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इन 5 तरीकों से आपके पिछले कर्म नहीं छोड़ते आपका पीछा
करमा शब्द के बारे में हमने सुना तो बहुत है लेकिन इसके असली मतलब के बारे में बहुत कम लोग ही जानते हैं। करमा का मतलब है हमारी आत्मा की यादें। करमा का संबंध हमारे पिछले जन्म के कर्मों से होता है जिनका फल हमें हमारे वर्तमान जन्म में मिलता है।
हमारे पूर्व जन्म के कर्मों और कार्यों के कारण ही हमारे जीवन का पथ निर्धारित होता है। जिसकी शुरुआत हमने की है, हमें उसका अंत तो करना ही पड़ता है और यही करमा का अर्थ है।
पिछले
जन्म
में
हमने
जो
काम
अधूरे
छोड़
दिए
थे
या
जिन्हें
हम
पूरा
नहीं
कर
पाए
थे
वही
काम
हमें
अपने
अगले
जन्म
में
किसी
ना
किसी
रूप
में
पूरा
करना
ही
पड़ता
है।
तब
तक
हमें
अचानक
परेशानियों,
कार्यों
में
देरी
और
मुसीबतों
का
सामना
करना
पड़ता
है।
तो अगर आप अपने जीवन में किसी शख्स से बहुत ज्यादा नफरत करते हैं या आपको बहुत ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है तो ये आपके पिछले जन्म के बुरे कर्मों का फल हो सकता है।
अच्छे और बुरे कर्म
आश्चर्य की बात है कि हमें अपने पिछले पांच जन्मों के अच्छे और बुरे कर्मों का फल भोगना ही पड़ता है। करमा को अच्छी तरह से जानने के लिए पिछले जन्म की इन पांच घटनाओं और पहलुओं को समझना पड़ेगा।
नहीं होता कर्म का अंत
पिछले, वर्तमान और अगले हर जन्म में आपके साथ आपके कर्म जाते हैं। आप कभी भी अपने कर्मों से पीछा नहीं छुड़ा सकते हैं। आपको इसका बोझ उठाना ही पड़ता है। कुछ लोगों को तो लंबे समय तक अपने कर्मों का फल भोगना पड़ता है।
कुछ नहीं होता इत्तेफाक
माता-पिता, भाई-बहन, दोत्स और जीवनसाथी, आपके जीवन में ये सभी रिश्ते और लोग किसी न किसी कारण से आते हैं। इन्हें नीतिपूर्ण आपके जीवन में भेजा जाता है। आप इन्हें छोड़ सकते हैं लेकिन इस बीच करमा आ जाता है और आप चाहते हुए भी अपनी इस इच्छा को पूरा नहीं कर पाते हैं।
करमा का करें सामना
ऐसा नहीं है कि आप योजना के अनुसार कर्म करें। आपके जीवन में जो भी समस्याएं और कार्य आते हैं, उन्हें करना और सुलझाना ही आपका कर्म होता है। हर इंसान की आपकी जिंदगी में एक भूमिका होती है। वो आपके जीवन में क्यों आए, क्या सिखाने आए या वो आपके साथ क्यों हैं, ये सब कर्म पर निर्भर करता है। उस इंसान के साथ आपके बुरे और अच्छे कर्म जुड़े हो सकते हैं। सच यही है कि आपको अपने कर्मों का बोझ उठाना ही पड़ता है।
आप जो करते हैं वही आपको मिलता है
आपके आसपास चलने वाली चीज़ें कर्म नहीं है। कर्म कोई नकारात्मक चीज़ भी नहीं है। सकारात्मक और अच्छे एवं सत्कर्म भी होते हैं। अगर आपने अपने पिछले जन्म में किसी की कोई वस्तु चुराई है तो आपको अपने आने वाले किसी भी जन्म में उसका भुगतान करना ही पड़ता है।
कर्म अपना रास्ता ढूंढ ही लेता है
पिछले जन्म के कर्म किसी ना किसी रूप में आपके वर्तमान जन्म में सामने आ ही जाते हैं। इसका मतलब है कि आपके जीवन में जो कुछ भी आता है वो आपके पिछले जन्म के अच्छे और बुरे कर्मों का ही फल होता है। आप जो भी करते हैं वो आपके सामने जरूरत आता है।
कर्म की भूमिका
कई बार हमारे पुर्नजन्म का फल हमें अपने वर्तमान जन्म में मिलता है। हो सकता है कि इस जन्म में जो आपकी मां है वो पिछले जन्म में आपकी बेटी रही हो। अगले जन्म में उसी इंसान के साथ आपका संबंध बदल जाता है। लिंग परिवर्तन भी संभव है। कर्म के आधार पर ही आपका अगला जन्म निर्भर करता है। कर्म एक प्रक्रिया है जो हमारे जीवन और जन्म से हमेशा जुड़ी रहती है।
इतिहास की तरह दोहराता है कर्म
आपने ये कहावत तो सुनी ही होगी कि ‘इतिहास दोहराया जाता है'। हम जो करते हैं या कहते हैं वो आगे चलकर हमारे सामने जरूर आता है। अपनी गलतियों से सीखना ही सबसे बढिया काम है और यही आपके कर्मों को सुधारता है। कर्म आपके जीवन की दिशा को बदल सकता है।
एक ही गलती को बार-बार दोहराना
एक ही इंसान एक ही तरह की गलती बार-बार क्यों करता है ? कर्म के कारण ही आप तब तक एक ही गलती दोहराते रहते हैं जब तक कि आप उसे सुधारने की समझ ना रख लें।
आत्मनिरीक्षण की जरूरत
इसी कारण आत्मनिरीक्षण की जरूरत पड़ती है। आपको अपनी गलतियों, कमजोरियों और परेशानियों का स्वयं विश्लेषण करना चाहिए। ये मुश्किल काम है लेकिन आपको ये जरूर करना चाहिए। जब तक आप अपने अंदर बदलाव नहीं लाएंगें तब तक आप बाहर भी कुछ नहीं बदल सकते हैं। अपने सत्कर्मों से ही आप कर्म के चक्र और बंधन से मुक्ति पा सकते हैं।