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देबिना बनर्जी ने शेयर किया प्रेगनेंसी में जंकफूड क्रेविंग एक्सपीरियंस, जानें गट क्लीजिंग डाइट के बारे में
टीवी एक्ट्रेस देबिना बनर्जी और गुरमीत चौधरी जल्द ही पेरेंट्स बनने वाले हैं। हाल ही में देबिना ने सोशल माडिया पर एक वीडियो शेयर की और प्रेगनेंसी के दौरान होने वाली परेशानियों के बारे में खुलकर बात की। दरअसल, देबिना ने प्रेग्नेंसी के दौरान खूब जंक फूड खाया था, लेकिन इस वजह से देबिना को गैस, ब्लोटिंग, पेट में जलन और एसिडिटी की समस्या काफी ज्यादा हो गई थी। तब देबिना ने गट क्लीनिंग डायट लेकर अपनी बिगड़ी तबीयत को ठीक किया था। आइए जानते हैं, प्रेगनेंसी में जंक फूड खाने के साइडइफेक्ट्स और क्या होती गट क्लीजिंग डाइट।
क्या होती है गट क्लीजिंग डाइट
गट क्लीजिंग डाइट को कोलन क्लीजिंग डाइट भी कहते हैं। ये ज्यादा ज्वलनशील खाद्य पदार्थों के वजह से पेट और आंतों में होने वाली जलन और अशुद्धियों को निकाल बाहर करता है। इस डाइट में खानपान के साथ समय का भी बहुत ध्यान रखना होता है।
सुबह की शुरुआत एक गिलास गर्म पानी में नींबू और एक कप हर्बल चाय के साथ होती है। नाश्ते में आमतौर पर प्रोटीन से भरपूर हो, जैसे ऑमलेट, पनीर भुर्जी, इडली, दालिया और स्प्राउट स्लाद। यदि शरीर को पर्याप्त प्रोटीन की आपूर्ति की जाती है जो स्वस्थ आंत के लिए ऊतकों और एंजाइमों के निर्माण की देखभाल करता है।
दोपहर के भोजन में पौष्टिक सलाद और एक कटोरी स्वस्थ सब्जी का सूप होता है। रात का खाना आमतौर पर एक कप पालक, ब्रोकली, स्प्राउट्स या दाल के रुप में हल्का डिनर किया जाता है। जिसमें मिर्च मसाले का उपयोग न के बराबर किया जाता है।
दिन के दौरान स्नैकिंग में ज्यादातर एक कप फल या मिक्स फ्रूट स्मूदी शामिल किया जाता है। इसके अलावा पूरे दिन में भूख लगने पर जूस, सूप और स्मूदी का सेवन कर सकते हैं।
अनहेल्दी और अवांछित वजन बढ़ना
गर्भावस्था के दौरान ज्यादा जंक फूड खाने न सिर्फ महिलाओं का अनहेल्दी तरीके से वजन बढ़ता है इसके अलावा गर्भावस्था के दौरान महिलाओं के शरीर में गंभीर जटिलताओं का खतरा काफी अधिक होता है। जैसे उच्च रक्तचाप या उच्च रक्तचाप, गर्भावस्था प्रेरित उच्च रक्तचाप, विभिन्न जन्म दोष हो सकते हैं। इसलिए, जोखिम को कम करने के लिए, मोटापे से ग्रस्त माताओं को वजन बढ़ाने की सीमा को बनाए रखना चाहिए। डॉक्टर अक्सर कपल्स को फिट और स्वस्थ शरीर होने के बाद गर्भावस्था की योजना बनाने की सलाह देते हैं। खासकर माताओं को। गर्भावस्था के अंतिम चरण में मोटापे के कारण गर्भपात के कई मामले सामने आते हैं।
भ्रूण विकास में खतरा
आप शायद नहीं जानते होंगे कि गर्भावस्था के दौरान प्रोटीन की कमी भ्रूण में गुर्दे के उचित विकास में बाधा डालती है। यदि आप प्रोटीन की कमी वाला आहार ले रहे हैं तो संतान का गुर्दा अविकसित रहता है। इसलिए, यह प्रक्रिया बच्चों के वयस्क होने पर उच्च रक्तचाप और गुर्दे की बीमारी के बड़े पैमाने पर विकास का कारण बनती है। डॉक्टरों का कहना है कि वयस्क उच्च रक्तचाप और कोरोनरी हृदय रोग खराब पोषण के अंतर्गर्भाशयी जोखिम से हो सकता है।
प्रीमैच्योर डिलीवरी का खतरा
बहुत अधिक जंक फूड खाने से जिसमें फाइबर नहीं होता है, मल त्याग पर अनावश्यक दबाव डाल सकता है जिससे आपका पानी की थैली फट सकती है जिससे गर्भावस्था समाप्त हो सकती है।
कब्ज
ज्यादा जंक फूड खाने से कब्ज की समस्या का खतरा भी बढ़ जाता है। ये गर्भावस्था के लिए सही नहीं है क्योंकि यह आपके मल त्याग पर अनावश्यक दबाव डालता है।
बिहेवियर डिसऑर्डर
यदि आप गर्भावस्था के दौरान जंक और तैलीय खाद्य पदार्थों का बहुत अधिक सेवन करती हैं, तो संभावना है कि आपके व्यवहार में बदलाव आ सकता है। डॉक्टरों का कहना है कि बचपन का मोटापा अवसाद के बढ़ते जोखिम, अटेंशन डेफिसिट डिसऑर्डर और जाहिर तौर पर लर्निंग डिसबेलिटी से जुड़ा हुआ है। कई तरह के शोध कहते हैं कि गर्भवती महिलाएं जो डोनट्स, चिप्स, तैलीय खाद्य पदार्थ, कैंडीज बहुत ज्यादा खाती हैं, उनमें दोषपूर्ण बच्चे के जन्म का खतरा होता है। मूल रूप से, बच्चे का मस्तिष्क और माँ का मस्तिष्क एक अलग तरीके से प्रतिक्रिया करता है।