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जलनेति से कीजिये अपने सारे रोगों को दूर
नेति मुख्यत: सिर के अन्दर वायु-मार्ग को साफ करने की क्रिया है। यह एक जल चिकित्सा है जो एलर्जी, अस्थमा, साइनस और आंखों कि बीमारी को ठीक कर देती है। नेति के मुख्यत: दो रूप हैं : जलनेति तथा सूत्रनेति। जलनेति में जल का प्रयोग किया जाता है; सूत्रनेति में धागा या पतला कपड़ा प्रयोग में लाया जाता है।
विधिः
सबसे
पहले
एक
चौडे़
मंह
वाल
पात्र
लें,
उसमें
एक
लीटर
गुनगुना
पानी
डालें,
जिसमें
10
ग्राम
शुद्ध
नमक
घुला
हुआ
हो।
बैठ
जाएं
और
पात्र
को
दोनों
हाथों
से
पकड़
कर
नाक
के
नथुने
पानी
में
डुबो
दें।
अब
धीरे-धीरे
नाक
के
द्वारा
श्वास
के
साथ
पानी
को
भीतर
खींचें
और
नाक
से
भीतर
आते
हुए
पानी
को
नाक
के
दूसरे
छेद
से
बाहर
निकालते
जायें।
नाक
को
पानी
में
इस
प्रकार
बराबर
डुबोये
रखें
जिससे
नाक
द्वारा
भीतर
जानेवाले
पानी
के
साथ
हवा
न
प्रवेश
करे।
अन्यथा
खाँसी
आयेगी।
अब पात्र को रख कर खड़े हो जायें। दोनों पैर थोड़े खुले रहें। दोनों हाथ कमर पर रखकर श्वास को जोर से बाहर निकालते हुए आगे की ओर जितना हो सके झुकें। भस्रिका के साथ यह क्रिया बार-बार करें, इससे नाक के भीतर का सब पानी बाहर निकल जायेगा। थोड़ा बहुत रह भी जाये और दिन में कभी भी नाक से बाहर निकल जाये तो कुछ चिन्ताजनक नहीं है।
लाभः
- नाक में जमें बैक्टीरिया और गंदगी कि सफाई करता है।
- आंखों कि रौशनी बढ़ाता है, अगर चश्मा लगा भी हो तो वो भी उतर जाता है।
- मस्तिष्क को तेज बनाता है।
- जुकाम-सर्दी होने के अवसर कम हो जाते हैं।
- जलनेति की क्रिया करने से दमा, टी.बी., खाँसी, नकसीर, बहरापन आदि छोटी-मोटी 1500 बीमीरियाँ दूर होती हैं।
- इंसान का मूड हमेशा फ्रेश बना रहता है और किसी प्रकार की टेंशन नहीं होती।
- इसको करने से स्मोकिंग की भी आदत छूट जाती है।