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मां बनने जा रही हैं तो गुड़ खूब खाएं
छरहरी
काया
और
त्वचा
की
देखभाल
सम्बंधी
उत्पाद
बनाने
वाली
कम्पनी
वीएलसीसी
ने
यह
सर्वेक्षण
किया।
सर्वेक्षण
में
देशभर
की
उच्च
व
मध्यवर्गीय
समूह
की
करीब
1,500
महिलाओं
को
शामिल
किया
गया
था।
सर्वेक्षण
के
मुताबिक
शहरी
भारत
में
24
प्रतिशत
किशोर
ऐसे
हैं
जिनका
जन्म
के
समय
वजन
कम
(2.5
किलोग्राम
से
कम)
था
जबकि
केवल
14.7
प्रतिशत
का
ही
जन्म
के
समय
सामान्य
वजन
था।वीएलसीसी
के
इस
सर्वेक्षण
की
मुख्य
शोधकर्ता
वीना
अग्रवाल
ने
आईएएनएस
को
बताया,
"जन्म
के
समय
शिशुओं
के
कम
वजन
के
लिए
जीवनशैली
एक
प्रमुख
जिम्मेदार
कारक
है।"
अग्रवाल कहती हैं कि गर्भावस्था के पहले तीन महीने के दौरान महिलाओं को उल्टी, मितली व थकान की शिकायत रहती है और वे कम भोजन ग्रहण कर पाती हैं। इसके परिणामस्वरूप भ्रूण को सही पोषण नहीं मिल पाता है। अग्रवाल कहती हैं कि अच्छे पोषण के लिए महिलाओं को माल्ट युक्त खाद्य पदार्थ लेने चाहिए। इसके लिए अंकुरित रागी, जौ और सोया का सेवन किया जा सकता है।
'एस्कॉर्ट्स हार्ट इंस्टीट्यूट' में वरिष्ठ सलाहकार धीरज भाटिया कहते हैं कि गर्भवती महिलाओं के लिए एक बार में ज्यादा भोजन करने से अच्छा है कि वे दिनभर में पांच से छह बार थोड़ा-थोड़ा भोजन लें। इससे उन्हें ज्यादा पोषण मिलेगा।गर्भावस्था के अंतिम तीन महीनों में महिलाओं को अधिक पोषण की आवश्यकता होती है। इस दौरान उन्हें धीरे-धीरे अपनी खुराक में प्रोटीन की मात्रा बढ़ानी चाहिए। इसके लिए वे दूध, अंडे, मछली, प्रोटीन युक्त सब्जियां, अनाज और दालें ले सकती हैं।
'इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ सेरीब्रल पाल्सी' (आईएसीपी) की महासचिव जी. शशिकला कहती हैं कि संतुलन बनाए रखने के लिए ग्लूकोज की अधिकता वाला भोजन लेना बहुत महत्वपूर्ण है। वह कहती हैं कि मां बनने वाली महिलाओं के लिए यह बहुत महत्वपूर्ण है कि वे अपने भोजन में गुड़ को शामिल करें।उन्होंने कहा कि तनाव के कारण भी शिशु का वजन कम होता है और इसे दूर करने का सबसे अच्छा उपाय गर्भवती महिलाओं का व्यायाम करना है।