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आज सावन के आखिरी सोमवार पर बन रहा है दुर्लभ संयोग, शाम को है पूजा का शुभ मुहूर्त

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12 अगस्त को सावन का चौथा तथा आखिरी सोमवार मनाया जा रहा है। प्रातः काल से ही मंदिरों में शिवभक्तों की भारी भीड़ पहुंच रही है। भगवान शिव को सावन का महीना बेहद प्रिय है। शिव भक्त उनकी कृपा पाने के लिए सावन के सोमवार पर खास पूजा अर्चना करते हैं। भगवान शिव धन, समृद्धि, संतान प्राप्ति के साथ स्वस्थ काया का आशीर्वाद देते हैं। इस साल सावन के आखिरी सोमवार पर क्या है खास आइए जानते हैं।

प्रदोष व्रत का शुभ संयोग

प्रदोष व्रत का शुभ संयोग

सावन के सोमवार के साथ प्रदोष व्रत भी भगवान शिव को समर्पित माना जाता है। 12 अगस्त को प्रदोष व्रत होने की वजह से इस दिन की महत्ता और बढ़ गयी है। सावन के सोमवार की तरह प्रदोष व्रत पर भगवान शिव की पूजा होती है और यह पूजा शाम के समय होती है। हर महीने त्रयोदशी तिथि के दिन प्रदोष व्रत होता है। यह शुक्ल और कृष्ण दोनों ही पक्षों की त्रयोदशी के दिन किया जाता है और इसलिए इसे तेरस भी कहा जाता है।

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प्रदोष व्रत से मिलते हैं ये लाभ

प्रदोष व्रत से मिलते हैं ये लाभ

शास्त्रों के मुताबिक प्रदोष व्रत रखने से दो गायों को दान देने जितना पुण्य मिलता है। प्रदोष व्रत के बारे में पुराणों में कहा गया है- एक दिन जब चारों ओर अधर्म की स्थिति होगी, अन्याय और अनाचार का एकाधिकार होगा, मनुष्य में स्वार्थ भावना अधिक होगी। व्यक्ति सत्कर्म करने के बजाय नीच कार्यों को अधिक करेगा। ऐसे समय में जो व्यक्ति त्रयोदशी का व्रत रख, शिव आराधना करेगा, उस पर शिव कृपा होगी। माना जाता है कि ये व्रत रखने वाला व्यक्ति जन्म-जन्मान्तर के फेर से निकलकर मोक्ष के रास्ते पर आगे बढता है। उसे उत्तम लोक की प्राप्ति होती है।

मान्यता है कि प्रदोष व्रत करने से आर्थिक संकटों से जूझ रहे लोगों को खास लाभ मिलता है। विवाह में बाधा आ रही है तो लड़के और लड़कियों को इस पूजन से लाभ मिलता है। पुत्र की कामना करने वाले लोगों को भी यह व्रत करना चाहिए।

सावन 2019 में प्रदोष व्रत पूजा का समय

सावन 2019 में प्रदोष व्रत पूजा का समय

ऐसी मान्यता है प्रदोष व्रत पर भगवान शिव की पूजा शाम को ही शुरू की जाती है। भोलेनाथ की पूजा के लिए ऐसा वक्त चुना जाता है जब पूरी तरह से अंधेरा भी नहीं रहता है और सिर्फ दिन की हल्की रोशनी ही बाकी रहती है। इस कारण प्रदोष व्रत में पूजा का शुभ समय हमेशा शाम को ही रहता है। इस बार 12 अगस्त को प्रदोष व्रत की पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 6.59 बजे से रात 9.10 बजे के बीच का है।

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प्रदोष व्रत पूजा की विधि

प्रदोष व्रत पूजा की विधि

प्रदोष व्रत की पूजा करने वाले भक्त को पहले स्नान करना चाहिए और फिर साफ़ वस्त्र पहनकर पूजा स्थान पर बैठना चाहिए। मुमकिन हो तो उत्तर-पूर्व की ओर मुंह करते हुए पूजा के स्थान पर बैठें। इसके बाद पांच रंगों का इस्तेमाल करते हुए रंगोली बनाएं और पंचामृत से भगवान शिव का अभिषेक करें। इस दौरान आप ओम नम: शिवाय मंत्र का जाप करें। अभिषेक के बाद विधिवत पूजा करें। अब बेल पत्र, धतुरा, फूल, मिठाई, फल आदि का भोग भगवान शिव को लगाएं।

English summary

Last Sawan Somvar: Know Importance Vrat Puja Vidhi Shubh Muhurat Of Sawan Somvar

The month of Sawan, beloved by Lord Shiva, will conclude on 15 August with the festival of Raksha Bandhan. On August 12, is the last somvar of sawan month Sawan.
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