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क्या HIV संक्रमित गर्भवती को हो सकता है स्वस्थ और HIV नेगेटिव शिशु!
अगर आप एचआईवी पॉजीटिव है और गर्भवती है तो ऐसे में आपका पहला डर होता है कि आपकी होने वाली संतान का क्या होगा? कही एचआईवी वायरस उस तक नहीं पहुंच जाएं लेकिन डरने की बात नहीं है जरुरी नहीं है कि अगर माता पिता एचआईवी हो तो बच्चा भी एचआईवी संक्रमित होगा।
अगर समय रहते हुए एचआईवी पॉजीटिव गर्भवती डॉक्टर से अपना ईलाज करवाना शुरु करवा देना चाहिए ताकि समय रहते बच्चें को एचआईवी के खतरे से बचाया जा सकें। आइए जानते है कि एचआईवी पॉजिटिव गर्भवती कैसे प्राकृतिक गर्भधारण से एक एचआईवी निगेटिव या स्वस्थ बच्चा पा सकते हैं?
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एचआईवी के सम्पर्क में ऐसे आता है शिशु
- गर्भावस्था के दौरान, अपरा को पार करते हुए
- जन्म के दौरान, शरीर के तरल पदार्थों के संपर्क में आने से
- स्तनपान के दौरान, स्तनदूध के जरिये
एंटी रेट्रोवाइरल थैरेपी दी जाती है
अगर आप एचआईवी पॉजीटिव हैं, तो गर्भावस्था के दौरान आपकी विशेष देखभाल देखभाल की जरुरत होती है इस दौरान एंटी रेट्रोवाइरल थेरेपी (एआरटी) गर्भवती को दी जाती है जो कि वायरस के इलाज में मदद करता है। ये दवाएं वायरस को नहीं मारती लेकिन उनकी प्रगति धीमी कर देती है और वायरस के विकास को रोकती हैं। यह एचआईवी वायरस की प्रक्रिया को पूर्ण विकसित एड्स में बदलने के समय को आगे धकेल देता है। इन उपचारों से गर्भावस्था और जन्म के दौरान शिशु तक संक्रमण पहुंचने की संभावना काफी कम हो सकती है।
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HIV पॉजीटिव को करना चाहिए सेफ सेक्स
एचआईवी पॉजिटिव लोगों को हमेशा सुरक्षित सेक्स करना चाहिए। इसका कारण यह है कि अगर एक साथी का वायरल लोड अधिक है तो दूसरे के लिए दवाओं के प्रति शक्तिशाली रेज़िस्टेंस प्रतिरोधी वायरल निशान को पार करने का एक मौका है। इसलिए यदि दो एचआईवी पॉजिटिव लोग बच्चे को जन्म देने और स्वाभाविक रूप से गर्भ धारण करने की योजना बनाते हैं तो उन्हें यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि उनका वायरल लोड कम है, जो एआरटी केंद्रों पर समुचित परीक्षण और परामर्श के द्वारा किया जा सकता है।
नॉर्मल या सीजेरियन प्रसव
एचआईवी से ग्रसित गर्भवती महिला का प्रसव सामान्य होगा या फिर सीजेरियन होगा, यह काफी हद तक इस बात पर निर्भर करेगा कि आपका संक्रमण कितना नियंत्रित है। अगर वायरस का स्तर कम है, तो डॉक्टर आपको प्राकृतिक प्रसव की सलाह दे सकती है। अगर, रक्त जांच में पता चलता है कि विषाणुओं का स्तर काफी ज्यादा है, तो शायद आपको सीजेरियन ऑपरेशन करवाने की सलाह दी जा सकती है। सीजेरियन प्रसव के जरिये जन्म के दौरान शिशु के एच.आई.वी. से संक्रमित होने का खतरा कम हो जाता है। शिशु का जन्म किस तरह होगा, यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि आप किस तरह का उपचार ले रही हैं।
12 सप्ताह के बाद एचआईवी टेस्ट
अगर माँ को एच.आई.वी. है, तो जन्म के तुरंत बाद विषाणुओं के स्तर का पता लगाने के लिए शिशु की जांच की जानी चाहिए। शिशु के छह सप्ताह का होने पर यह जांच दोबारा की जाती है। जब शिशु 12 सप्ताह का हो जाता है तो यह जांच फिर से की जाती है। हो सकता है आपके शिशु को इसके बाद भी अतिरिक्त जांच करवाने की जरुरत पड़े।
एचआईवी पॉजिटिव मां बच्चें को स्तनपान न कराएं
एचआईवी विषाणु स्तनदूध के जरिये माँ से शिशु तक पहुंच सकता है। इसलिए, अगर आप एच.आई.वी. पॉजिटिव हैं, तो आपको शिशु को डिब्बाबंद दूध (फॉर्मूला दूध) पिलाने की सलाह दी जाएगी।
18 महीनें के बाद कराए शिशु का रक्त परीक्षण
एच.आई.वी. ग्रस्त मां से जन्मे शिशु अपने रक्त में इस विषाणु के खिलाफ एंटीबॉडीज लेकर पैदा होते हैं। हालांकि, अगर शिशु को एच.आई.वी. नहीं है, तो ये एंटीबॉडीज धीरे-धीरे समाप्त हो जाती हैं। कई बार ऐसा होने में 18 महीने भी लग सकते हैं। इसलिए 18 महीने के बाद आपके शिशु को एक ओर रक्त परीक्षण करवाने के लिए कहा जाएगा।