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चेहरे पर होने वाले हर्पीस को इन प्राचीन नुस्‍खों से करें ईलाज

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हर्पीस जैसी संक्रमक बीमारी के नाम से कोई भी डर जाता है। ये रोग हर्पीस नामक वायरस से होने वाली इस बीमारी को दो श्रेणियों में बांटा जाता है, ओरल हर्पीस और जेनिटल हर्पीस। हर्पीस को अंग्रेजी में जोस्टर कहा जाता है। चालीस साल की उम्र के बाद इस रोग के होने की संभावना अधिक हो जाती है।

इस रोग में चेहरे व त्वचा पर पानी के भरे हुए छोटे छोटे दाने निकलने लगते हैं जिससे इंसान के शरीर के एक ही हिस्से में काफी सारे दाने निकल जाते हैं। हर्पीस की बीमारी में पथरी की तरह दर्द होता है। यह दो प्रकार का होता है जेनिटल हर्पीस और ओरल हर्पीस। यह रोग ज्यादातर उन लोगों को होता है जिन्हें चिकन पॉक्‍स हुआ हो। परन्तु हर्पीस के लिए कुछ घरेलू उपचार भी हैं। आइए कुछ ऐसे घरेलू उपचारों के बारे में जानें जो हर्पीस की तीव्रता को कम करते हैं तथा इस संक्रमण को नियंत्रण में रखते हैं।

 Herpes or Zoster

हर्पीस के लक्षण

किसी भी प्रकार के हर्पीस में इस बीमारी के लक्षण भयंकर डरावने होते हैं जिसके कारण बहुत ही तकलीफ और तनाव होता है। लगातार खुजली, दर्द, मरोड़ आदि के कारण व्यक्तिगत और प्रोफेशनल जीवन में बहुत परेशानी हो जाती है। इसे नियंत्रण में रखने के लिए तथा लक्षणों को कम करने के लिए दवाईयां दी जाती हैं। हर्पीस की बीमारी को पूरी तरह से आयुर्वेदिक घरेलू उपायों के जरिए ठीक किया जा सकता है।

हर्पीस का घरेलू उपाचार

बर्फ का पैक
हर्पीस से प्रभावित जगह पर बर्फ का बना पैक लगाना चाहिए। बर्फ को किसी कपड़े या किसी पन्नी में डालकर लगाएं। इससे हर्पीस तेजी से ठीक होता है। ध्यान रहे बर्फ का इस्तेमाल सीधे त्वचा पर ना करें।

बेकिंग सोड़ा का इस्तेमाल
बेकिंग सोड़े को आप पानी में मिलाकर इसे रूई में डुबोकर हर्पिस वाली जगह पर लगाएं। बेकिंग सोड़ा कीटाणुओं का खत्म करता है। और हर्पिस की वजह से होने वाली खुजली और दर्द से भी आराम देता है।

गुलाब जल
गुलाब जल को चंदन में घिसकर लेप बनाकर हर्पीज के दानों पर लगाने से आराम मिलता है।

लेमन बाम
हर्पीस वायरस को रोकने की एक कारगर और बेहतरीन औषधि है लेमन का बाम। इसे प्रभावित क्षेत्र में लगाने से हर्पीस वायरस को फैलने से रोका जा सकता है।

शहद का प्रयोग
शहद भी एक बेहतरीन औषधि है हर्पीस की बीमारी से बचने की। नियमित रूप से यदि आप शहद को हर्पीस से प्रभावित जगह पर लगाते हैं तो आप इस बीमारी से आराम पा सकते हो।

एलोवेरा का इस्तेमाल
हर्पीस के दानों पर एलोवेरा का जेल बहुत ही बेहतर तरीके से काम करती है। आप नियमित एलोवीरा के पेस्ट को हर्पीस से प्रभावित जगह पर लगाएं इससे यह बीमारी जल्दी ठीक होती है।

मुलैठी की जड़
मुलैठी की जड़ से बना चूर्ण हर्पीस की बीमारी को ठीक कर सकता है। मुलैठी की जड़ में कई तरह के एंटीआक्सीडेंट और एंटीबैक्टीरियल तत्व पाए जाते हैं।

जैतून का तेल
जेतून का तेल त्वचा से संबंधित रोगों को ठीक करता है। क्योंकि जैतून के तेल में भी एंटीबैक्टीरियल तत्व होते हैं जो त्वचा के अंदर जाकर काम करते हैं। हर्पीस से ग्रसित हिस्सों पर जैतून के तेल को लगाने से यह रोग धीरे.धीरे ठीक होने लगता है।

एंटीवायरल पेपरमिंट तेल
हर्पीस के वायरस को जड़ से खत्म कर देता है पेपरमिंट तेल में मौजूद एंटीवायरल तत्व। यही नहीं हर्पीस से होने वाले भंयकर दर्द से भी राहत देता है यह तेल। आपको बाजार में आसानी से मिल सकता है पेपरमिंट ऑइल।

टी ट्री तेल का इस्तेमाल
टी ट्री आयल भी आपको बाजार में आसानी से मिल जाएगा। यह तेल हर्पीस से होने वाले इंन्फेक्शन को खत्म कर देता है। साथ ही साथ दर्द और खुजली को भी खत्म करता है। टी ट्री आॅयल हर्पीस के संक्रमण को समाप्त करता है।

English summary

Ayurvedic Treatment for Herpes or Zoster

erpes has no cure once the Herpes Simplex Virus enters the body. Almost fifty million people in United States are infected with Herpes Simplex Virus.
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