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क्या प्रेगनेंसी के दौरान खजूर खाने से कम हो सकती है प्रसव पीड़ा
गर्भावस्था के दौरान मॉर्निंग सिकनेस और उल्टी के अलावा ऐसा बहुत कुछ होता है जो आपको किसी सपने की तरह लगता है।
डिलीवरी तक महिलाओं के मन में कई तरह के डर बैठे रहते हैं। प्रसव के दौरान होने वाले दर्द और लंबे समय तक प्रसव के दर्द को लेकर महिलाएं अकसर चिंतित रहती हैं।
कहा जाता है कि खजूर खाने से प्राकृतिक तरीके से ही प्रसव की पीड़ा में और उसक अवधि में कमी आती है। आइए जानते हैं कि इस बात में कितनी सच्चाई है।
क्या खजूर का असर प्रसव पीड़ा और उसकी अवधि को कम कर देता है
खजूर खाने से प्रसव पीड़ा की अवधि कम हो जाती है और इससे प्रसव के दौरान दर्द भी कम होता है। वैसे तो ऐसे कई मेडिकल तरीके हैं जिनसे प्रसव के दौरान आपको ज्यादा दर्द महसूस नहीं होता है लेकिन प्राकृतिक तरीके सबसे ज्यादा बेहतर होते हैं। प्रसव की पीड़ा को कम करने के लिए आप प्राकृतिक तरीकों का इस्तेमाल भी कर सकते हैं। शोधकर्ताओं ने भी इस बात को स्वीकार किया है कि खजूर का सेवन करने से प्रसव का दर्द कम होता है।
प्रसव पर खजूर का प्रभाव
जो महिलाएं गर्भावस्था के दौरान खजूर का सेवन करती हैं उनमें केवल 28 प्रतिशत महिलाओं को ही प्रसव के दौरान किसी भी तरह की दवा की जरूरत पड़ती है जबकि खजूर ना खाने वाली महिलाओं की 47 प्रतिशत है। इन महिलाओं को प्रसव के दौरान दवाओं का ज्यादा प्रयोग करना पड़ा।
शोधकर्ताओं ने रिसर्च के दौरान एक तरफ कुछ गर्भवती महिलाओं को रोज़ 6 खजूर खाने को कहा और उन महिलाओं पर भी नज़र जिन्होंने खजूर का सेवन नहीं किया था। शोधकर्ताओं ने पाया कि खजूर का सेवन ना करने वाली महिलाओं की तुलना में खजूर खाने वाली महिलाओं में सर्वाइकल डाइलटेशन ज्यादा रहा।
जिन महिलाओं ने गर्भावस्था के दौरान खजूर का सेवन किया उन्हें प्रसव के दौरान 510 मिनट के लिए पीड़ा हुई जबकि खजूर ना खाने वाली महिलाओं को इससे दोगुना यानि 906 मिनट तक प्रसव पीड़ा सहनी पड़ी।
खजूर से प्रसव पर क्यों पड़ता है असर
खजूर खाने से शरीर में ऑक्सीटोसिन का स्तर बढ़ जाता है। ऑक्सीटोसिन रिसेप्टर्स से शुरुआती समय में गर्भाशय के संकुचन में तेजी आती है। शोधकर्ता पूरी तरह से तो इस निष्कर्ष पर नहीं पहुंच पाए हैं कि प्रसव पीड़ा को कम करने में खूजर किस तरह से फायदेमंद है लेकिन उनका मानना है कि इसका असर ऑक्सीटोसिन पर जरूर पड़ता है।
ऑक्सीटोसिन वो हार्मोन है जो प्रसव को आसान बना देता है। यहां तक कि डॉक्टर्स भी प्रसव की पीड़ा को कम करने के लिए सिंथेटिक ऑक्सीटोसिन लेने की सलाह देते हैं। खजूर में सामान्य शुगर होता है जिसे शरीर बड़ी आसानी से सोख लेता है और इससे ऑक्सीटोसिन का स्तर बढ़ने में भी मदद मिलती है। यही कारण है कि खजूर का प्रभाव ऑक्स्ीटोसिन के स्तर और प्रसव पर पड़ता है।
गर्भावस्था के आखिरी हफ्तों में ऑक्सीटोसिन रिसेप्टर्स की मात्रा बहुत बढ़ जाती है जिससे जिससे गर्भाशय की संवेदनशीलता और उसका संकुचन खुल जाता है। इसके अलावा खजूर का प्रभव एस्ट्रोजन, प्रोजेस्ट्रॉन और प्रोस्टैग्लैंडिन के स्तर पर पड़ता है। ये सभी हार्मोंस प्रसव में अहम भूमिका निभाते हैं।
क्या प्राकृतिक तरीकों से घट सकती है प्रसव पीड़ा ?
59 प्रतिशत ऑटोहाइप्नोसिस का प्रयोग करने वाली महिलाओं को दर्द से राहत दिलाने वाली दवाओं का सेवन करना नहीं पड़ता है।
कई तरीके हैं लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि प्रसव से पहले महिलाओं को प्रसव के तरीकों के बारे में जान लेना चाहिए और इस बात का भी पता कर लेना चाहिए कि उन्हें कौन-सा तरीका सबसे ज्यादा सूट करता है।
गर्भावस्था की मुश्किलों और प्रसव पीड़ को कम करने के लिए आप योग और संगीत थेरेपी का इस्तेमाल भी कर सकती हैं।
अन्य शोध में सामने आया है कि प्रसव पीड़ा को कम करने में हिप्नोसिस भी अहम भूमिका निभाता है। प्रसव के दौरान तनाव और बेचैनी से बचने के लिए सांस से संबंधित व्यायाम जरूर करें।