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इकलौती संतान वाले माता-पिता के लिए 6 बेहतरीन पैरेंटिग टिप्स
हर कोई चाहता है कि उसके इस दुनिया से जाने के बाद कोई ऐसा भी हो, जो उसका और उसके वंश का नाम चलाएं और उसे याद रखे। पुराने ज़माने में लोग कई-कई बच्चों को जन्म देते थे, लेकिन आज के आधुनिक युग में लोग एक या दो से ज्यादा बच्चों को जन्म देना उचित नहीं समझते है। समाज में लोगों की समझ का स्तर बढ़ा है, अब अच्छे और समझदार परिवारों में सिर्फ एक ही बच्चे का जन्म सही माना जाता है। बच्चों पर चॉकलेट का प्रभाव : पैरेंटस के लिए टिप्स
घर
में
एक
या
दो
बच्चे
के
होने
से
उनकी
परवरिश
और
पढ़ाई
अच्छे
से
होती
है।
लेकिन
जिस
घर
में
इकलौती
संतान
होती
है
वहां
बच्चे
को
काफी
संभालकर
और
समझदारी
से
ट्रीट
करना
पड़ता
है।
कई
बार
वह
ज्यादा
लाड़-प्यार
में
बिगड़
जाता
है।
बोल्डस्काई
के
इस
आर्टिकल
में
इकलौती
संतान
के
माता-पिता
के
लिए
कुछ
बेहतरीन
टिप्स
बताएं
जा
रहे
हैं
:
1) उम्मीद : अकेली संतान होने पर मां-बाप की उम्मीदें अपने बच्चे से बहुत ज्यादा हो जाती है और वह उस पर अपनी सारी महत्वाकांक्षाएं थोपने लगते है। इससे बच्चे को स्ट्रेस बढ़ता है। ऐसा हरगिज न करें।
2) अकेलापन : कई पैरेंटस की आदत होती है कि वह अपने इकलौते बच्चे को बहुत ज्यादा टाइम देते है, हर समय उसी के साथ रहना। इससे बच्चा अपनी उम्र के साथ वाले बच्चों के साथ टाइम नहीं बिता पाता है और अकेलापन महससू करता है, इससे उसे खीझ भी आती है और कई बार बच्चे चिढचिढे भी हो जाते है।
3) सेल्फ हेल्प : अकेला बच्चा होने पर भी उसे सेल्फ डिपेन्डेंट बनाएं। उसे कभी भी ऐसा न जताएं कि आपका जो कुछ भी है वह सब उसी का है।
4) न नहीं कहना : जब बच्चा इकलौता होता है तो मां-बाप हर इच्छा पूरी कर देते है, ऐसा कतई न करें। न कहना सीखें। हर मांग पूरी करने से बच्चे की आदत बिगड़ जाएगी। उसे जरूरत वाला सामान ही दिलाएं। अनुशासन रखना बेहद आवश्यक है।
5) ज्यादा सुरक्षा : इकलौती संतान होने पर माता-पिता कुछ ज्यादा ही सुरक्षा करने लगते है, कहां जा रहे हो, 5 मिनट लेट होने पर भी टेंशन लेते है। ऐसा न करें। अगर आप किसी बात को लेकर परेशान है तो बच्चे के साथ शेयर करें और उसे समझाएं न कि चिल्लाकर सवाल पूछें। इससे उसका कभी भी विकास नहीं हो पाएगा और वह बुद्ध हो जाएगा।
6) सेफ आउटलेट : कई बार अकेली संतान को माता-पिता सेल्फ आउटलेट बना देते है। जबकि उनके साथ वाले अन्य बच्चे बिंदास हो जाते है। बच्चे को कभी भी ज्यादा प्रोटेक्ट न करें। उसे खुले अंदाज में रहने दें, ज्यादा डराएं नहीं और न ही एक्ट्रा केयर दिखाएं। उसकी परवरिश उसी अंदाज में करें, जिस तरह से आपके माता-पिता ने सभी भाई-बहनों की थी।