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खाना बनाने में ना करें रिफाइंड तेल का प्रयोग, नहीं तो होंगे ये नुकसान
अक्सर लोंगो के घरों में पूड़ी-पराठे बनाने के लिये रिफाइंड तेल का प्रयोग होता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह तेल आपके सेहत के लिये कितना हानिकारक है।
ये रिफाइन तेल बनता कैसे हैं? किसी भी तेल को रिफाइन करने में 6 से 7 केमिकल का प्रयोग किया जाता है और डबल रिफाइन करने में ये संख्या 12 -13 हो जाती है।
हम ऐसा इसलिये कह रहे हैं क्योंकि इसे तैयार करने के लिये ढेर सारे हानिकारक रसायनों का उपयोग किया जाता है। कास्टिक सोड़ा, फोसफेरिक एसीड, ब्लीचिंग क्लेंज मिला कर यह तेल तैयार किया जाता है।
कई तकलीफों की अचूक दवा लहसुन का तेल
अगर आपको स्वस्थ जिंदगी जीनी है तो, रिफाइंड तेल छोड़ घानी से निकला हुआ शुद्ध सरसों का तेल, तिल या मूंगफली का तेल ही खाइये।
लीवर, स्ट्रोक और अन्य बीमारियां लेती हैं जन्म
शोध के अनुसार तेल को 200 डिग्री से 225 डिग्री पर आधे घंटे तक गर्म करने से उसमें HNI नामक बहुत ही टोक्सिक पदार्थ बनता है। यह लिनोलिक एसिड के ऑक्सीकरण से बनता है और उत्तकों में प्रोटीन और अन्य आवश्यक तत्वोंको क्षति पहुँचाता है। इसके प्रयोग से आपको लीवर, स्ट्रोक, पार्किसन, एल्जाइमर रोग हो सकता है।
ह्रदय रोगों की सम्भावना
हमको शुद्ध तेल से मिलता है HDL (High Density Lipoprotein), ये तेलों से ही आता है हमारे शरीर में, वैसे तो ये लीवर में बनता है लेकिन शुद्ध तेल खाएं तब | तो आप शुद्ध तेल खाएं तो आपका HDL अच्छा रहेगा और जीवन भर ह्रदय रोगों की सम्भावना से आप दूर रहेंगे।
नहीं होता चिपचिपा, जो है गलत
तेल में से जैसे ही आप चिपचिपापन निकालेंगे, तो उसका फैटी एसिड गायब हो जाएगा। साथ ही तेल के सारे महत्वपूर्ण घटक निकल जाते हैं और वह बस पानी बन कर रह जाता है। तेल के माध्यम से जो कुछ पौष्टिकता हमें मिलनी चाहिए वो मिल नहीं रहा है।
प्रोटीन खतम किया जाता है
दाल के बाद अगर किसी चीज में सबसे ज्यादा प्रोटभ्न है तो वह है शुद्ध तेल। सभी तेलों में, 4 -5 तरह के प्रोटीन हैं, आप जैसे ही तेल की बास निकालेंगे उसका प्रोटीन वाला घटक गायब हो जाता है।