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मोलर प्रेगनेंसी के बाद आप दोबारा हो सकती हैं गर्भवती?
भारत में हर वर्ष एक लाख से भी ज़्यादा महिलाओं को मोलर प्रेगनेंसी, जिसे गेस्टेशनल ट्रोफोब्लास्टिक डिज़ीज़ (जी टी डी) कहते हैं, से प्रभावित रहती हैं। गर्भावस्था से जुड़ी इस समस्या में गर्भनाल में कोशिकाएं बनने लगती हैं हालांकि यह कोई खतरा पैदा नहीं करता और इससे कैंसर का भी डर नहीं होता।
सबसे दुःख की बात यह है कि इसका कोई निवारक उपाय नहीं है। इस लेख में हम अलग अलग प्रकार के मोलर प्रेगनेंसी के बारे में बात करेंगे, साथ ही इसकी पहचान और उपचार के बारे में भी आपको बताएंगे।
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मोलर प्रेगनेंसी क्या है और यह कैसे होता है?
मोलर प्रेगनेंसी में ट्रोफोब्लास्ट में असामान्य तरीके से वृद्धि हो जाती है और गर्भवती महिला के गर्भनाल में कोशिकाएं बनने लगती हैं। कुछ मामलों में मोलर प्रेगनेंसी में विकासशील भ्रूण शामिल नहीं होता। मेडिकल साइंस ने मोलर प्रेगनेंसी को दो हिस्सों में विभाजित किया है पूर्ण मोलर प्रेगनेंसी और आंशिक मोलर प्रेगनेंसी।
1. पूर्ण मोलर प्रेगनेंसी
ऐसी स्थिति तब उत्पन्न होती है जब स्पर्म एक खाली अंडे को फर्टिलाइज करता है चूंकि अंडा खाली होता है इसलिए उसमें कोई बच्चा नहीं बनता है। हालांकि फर्टिलाइजेशन हुआ है इसलिए प्लेसेंटल हिस्सा सामान्य रूप से विकसित होगा और प्रेगनेंसी होर्मोनेस की उत्पत्ति भी सामान्य तरीके से ही होगी। इस तरह की मोलर प्रेगनेंसी में शुरुआती दौर में ही अल्ट्रासाउंड के ज़रिये भ्रूण की अनुपस्थिति का पता लगाया जा सकता है।
2. आंशिक मोलर प्रेगनेंसी
पूर्ण मोलर प्रेगनेंसी की तुलना में यह बहुत ही कम होता है। इसमें गर्भनाल में सामान्य ऊतकों के साथ असामान्य ऊतक भी बनने लगते हैं। इसमें भ्रूण तो बनता है लेकिन कुछ समय बाद उसका विकास रुक जाता है। इसके कारण शुरूआती दौर में ही महिला का गर्भपात हो जाता है। इस मोलर प्रेगनेंसी में बहुत कम ही ऐसा होता है कि महिला के गर्भ में जुड़वां बच्चे होते हैं जिनमें से एक का विकास ठीक से होता है वहीं दूसरे के साथ ऐसा नहीं होता। यहां तक कि इस मामले में असामान्य भ्रूण स्वस्थ भ्रूण को नुकसान पहुंचा सकता है जिससे गर्भावस्था का अंत हो जाता है।
मोलर प्रेगनेंसी का पता कैसे लगाएं?
मोलर प्रेगनेंसी के शुरुआती लक्षण सामान्य प्रेगनेंसी के लक्षणों से काफी मिलते जुलते हैं जिसमें कुछ हार्मोनल पहलू शामिल होते हैं जैसे एचसीजी का बढ़ा हुआ स्तर और कुछ शारीरिक पहलू जैसे जी मिचलाना और उल्टी इसलिए यह बेहद ज़रूरी है कि आप इसके दूसरे जटिल लक्षणों का भी ध्यान रखें जैसे स्पॉटिंग, ब्लीडिंग या फिर भ्रूण की कोई मूवमेंट न होना क्योंकि ये सारे लक्षण नार्मल प्रेगनेंसी से जुड़े हुए नहीं हैं।
मोलर प्रेगनेंसी में आपको बच्चे के दिल की धड़कन का भी पता नहीं चलेगा। डॉक्टर द्वारा पेल्विक परीक्षण किये जाने पर आपको आपके शरीर में असामान्य और हाई एचसीजी की मात्रा का पता चलेगा। यदि आपका असामान्य तरीके का छोटा या बड़ा गर्भाशय होगा (यह भी मोलर प्रेगनेंसी का लक्षण है) तो इस टेस्ट में इसका भी पता लगाया जा सकता है।
सोनोग्राम एक अन्य ऐसा टेस्ट है जो गर्भावस्था में गर्भवती महिलाओं पर किया जाता है। यदि किसी महिला को मोलर प्रेगनेंसी की शिकायत है तो इस टेस्ट की रिपोर्ट में 'क्लस्टर ऑफ़ ग्रपेस' दिखाई पड़ जाता है जो एक असामान्य प्लेसेंटा के बारे में बताता है।
मोलर प्रेगनेंसी के कारण
यह जेनेटिक होता है और इस समस्या से आपके पीड़ित होने की सम्भावना बढ़ जाती है। यदि आपके परिवार में पहले से कोई इस समस्या से गुज़र चुका है, पूर्व में लंबे समय तक गर्भ निरोधक गोलियों का सेवन और एक से ज़्यादा गर्भपात भी मोलर प्रेगनेंसी का कारण हो सकते हैं। 20 वर्ष से कम आयु और 35 से ऊपर की आयु वाली महिलाओं को मोलर प्रेगनेंसी का खतरा ज़्यादा होता है।
उपचार विकल्प
मोलर प्रेगनेंसी के उपचार के दो उपाय होते हैं। यदि आप दोबारा गर्भवती नहीं होना चाहतीं तो इसके लिए सबसे अच्छा विकल्प है हिस्टेरेक्टॉमी जहां स्त्री के शरीर से गर्भाशय को हटा दिया जाता है। हालांकि, अगर आपको फिर से माँ बनने की इच्छा हुई तो इसके लिए आप डाइलेशन और क्यूरेटेज (डी & सी) का चुनाव कर सकती हैं। यह डॉक्टर कुछ ख़ास औजारों की मदद से आपके सर्विक्स का एक छोटा सा प्रारंभिक हिस्सा काट देंगे। हालांकि इस प्रक्रिया में किसी तरह का कोई जोखिम नहीं होता है लेकिन फिर भी आपके डॉक्टर आपको रूटीन चेकअप की सलाह देंगे।
इस प्रक्रिया के दौरान आपके खून की भी जांच होगी ताकि इस बात की भी पुष्टि हो जाए कि आपके एचसीजी का स्तर वापस से सामान्य हो गया है और भविष्य में आपको गर्भधारण करने में कोई समस्या न हो। अब तक आपको मोलर प्रेगनेंसी के विषय में ठीक से सब कुछ समझ आ गया होगा। यदि ऐसी समस्या आपके साथ होती है तो बेहतर इलाज के द्वारा अपना परिवार बढ़ाने के लिए आप सुरक्षित और स्वस्थ प्रेगनेंसी पा सकती हैं। आपको बस ज़रुरत है इस स्थिति को समझने की और सही इलाज कराने के साथ ही आपको उम्मीद का दामन भी थामे रहना है।