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हिंदू धर्म में नामकरण संस्कार के पीछे छिपा है ये वैज्ञानिक कारण?

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Naamkaran Sanskaar: Scientific Reason | नामकरण संस्कार के पीछे है ये बड़ा वैज्ञानिक कारण | Boldsky

नामकरण संस्‍कार, हिंदू धर्म में शामिल 16 संस्‍कारों में से एक होता है। यह संस्‍कार शिशु के जन्‍म के 10 वें से 12वें दिन के मध्‍य होता है। वैसे हिंदू धर्म के अनुसार हर पराम्‍परा के पीछे कई तरह की मान्‍यताएं छिपी हुई होती है। इस बात की पुष्टि वैज्ञान‍िकों ने भी की है। क्‍या आपको मालूम है कि नामकरण संस्‍कार के पीछे धार्मिक के साथ ही वैज्ञानिक कारण भी छिपे हुए होते है। आइए जानते है क्‍यों बच्‍चों का नामकरण किया जाता है और क्‍या है इसके पीछे छिपे तर्क।

हिंदु मान्यताओं के अनुसार

हिंदु मान्यताओं के अनुसार

शिशु का जन्म जिस नक्षत्र में हुआ होता है उसी के अनुसार हिंदु धर्म में शिशु का नाम रखा जाता है। इस नामकरण संस्कार के दौरान परिवार हर एक सदस्य उपस्थित होता है। इस दौरान एक पंडित, नामकरण की पूजा करने के बाद नक्षत्र के अनुसार बच्चे का नाम रखता है।

 नामकरण संस्‍कार

नामकरण संस्‍कार

इस संस्कार को प्रायः दस दिन के सूतक की निवृत्ति के बाद ही किया जाता है। कहीं-कहीं जन्म के दसवें दिन सूतिका का शुद्धिकरण यज्ञ द्धारा करा कर भी संस्कार संपन्न किया जाता है। कहीं-कहीं 100वें दिन या एक वर्ष बीत जाने के बाद नामकरण करने की विधि प्रचलित है। नामकरण संस्कार से आयु व बुद्धि की वृद्धि होती है।

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वैज्ञानिक कारण

वैज्ञानिक कारण

नामकरण संस्कार के पीछे वैज्ञानिकों का मानना है कि शिशु को इस दिन जिस नाम से पुकारा जाता है, उसमें उन गुणों की अनुभूति होने लगती है। वैसे भी हर इंसान में उसके नाम के गुण नजर आने लगते हैं। नाम की सार्थकता बनी रहें इसल‍िए नामकरण संस्कार के दौरान हर सदस्य पूरे सोच-विचार के बाद शिशु का ऐसा नाम रखा जाता है जो उसे जीवन के उद्देश्य को प्राप्त करने में सहायक बने। मूलरूप से नामकरण के पीछे वैज्ञानिकों का यही दृष्टिकोण है। जिससे की लोग नाम के महत्व को समझे और अर्थ पूर्ण नाम रखें।

नामकरण और जगह का संबंध

नामकरण और जगह का संबंध

जब एक बच्चे का जन्म होता है तो उस दिन और समय के हिसाब से लोग सौरमंडल की ज्यामितीय स्थिति (नक्षत्रों की चाल) का आंकलन करते हैं और इसके आधार पर एक ऐसी खास ध्वनि (नाम) तय करते हैं जो नवजात बच्चे के लिए बेहतर हो। ताकि जब बच्‍चें को उस नाम से बुलाया जाएं तो आसपास के वातावरण में इस आवृति की ध्‍वन‍ि पैदा होनी चाहिए। नाम संस्कृत भाषा के अलग-अलग वर्णों में 54 वर्ण होते हैं। इन वर्णों को और भी कई सारी छोटी ध्वनियों में तोड़ा जा सकता है। इन छोटी ध्वनियों के जरिए लोगों का नामकरण होता है। सही नामकरण केजरिए सही उच्‍चारण करके आप वातावरण में नए ध्‍वनि पैदा कर सकते है जो शिशु के जीवन को बदलने के ल‍िए कारगार होता है। इसल‍िए आप शिशु का नाम सोच समझकर रखते है ताकि जैसे ही आप कोई शब्द कहें तो वह आपके आसपास का सारा वातावरण ही बदल दें।

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इसल‍िए भारतीय माता पिता अपने बच्‍चों का ज्‍यादात्तर नाम संस्‍कृत के किसी अर्थपूर्ण शब्‍द या देवी देवताओं पर रखना पसंद करते है। ताकि वातावरण में सही आवृति की ध्‍वनि का उच्‍चारण होते रहे।

English summary

Science Behind Naming Your Baby or Naamkaran Sanskaar

As clear from the name itself, this sanskar is done to decide the name of the infant. Usually, it is done on the 11th day of the birth.
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