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विचित्र है काशी विश्वनाथ मंदिर की कहानी, भगवान शिव के त्रिशूल पर टिकी है बाबा की ये नगरी

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काशी विश्वनाथ मंदिर प्राचीनतम मंदिरों में से एक है। इसका इतिहास हजारों साल पुराना है। इसका जिक्र हिंदू पुराणों में भी मिलता है। शिव के भक्तों के लिए इस मन्दिर के दर्शन करना स्वयं भोलेनाथ की कृपा पाने के समान है। इतिहास के पन्नों को पलटा जाए तो पता चलता है कि इस मंदिर पर हमला करके इसकी बुनियाद को गिराने की बहुत बार कोशिश की गयी मगर इस स्थान से जुड़ी लोगों की आस्था ने इसकी नींव को और मजबूती ही दी। आज इस लेख के माध्यम से जानते हैं काशी विश्वनाथ मंदिर से जुड़ी कहानी और इसके साथ संबंधित रहस्यों के बारे में।

काशी विश्वनाथ मंदिर की कहानी

काशी विश्वनाथ मंदिर की कहानी

मां गंगा नदी के पश्चिमी घाट पर स्थित काशी विश्वनाथ मंदिर से जुड़ी एक बहुत ही दिलचस्प पौराणिक कहानी है। इस प्रचलित कथा के अनुसार एक बार विष्णु जी और ब्रह्मा जी में इस बात को लेकर बहस होने लगी कि दोनों में से कौन अधिक शक्तिशाली या श्रेष्ठ है।

इस विवाद को सुलझाने के लिए भगवान शिव पहुंच गए। महादेव ने एक बहुत ही विशाल प्रकाश स्तंभ या कहा जाए कि एक ज्योतिर्लिंग का रूप धारण कर लिया। इसके पश्चात् उन्होंने भगवान ब्रह्मा और श्रीहरि से इसके स्रोत और इसकी उंचाई का पता लगाने को कहा। इतना सुनते ही ब्रह्मा हंस पर सवार होकर आकाश की तरफ उड़कर स्तंभ के ऊपरी सिरे का पता लगाने के लिए चले जाते हैं।

वहीं दूसरी तरफ भगवान विष्णु एक शूकर का रूप धारण कर लेते हैं और पृथ्वी के अंदर उस स्तंभ के नीचले सिरे की खोज में निकल पड़ते हैं।

ऐसा कहा जाता है कि कई युगों तक दोनों इस खोज में लगे ही रह गए। अंत में भगवान विष्णु वापस आए और अपनी हार स्वीकार कर ली। मगर दूसरी तरफ ब्रह्माजी अपनी हार मानने के बजाय झूठ बोल देते हैं कि उन्होंने स्तंभ का ऊपरी सिरा देख लिया है। इस झूठ से क्रोधित होकर भगवान शिव ब्रह्माजी को श्राप दे देते हैं कि कभी उनकी पूजा नहीं होगी। शायद यही वजह है कि ब्रह्मा की किसी मन्दिर में पूजा नहीं की जाती है।

माना जाता है कि इस स्तंभ की वजह से पृथ्वी पर जहां-जहां से दिव्य परखाश निकला वो स्थान आगे चलकर 12 ज्योतिर्लिंग के रूप में पूजे गए।

12 ज्योतिर्लिंगों में श्रेष्ठ

12 ज्योतिर्लिंगों में श्रेष्ठ

सभी 12 ज्योतिर्लिंगों की अपनी अलग विशेषता और खासियत है। काशी विश्वनाथ मंदिर बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है। हिंदू धर्म में काशी विश्वनाथ मंदिर का एक विशिष्‍ट स्‍थान है। ऐसा माना जाता है कि एक बार इस मंदिर के दर्शन करने और पवित्र गंगा नदी में डुबकी लगा लेने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।

शिव के त्रिशूल पर बसी है काशी

शिव के त्रिशूल पर बसी है काशी

ऐसा माना जाता है कि काशी नगरी महादेव के त्रिशूल की नोंक पर टिकी हुई है। काशी नगरी को पाप नाशिनी बताया गया है। भोलेनाथ को यह स्थान इतना प्रिय है कि उन्होंने इसे अपनी राजधानी बनाई और स्वयं काशीनाथ बनें।

भैरव बाबा है काशी के कोतवाल

भैरव बाबा है काशी के कोतवाल

भैरव बाबा को हिंदू धर्म में विशेष स्थान प्राप्त है। ये भगवान शिव के गण और माता पार्वती के अनुचर माने गए हैं। ये काशी के कोतवाल हैं। भगवान काशी विश्वनाथ के दर्शन से पहले भैरव बाबा के दर्शन किए जाते हैं। गौरतलब है कि भगवान शिव के रुधिर से बहिर्व की उत्पत्ति हुई जो आगे बटुक भैरव और काल भैरव बन गए। इन दोनों की पूजा करने का विशेष महत्व है।

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काशी विश्वनाथ मंदिर के खुलने और दर्शन का समय

काशी विश्वनाथ मंदिर के खुलने और दर्शन का समय

काशी विश्वनाथ मंदिर रोजाना तड़के 2.30 बजे खुल जाता है। दिन भर में यहां 5 आरती की जाती है। दिन की पहली आरती तड़के 3 बजे की जाती है। आखिरी आरती का समय रात 10.30 बजे है।

बाबा के भक्तों के लिए मंदिर सुबह 4 बजे खुलता है। श्रद्धालु दिन में किसी भी समय मंदिर जाकर दर्शन और पूजा कर सकते हैं। अब पूजा और दर्शन का समय ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन के जरिए भी बुक कर सकते हैं।

English summary

Kashi Vishwanath Temple History, Katha and Interesting Facts in Hindi

The Kashi Vishwanath Temple is one of the most famous Hindu temples dedicated to Lord Shiva. Check out the history, katha and interesting facts of Kashi Vishwanath Temple in Hindi.
Story first published: Monday, December 13, 2021, 13:06 [IST]
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