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Labial Fusion, छोटी उम्र में बच्चियों को होती है ये बीमारी, जानें इसके लक्षण और इलाज
लैबियल फ्यूजन महिला जननांग शरीर रचना की एक चिकित्सा स्थिति है, जहां वजाइना के दोनों तरफ मौजूद फ्लैप (लटकने वाली स्किन जिन्हें Labia minora कहा जाता है।) एक साथ जुड़ जाते हैं। इससे इंफ्लेमेटरी टिशू की एक चमकदार झिल्ली बन जाती है।
इस स्थिति को कई नामों से जाना जाता है, जिसमें ओबिलियल फ्यूजन, लेहियल आसंजन, लेबिल सिनेची, लेबियल एग्लूटीनेशन, लेबियल अनुपालन, जीनेट्रेसिया, वल्वार फ्यूजन और वल्वार सिनेचिया शामिल हैं।
इसे लैबियल एढिसन या एग्लूटिनेशन भी कहा जाता है। लैबियल एढिसन को उसकी सीवियरिटी के आधार पर नापा जाता है जिसमें या तो बिलकुल जुड़ गए होते हैं या की लंबाई का 30-50 प्रतिशत हिस्सा ही जुड़ा होता है।

किस को हो सकती है ये बीमारी
ये कंडीशन आम तौर पर सिर्फ 2 प्रतिशत लड़कियों को होती है जिनकी उम्र तीन महीने से लेकर 6 साल के बीच हो। ये 1 से 2 साल की उम्र की लड़कियों के बीच ज्यादा कॉमन है।

Labial fusion के कारण
ये बीमारी बाहरी प्रजनन अंगों की नाजुक झिल्लियों में किसी तरह की इरिटेशन के कारण होती है। ज्यादातर मामलों में लैबियल एढिसन अपने आप ही ठीक हो जाता है जब लड़की वयस्क होने लगती है और इसके लिए किसी भी तरह के मेडिकल ट्रीटमेंट की जरूरत नहीं होती है।
वयस्क होने के बाद लड़कियों में ये समस्या नहीं देखने को मिलती है या कम ही ऐसे मामले सामने आते है। ऐसा इसलिए क्योंकि वयस्क होने पर शरीर में एस्ट्रोजन हार्मोन पैदा होता है जो प्राकृतिक तौर पर ऐसे जुड़ाव को अलग कर देता है। ऐसे समय में खराब जेनिटल हाइजीन लंबे समय तक बनी हुई सूजन का कारण बन सकती है।

क्या है इसका इलाज?
लैबियल फ्यूजन या एढिसन आम तौर पर वयस्क होने पर अपने आप ही अलग हो जाता है। इसके लिए किसी तरह के ट्रीटमेंट की जरूरत नहीं होती है। जिन लड़कियों को कोई लक्षण नहीं दिख रहा है उन्हें किसी तरह के ट्रीटमेंट की जरूरत नहीं होती है। जिन मरीज़ों में लक्षण दिखते हैं उन्हें 2
- 8 हफ्तों तक एस्ट्रोजन या स्टेरॉइड क्रीम को फ्यूजन की जगह पर रोज़ाना लगाना होता है। ऐसा करने से पहले भी बाल रोग विशेक्षज्ञ से सलाह जरूर लेनी चाहिए। इस तरह का जुड़ा आम तौर पर 6-8 हफ्तों में ठीक हो जाता है।
- इसके बाद भी किसी तरह का emollient लगाया जा सकता है जिससे लैबिया अलग रहे। हालांकि, ये कंडीशन दोबारा हो सकती है अगर सही तरह से हाइजीन नहीं रखी गई। मेकेनिकल या सर्जिकल तरीके से लैबियल एढिसन को अलग करने की जरूरत शायद ही कभी पड़े।