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रामनवमी 2018: जानिए श्री राम से जुड़े कुछ रहस्य
आज हिन्दुओं का प्रमुख त्यौहार राम नवमी है जो मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम को समर्पित है। यह पर्व चैत्र शुक्ल पक्ष की नौवीं तिथि को बड़े ही धूम धाम से मनाया जाता है।पवित्र हिन्दू ग्रन्थ रामायण के अनुसार इस दिन प्रभु श्री राम का जन्म हुआ था।
इस पावन दिन को चैत्र नवरात्रि के अंत का प्रतीक भी माना जाता है। इसके अलावा ऐसी मान्यता है कि इस दिन स्वामी तुलसीदास ने रामचरित मानस की रचना शुरू की थी।
आज
इस
लेख
में
हम
आपको
श्री
राम
से
जुड़ी
कुछ
ख़ास
बातें
बताएंगे
जो
बहुत
कम
लोग
ही
जानते
है।
कैसे
हुआ
श्री
राम
का
जन्म
प्रभु
श्री
राम
के
जन्म
के
पीछे
भी
एक
कहानी
है
जो
इस
प्रकार
है।
अयोध्या
के
राजा
दशरथ
की
तीन
रानियां
थी
कौशल्या,
सुमित्रा
और
कैकेयी
किन्तु
उनकी
संतान
नहीं
थी
राजा
को
हर
वक़्त
एक
ही
चिंता
सताती
थी
की
उनके
बाद
उनके
राज्य
को
कौन
संभालेगा।
तब
राजा
ने
ऋषि
वशिष्ठ
से
अपनी
समस्या
का
हल
पूछा।
इस
पर
उन्होंने
संतान
प्राप्ति
के
लिए
दशरथ
को
यज्ञ
करने
की
सलाह
दी।
ऋषि
वशिष्ठ
की
बात
मानकर
राजा
ने
यज्ञ
का
आयोजन
किया
और
विशेष
रूप
से
से
महिर्षि
ऋंग
को
आमंत्रित
किया।
यज्ञ
समापत
होने
के
पश्चात
यज्ञ
देवता
ने
उन्हें
दिव्य
खीर
से
भरा
कटोरा
दिया
और
उस
खीर
को
अपनी
तीनो
रानियों
को
खिलने
के
लिए
कहा।
वह
खीर
खाने
के
कुछ
दिनों
के
पश्चात
तीनो
रानियां
गर्भवती
हो
गयीं
और
चैत्र
शुक्ल
पक्ष
की
नवमी
तिथि
को
कौशल्या
ने
राम
को,
कैकेयी
ने
भरत
को
और
सुमित्रा
ने
जुड़वा
पुत्र
लक्ष्मण
और
शत्रुघ्न
को
जन्म
दिया।
भगवान
विष्णु
के
सातवें
अवतार
प्रभु
श्री
राम
भगवान
विष्णु
के
सातवें
अवतार
थे
जिन्होंने
धरती
पर
मनुष्य
रूप
में
जन्म
इसलिए
लिया
था
ताकि
वे
दुष्ट
रावण
के
अत्याचारों
से
सिर्फ
जनता
को
ही
नहीं
बल्कि
देवतागण
को
भी
मुक्त
करा
सके।
रावण
को
ब्रह्मा
जी
से
अमर
होने
का
वरदान
प्राप्त
था
इसलिए
श्री
हरी
विष्णु
ने
उसका
अंत
करने
के
लिए
कौशल्या
की
कोख
से
राम
के
रूप
में
जन्म
लिया
था।
राम
नवमी
की
पूजा
विधि
एवं
महत्व
ऐसी
मान्यता
है
कि
राम
नवमी
के
दिन
पूजा
करने
से
जीवन
में
शान्ति
और
खुशियां
आती
है।
यह
पर्व
अच्छाई
का
बुराई
पर
जीत
का
प्रतीक
है।
इस
दिन
सबसे
पहले
स्नान
करके
पवित्र
हो
जाए
तत्पश्चात
भगवान
सूर्य
को
जल
चढ़ाएं
और
उनकी
पूजा
करें,
क्यूंकि
सूर्यदेव
सूर्य
देव
श्री
राम
के
पूर्वज
थे
।
इस पूजा में तुलसी और कमल का फूल अति आवश्यक है। उसके बाद श्रीराम नवमी की पूजा षोडशोपचार करें। खीर और फल को प्रसाद के रूप में भगवान को चढ़ाएं। फिर राम लल्ला की मूर्ति को पालने में डाल कर झुलाएं। पूजा सम्पन्न हो जाने के बाद घर की सबसे छोटी महिला सबको टीका लगाए।
इस दिन भक्तगण रामायण का पाठ और रामरक्षा स्त्रोत भी पढ़ते है। इसके अलावा देश के कई हिस्सों में अलग अलग जगह भजन-कीर्तन का भी आयोजन किया जाता है।
भगवान
राम
से
जुड़े
कुछ
रहस्य
महर्षि
वाल्मीकि
ने
रामायण
में
प्रभु
श्री
राम
के
जीवनकाल
एवं
उनके
पराक्रम
का
वर्णन
किया
है।
रामायण
की
कथा
हमने
कई
बार
सुनी,
देखी
या
पढ़ी
होगी
लेकिन
इसमें
कई
ऐसे
रोचक
और
भिन्न
किस्से
भी
है
जिससे
शायद
आप
परिचित
नहीं
है।
आइए
जानते
है
क्या
है
वे
रोचक
तथ्य।
1.
श्री
राम
की
एक
बहन
भी
थी
जैसा
कि
हम
सब
जानते
है
राम
,
लक्ष्मण,
भरत
और
शत्रुघ्न
चारो
भाई
थे
किन्तु
इन
सबकी
एक
बड़ी
बहिन
भी
थी
जिसका
नाम
शांता
था।
राजा
दशरथ
की
सबसे
पहली
रानी
कौशल्या
ने
एक
पुत्री
को
भी
जन्म
दिया
था
जिसे
दशरथ
ने
अंगदेश
के
राजा
रोमपद
और
उनकी
पत्नी
वर्षिणी
को
गोद
दे
दिया
था।
वर्षिणी
रानी
कौशल्या
की
बहन
थी।
2.
ऋषि
वशिष्ठ
ने
रखा
था
श्री
राम
का
नाम
ऋषि
वशिष्ठ
ने
दो
बीजाक्षरों
अग्नि
बीज
और
अमृत
बीज
को
जोड़कर
,भगवान
राम
का
नाम
रखा
था।
श्री
राम
को
उनके
सुन्दर
आँखों
की
वजह
से
कमलनयन
भी
कहतें
है।
3.
जब
हनुमान
जी
ने
श्री
राम
को
युद्ध
में
पराजित
किया
ऋषि
विक्रमादित्य
के
आदेश
पर
श्री
राम
काशी
के
राजा
को
मारने
गए
थे
किन्तु
बजरंबली
उस
राजा
के
रक्षक
थे।
जैसे
ही
युद्ध
आरम्भ
हुआ
हनुमान
जी
ने
राम
राम
जपना
शुरू
कर
दिया
जिसकी
वजह
से
श्री
राम
के
तीरों
का
मारुती
पर
कोई
असर
नहीं
हुआ
और
अंत
में
राम
जी
को
हार
माननी
पड़ी।
4.
नारद
जी
के
श्राप
कारण
हुआ
था
श्री
राम
को
वनवास
रामायण
के
अनुसार
माता
कैकेयी
के
कारण
श्री
राम
को
चौदह
वर्षों
का
वनवास
हुआ
था।
किन्तु
क्या
आप
यह
जानते
है
कि
उन्हें
यह
वनवास
नारद
जी
के
श्राप
की
वजह
से
मिला
था।
भगवान
राम
विष्णु
जी
के
सातवें
अवतार
है।
एक
बार
विष्णु
जी
ने
नारद
जी
के
साथ
छल
किया
जिससे
क्रोधित
होकर
नारद
जी
ने
उन्हें
स्त्री
वियोग
का
श्राप
दे
दिया।
5.
27
वर्ष
की
आयु
में
श्री
राम
वनवास
गए
थे
श्री
राम
27
वर्ष
की
आयु
में
अपनी
पत्नी
सीता
और
भाई
लक्ष्मण
के
साथ
14
वर्ष
का
वनवास
काटने
गए
थे।
6.
क्यों,
कहाँ
और
कैसे
समाधी
ली
थी
श्री
राम
ने
जब
माता
सीता
धरती
में
समा
गयी
उस
वक़्त
श्री
राम
ने
भी
सरयू
नदी
में
जलसमाधि
ले
ली
थी।
7.
कौन
से
वन
में
वनवास
व्यतीत
किया
था
श्री
राम
ने
वनवास
श्री
राम,
लक्ष्मण
और
माता
सीता
ने
दंडकारण्य
में
अपना
वनवास
व्यतीत
किया
था।
यह
वन
ओडिशा,
छत्तीसगढ़,
आंध्र
प्रदेश
और
महाराष्ट्र
के
36,
500वर्ग
मील
में
फैला
हुआ
है।