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गाली-गलौज करने वाले पति के पास क्यों लौट जाती हैं महिलाएं?
अधिकतर मौकों पर हम ये देखते हैं कि महिलाएं शोषण का शिकार होने के बावजूद अपमान करने वाले पति के साथ रहना जारी रखती हैं। बड़ी संख्या में महिलाएं घरेलू हिंसा का शिकार होने के बावजूद एक अपमानित शादी का हिस्सा बनी रहती हैं। भारत में तो अपने पति को छोड़ने का लेबल महिलाओं पर होने को हिंसा से भी बड़ा अपमान माना जाता है, और इसी सामाजिक दबाव के कारण वे ना चाहते हुए भी कई बार अपने पति के साथ रहने पर मजबूर होती हैं।
लम्बे समय तक ऐसे पार्टनर के साथ रहना जो आपका अपमान या शोषण कर रहा हो कई बार आपको यह विश्वास दिला देता है कि जो भी हो रहा है वह एकदम सामान्य ही है। लेकिन ऐसे क्या कारण होते हैं जिनकी वजह से महिलाएं अपमान सहन करने के बावजूद उसी शोषणकारी पति के पास रहने जाती हैं। चलिए जानते हैं ऐसे ही कुछ कारणों के बारें में।
खुद को दोष देना
अधिकतर महिलाएं खुद को ही सभी समस्याओं का कारण मानने लगती हैं। ऐसा या तो उनको समाज द्वारा बताया जाता है या वे खुद ही सोचने लग जाती हैं। अपमानजनक वैवाहिक रिश्ते में उनके आत्मविश्वास को बार बार चोट पहुंचाई जाती है जिससे वे स्वयं को ही अपने साथ हो रही बदसलूकी का कारण मान बैठती हैं और पति को दोषी नहीं समझती हैं।
आदत बन जाना
ऐसी स्थिति में जहां पति अधिक नियंत्रणकारी स्वभाव के होते हैं, महिलाएं उनके नियंत्रण को ही सामान्य मानने लगती हैं। डांट, जांच पड़ताल या अपमान को नॉर्मल मान लेने से गलत चीज़ें भी सही लगने लगती हैं। इसलिए वे शोषण के बावजूद अपने पति के साथ रहना जारी रखती हैं या कुछ दिन अलग होने के बाद वापस चली जाती हैं।
अपने पति के बदलने की उम्मीद करना
काफी महिलाओं को यह उम्मीद रहती है कि उनके पति कुछ समय में बदल जायेंगे या उनके व्यवहार में सुधार आ जायेगा। ऐसा वो उनसे प्रेम या अपने विश्वास के कारण सोचती हैं। इसलिए वे अपने पति के खिलाफ खड़े होने या कुछ बोलने के बजाय उनकी देखरेख और ध्यान में ही खुद को लगाएं रहती हैं, इसी उम्मीद से कि किसी दिन वे बदलेंगे।
भविष्य के बारें में चिंता
महिलाओं का एक हिंसक या अपमानजनक शादी में बने रहने का सबसे बड़ा कारण उनकी भविष्य के बारें में चिंता करना होता है। वे उस घर से निकलकर अकेले जीने, यदि बच्चे हैं तो उनके पालन पोषण, खुद की आर्थिक स्थिति और सामाजिक सुरक्षा के प्रति काफी चिंतित रहती हैं। समाज क्या कहेगा, वे कैसे सब कुछ खुद से संभालेंगी और कौन उनकी सुरक्षा करेगा ऐसे सवाल उनको एक ऐसे रिश्ते में जीवनभर जकड़ कर रख देते हैं जहां वे रोज़ अपमानित होती हैं।
हालांकि आज के आधुनिक दौर में महिलायें स्वावलंबी हो रहीं हैं और पहले से अधिक संख्या में खुद को घरेलू हिंसा से बचा पा रहीं हैं। लेकिन अभी भी बड़ी संख्या में महिलाएं किसी ना किसी कारण से ऐसी शादियों को निभाने में मजबूर होती हैं। उन्हें इन कारणों से पार पाने की ज़रूरत हैं, उन्हें खुद में आत्मविश्वास लाने की आवश्यकता हैं। ऐसी परिस्थितियों में परिवार के साथ साथ इस क्षेत्र में कार्यरत संस्थाएं और शेल्टर होम्स भी सहायक हो सकते हैं।