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हरियाली और कजली तीज में क्या है अंतर?
हमारे भारत देश में हर महीने कोई न कोई व्रत या त्योहार मनाया जाता है चाहे वो बड़ा हो या छोटा, लोग पूरे उत्साह से इन्हें मनाते हैं। जिस तरह इस देश में अलग अलग धर्म और जाति के लोग रहते हैं ठीक उसी प्रकार उनके पर्व भी अलग अलग होते हैं। इन्हीं त्योहारों और व्रतों में से एक है तीज। चूंकि यह तृतीया तिथि को मनाया जाने वाला व्रत है इसलिए इसे तीज कहा जाता है।
तीज ख़ास तौर पर महिलाओं का उत्सव माना जाता है। तीज के पवित्र अवसर पर स्त्रियां भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा अर्चना करती हैं और अपने सुहाग की सलामती की कामना करती हैं। तीज का त्योहार साल में तीन बार मनाया जाता है और ये हैं हरियाली तीज, हरतालिका तीज और कजरी तीज। आइए जानते हैं इन तीनों व्रतों के महत्त्व के बारे में।
कजरी या कजली तीज
भादो के कृष्ण पक्ष की तीज को कजरी तीज मनाई जाती है। इसे कजली, सातुड़ी और भादों तीज के नाम से भी जाना जाता है। इस व्रत को भी सुहागन औरतें अखंड सौभाग्य की कामना करने के लिए रखती हैं। इसके अलावा कुंवारी कन्याएं भी अपना मनपसंद वर पाने की इच्छा के साथ इस दिन व्रत और पूजा करती हैं।
एक पौराणिक कथा के अनुसार मध्य भारत के राज्य में कजली नाम का एक वन था। कहते हैं वहां के लोग कजली के नाम पर कई सारे गीत गाते थे। एक दिन वहां के राजा की मृत्यु हो गयी जिसके बाद उनकी रानी भी सती हो गयीं। वहां के लोग इस बात से बड़े ही दुखी रहने लगे। तब से वे कजली के गीत पति और पत्नी के प्रेम से जोड़कर गाने लगें।
कजरी तीज पर सुहागन औरतें कजरी खेलने अपने मायके जाती हैं। रात भर महिलाएं जागती हैं, साथ ही कजरी खेलती और गाती हैं। औरतें खूब झूमती नाचती हैं। इसके अलावा इस अवसर पर घर में झूला डाला जाता है जिस पर बैठकर महिलाएं अपनी ख़ुशी ज़ाहिर करती हैं। गेहूं, सत्तू, चावल, जौ और चना यह सब घी में मिलाकर तरह तरह के पकवान बनाए जाते हैं। यही पकवान खाकर औरतें अपना व्रत खोलती हैं। खीर, पूरी, हलवा आदि इस दिन बनने वाले मुख्य पकवानो में से एक हैं।
कजरी तीज पर गायों की भी पूजा करने की विशेष परंपरा है। शाम को व्रत तोड़ने से पहले महिलाएं 7 रोटियों पर चना और गुड़ रखकर गाय को खिलाती हैं।
उत्तर प्रदेश और बिहार में लोग नाव पर बैठकर कजरी गाते हैं। वहीं राजस्थान में इस दिन पारंपरिक नाच गाना होता है। साथ ही ऊंट और हाथी की भी सवारी की जाती है।
आपको बता दें कि इस बार कजरी तीज 29 अगस्त, बुधवार को है।
हरियाली तीज
जैसा कि हमने आपको बताया तीज का त्योहार औरतों का ही होता है। हरियाली तीज सावन महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाया जाता है। इस दिन महादेव और माता गौरी की पूजा की जाती है। महिलाएं बिना अन्न और जल के इस कठिन व्रत को रखती हैं और भगवान से अपने पति की लंबी आयु की कामना करती हैं।
हरियाली तीज पर जगह जगह पेड़ों पर झूले लगते हैं जिस पर बैठकर महिलाएं झूमती गाती हैं। यह भी इस त्योहार को मनाने का एक तरीका है। वैसे तो इस तीज को भारत के कई हिस्सों में मनाते हैं लेकिन विशेष रूप से यह राजस्थान में मनाया जाता है।
हरियाली तीज को सुहाग से इसलिए जोड़ा जाता है क्योंकि सबसे पहले माता पार्वती ने यह व्रत और पूजा की थी। उन्होंने भोलेनाथ को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए सैकड़ों वर्षों तक कठोर तपस्या की थी, तब जाकर महादेव ने उन्हें अपनी पत्नी बनाने का वरदान दिया था।
आपको बता दें इस बार हरियाली तीज 13 अगस्त, सोमवार को है।
हरतालिका तीज
कहते हैं इन तीनों तीज में से हरतालिका तीज सबसे महत्वपूर्ण है। ख़ासतौर पर उत्तर प्रदेश और बिहार में इस तीज का बड़ा ही महत्त्व है। ऐसी मान्यता है कि शिव जी ने माता पार्वती को उनके पूर्व जन्म का स्मरण कराने के उद्देश्य से इस व्रत के माहात्म्य की कथा सुनाई थी।
पर्वत राज हिमालय अपनी पुत्री पार्वती का विवाह विष्णु जी से करवाना चाहते थे लेकिन देवी पार्वती तो बचपन से ही महादेव को अपना पति मान चुकी थी इसलिए उन्होंने भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए एक नदी के तट पर गुफा में जाकर शिव जी की आराधना शुरू कर दी। कहा जाता है माता ने रेत से भगवान की प्रतिमा बनाई और अन्न, जल त्याग कर कठिन उपवास रखा। देवी ने रात भर जाग कर महादेव के लिए गीत गाए यह सब देख कर भोलेनाथ का आसन डोल गया और भाद्रपद शुक्ल तृतीया को हस्त नक्षत्र में शिव जी ने माता को दर्शन दिए। इसके बाद देवी ने पूजा की सभी सामग्री नदी में प्रवाहित करके अपना व्रत खोला था।
इसलिए हरतालिका तीज पर महिलाएं सुंदर मंडप सजाकर बालू से शिव और पार्वती की प्रतिमा बनाती हैं और उनका गठबंधन करती हैं।
आपको बता दें इस बार हरतालिका तीज 12 सितंबर, बुधवार को है।
नेपाल में भी होती है हरतालिका तीज की धूम
सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि हरतालिका तीज नेपाल में भी बड़े ही धूमधाम से मनाई जाती है। इस पवित्र अवसर पर व्रतधारी महिलाएं और युवतियां भक्ति गीत गाती हैं और नाचती हैं। इसके अलावा यहां पर भी औरतें शिव और गौरी की पूजा करती हैं साथ ही निर्जल उपवास भी रखती हैं।