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प्रेगनेंसी के दौरान 'टॉक्सेमिया' से जूझ रही थी सिंगर बियोंसे, जानिए क्या है ये बीमारी?
वोग मैग्जीन को दिए एक इंटरव्यू में अमेरिकी सिंगर बियॉन्से ने अपने प्रेगनेंसी के एक्सपीरियंस शेयर करते हुए बताया कि पिछले साल प्रेग्नेंसी के दौरान वह 'टॉक्सेमिया' नाम की गंभीर बीमारी से जूझ रही थीं। उन्होंने बताया कि डिलीवरी से पहले उनके शरीर में काफी सूजन आ गई थी। इस दौरान उनकी और उनके जुड़वा बच्चों की जान खतरे में पड़ गई थी। बियॉन्से वोग मैग्जीन के सितंबर एडिशन के कवर पेज पर नजर आएगी। हाल ही में बियॉन्से की इस कवरपेज की फोटोज सोशल मीडिया में खूब वायरल भी हो रही थी।
आइए जानते है कि क्या होता है टॉक्सेमिया और क्या है इसके लक्षण प्रेगनेंसी में किस तरह ये प्रेगनेंट महिला के लिए हो सकता है खतरनाक।
क्या है टॉक्सेमिया?
टॉक्सेमिया
प्रेग्नेंसी
से
जुड़ी
एक
गंभीर
स्थिति
है
जिसे
प्री-एक्लेमप्शिया
के
नाम
से
भी
जाना
जाता
है।
ये
स्थिति
प्रेगनेंसी
के
आखिरी
चरण
में
सामान्यता
सामने
आती
है।
ये
स्थिति
हाई
ब्लड
प्रेशर
और
यूरिन
में
अधिक
मात्रा
में
प्रोटीन
बनने
की
वजह
से
बनती
है।
इस
वजह
से
प्रेगनेंसी
के
दौरान
मां
के
शरीर
के
कई
अंग
प्रभावित
हो
सकते
हैं।
खासतौर
से
लीवर
और
किडनी।
इसके
अलावा
इस
स्थिति
में
प्लेसेंटा
का
ठीक
से
विकास
नहीं
होता
है।
प्लसेंटा
एक
ट्यूबनुमा
आकार
की
संरचना
होती
है
जिससे
गर्भ
में
पल
रहे
भ्रूण
को
माता
से
पोषण
मिलता
है।
ऐसा
प्रेग्नेंसी
की
तीसरी
तिमाही
के
दौरान
होता
है।
इस
दौरान
भ्रूण
तक
ऑक्सीजन
और
पोषक
तत्वों
की
सप्लाई
ठीक
से
न
होने
के
कारण
उसके
विकास
पर
असर
पड़
सकता
है।
ये है इसके लक्षण
दुनियाभर में प्री-एक्लेमप्शिया से प्रभावित करीब 3.9 प्रतिशत प्रेगनेंसी के मामले सामने आएं है। इनमें से भी ज्यादात्तर महिलाएं अपनी पहली प्रेगनेंसी के दौरान इस स्थिति से गुजरती है। शरीर में सूजन और हाई ब्लड प्रेशर के अलावा तेज सिरदर्द होना, वजन काफी बढ़ जाना, मिचली आना या पेटदर्द होने जैसे लक्षण दिखते हैं तो गर्भवती महिला को डॉक्टर से मिलना चाहिए।
डिलीवरी नहीं होती है आसान
टॉक्सेमिया या प्री-एक्लेमप्शिया की स्थिति होने पर डिलीवरी करवाना बहुत ही मुश्किल हो जाता है। क्योंकि ये समस्या प्रेगनेंसी के 20 हफ्तों यानी कि तीसरे चरण में मालूम चलती है, जो कि बियोंसे के साथ हुआ। बियोंसे के शरीर में सूजन के चलते डॉक्टर्स ने सी-सेक्सन के जरिए उनकी डिलीवरी करवाई। इसके बाद डॉक्टर ने उन्हें एक महीनें बेड रेस्ट की सलाह दी। अगर इस स्थिति में सुरक्षित डिलीवरी की सम्भावनाएं कम लगती है तो डॉक्टर कोशिश करते हैं कि दवाईयों से ब्लड प्रेशर को कम या काबू में किया जाएं।
इन जांचों से मालूम चलता है?
प्रेग्नेंसी के दौरान 140/90 मिमी एचजी से अधिक बीपी होना आसामान्य है लेकिन एक ही बार हाई ब्लड प्रेशर आने का मतलब यह नहीं कि आपको प्री-एक्लेमप्शिया ही है। इसकी पुष्टि के लिए ब्लड टेस्ट, यूरिन एनालिसिस और अल्ट्रासाउंट किया जाता है।
इसका इलाज
विशेषज्ञ लक्षण और जांच रिपोर्ट के आधार पर ट्रीटमेंट तय करते हैं। ऐसी स्थिति में ब्लड प्रेशर और पेट की ऐंठन कम करने की दवाएं देते हैं। इसके अलावा रेस्ट करने की सलाह भी जरूरी तौर पर दी जाती है। स्थिति गंभीर होने पर अस्पताल में भर्ती भी होना पड़ सकता है।
सावधानी बरतें
- अगर पहले से हाई ब्लड प्रेशर की समस्या से परेशान रही हैं तो प्री-एक्लेमप्शिया की बढ़नें की पूरी सम्भावनाएं हैं। इसलिए बेहतर होगा कि प्रेगनेंसी के शुरुआती दिनों में डॉक्टर को ये जानकारी जरूर दें।
- हर महीनें डॉक्टर के पास जाकर वजन चैक करवाएं, अगर वजन अचानक से बढ़ रहा है तो इसका कारण पूछें।