जब इनके सामने कुछ विशेष प्रकार की आवाज़ें की गईं तो उन्हें अहसास हुआ कि उनके पेट में पल रहा बच्चा उन आवाज़ों पर अपनी प्रतिक्रिया दे रहा है। शोधकर्ताओं ने इन सभी बातों को आधार बनाकर ये निष्कर्ष निकाला है।
क्या भ्रूण को सुनाई देती हैं आवाज़ें ?
सबसे पहले बच्चे को अंदर की आवाज़ें सुनाई देना शुरु होता है। मां के शरीर में हो रही हलचलों और आवाज़ों को बच्चा सबसे पहले सुनना शुरु करता है। इसके अलावा बाहरी वातावरण की कुछ विशेष आवाज़ें भी बच्चे के कानों तक पहुंच पाती हैं।
सुनने की क्षमता का विकास
शोधकर्ताओं का मानना है कि बाहर की कुछ विशेष ध्वनियों के कारण बच्चे की सुनने की क्षमता विकसित होने लगती है साथ ही उसके आडिट्री कोर्टेक्स का भी विकास होना शुरु हो जाता है। वहीं जन्म के बाद बच्चा भाषा को सीखने और समझने लगता है।