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कान के टिश्यू से स्पर्म सेल्स बनाकर दूर की जा सकेगी पुरुषों की नपुंसकता , पढ़िए रिपोर्ट
नपंसुकता आज के समय की एक गंभीर बीमारी है और दिन प्रति दिन इसके मरीजों की संख्या बढ़ती ही जा रही है। हाल ही में रिसर्चर की टीम ने एक चूहे के कान के टिश्यू से स्पर्म सेल्स बनाने में सफलता हासिल की है।
इस प्रयोग में इस्तेमाल किया गया चूहा भी नपुंसक था। इस रिसर्च को इंसानों की नपुंसकता दूर करने की दिशा में काफी अच्छा कदम माना जा रहा है।
आपको बता दें कि हमारा सेक्स एक्स और वाई क्रोमोसोम से मिलकर बना है और आमतौर पर महिलाओं में दोनों एक्स क्रोमोसोम होते हैं जबकि पुरुषों में एक एक्स और एक वाई क्रोमोसोम होता है।
लेकिन इन सबसे अलग लगभग 500 में से एक पुरुष ऐसा भी होता है जिसमें एक एक्स्ट्रा एक्स या वाई क्रोमोसोम होता है। ऐसे पुरुष के स्पर्म ही ठीक से विकसित नहीं हो पाते हैं जिस वजह से नपुंसकता की समस्या होती है।
साइंस जर्नल में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार यूके स्थित फ्रांसिस क्रिक इंस्टिट्यूट की रिसर्च टीम ने एक अतिरिक्त क्रोमोसोम को हटाने का एक तरीका निकला है जिससे फर्टिलिटी अच्छी की जा सके।
अगर चूहे पर किया गया यह शोध इंसानों पर भी पूरी तरह फिर बैठता है तो यह इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा और इससे क्लीनफेल्टर सिंड्रोम या डबल एक्स सिंड्रोम से पीड़ित पुरुषों को काफी राहत मिल सकती है।
इस
तकनीक
ने
कुछ
ख़ास
किस्म
के
केमिकल
सिग्नल
भेजे
जाते
हैं
जो
स्टेम
सेल्स
को
दिशा
निर्देश
देते
हैं
कि
वे
आगे
कैसे
ठीक
से
विकसित
होकर
स्पर्म
में
बदल
जायें।
फ्रांसिस क्रिक इंस्टिट्यूट के टाकायूकी हिरोटा ने बताया कि जब इन स्टेम सेल्स को चूहे के अंडकोष में इंजेक्ट किया गया तो ये आसानी से इस प्रक्रिया से गुजरते हुए स्पर्म में बदल गये। इन स्पर्म की जांच की गयी तो ये पूरी तरह से स्वस्थ पाए गये। उन्होंने उम्मीद जताई कि यह प्रयोग इंसानों पर भी सफल रहेगा।
उन्होंने यह बताया कि अभी भी शरीर के बाहर किसी लैब में स्पर्म बनाना संभव नहीं हो पाया है हालांकि प्रयास इस दिशा में भी जारी हैं। अगर सब कुछ सही रहा तो एकदिन वैज्ञानिक लैब में भी स्पर्म विकसित कर पायेंगें जिससे नपुंसकता जैसी बीमारियों का पूरी तरह खात्मा हो जायेगा।