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Nirjala Ekadashi 2020: इस एक व्रत से मिलता है सभी एकादशी व्रत के बराबर फल
हिंदू पंचांग के अनुसार अभी तीसरा महीना ज्येष्ठ का चल रहा है। इस महीने में गर्मी काफी तेज होती है इस कारण ये समय लोगों को पानी का मूल्य बताता है। इस पूरे माह पानी की बचत और जल का दान करना अच्छा माना जाता है। ज्येष्ठ माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी को निर्जला एकादशी का व्रत रखा जाता है। इस दिन को भीमसेन एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन व्रती पानी की एक बूंद ग्रहण किये बिना निर्जला एकादशी का व्रत पूरा कर विष्णु जी की उपासना करता है। इस साल निर्जला एकादशी का व्रत 2 जून को रखा जाएगा।
सूर्य पूजा करने की परंपरा
ज्येष्ठ महीने में सूर्य का प्रभाव चरम पर होता है। इस महीने तेज गर्मी रहती है और वाष्पीकरण अधिक होता है। इस कारण नदी, तालाब सूखने लगते हैं, जमीन का जल स्तर काफी नीचे चला जाता है। लोगों को पानी बर्बाद करने से बचना चाहिए। आप निर्जला एकादशी के मौके पर प्याऊ या मटके लगवाएं। अपने घर के बाहर या छत पर चिड़ियों के लिए दाना-पानी का इंतजाम करें। जल्दी उठकर सूर्य की पूजा करें। ज्येष्ठ महीने में अपने खाने पीने का विशेष ख्याल रखें।
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निर्जला एकादशी व्रत से लाभ
निर्जला एकादशी का व्रत फलदायक माना गया है। धार्मिक मान्यता के अनुसार श्रद्धा के साथ सच्चे मन से जो व्यक्ति इस व्रत को करता है उसे समस्त एकादशी के व्रत जितना पुण्य मिलता है। उसे कष्टों से मुक्ति मिलती है और जीवन में खुशहाली आती है। इस दिन दान करने वाले मनुष्य को दीर्घायु का आशीर्वाद मिलता है तथा पुण्य की प्राप्ति होती है।
निर्जला एकादशी की तिथि व मुहूर्त
एकादशी तिथि प्रारंभ - दोपहर 02:57 बजे से (1 जून 2020)
एकादशी तिथि समाप्त - दोपहर 12:04 बजे तक (2 जून 2020)
पारण मुहूर्त - सुबह 05:52 से 08:27 तक (03 जून 2020)
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निर्जला एकादशी व्रत कथा
निर्जला एकादशी की व्रत कथा के अनुसार, महाभारत काल में एक बार पांडु पुत्र भीम ने महर्षि वेद व्यास जी से पूछा कि हे परम आदरणीय मुनिवर! मेरे परिवार के सभी लोग एकादशी व्रत करते हैं और मुझे भी व्रत करने के लिए कहते हैं। लेकिन मैं भूखा नहीं रह सकता हूं अत: आप मुझे कृपा करके बताएं कि बिना उपवास किए एकादशी का फल कैसे प्राप्त किया जा सकता है।
भीम द्वारा ऐसा अनुरोध किए जाने पर वेद व्यास जी ने कहा- पुत्र! तुम ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन निर्जल व्रत करो। इस दिन अन्न और जल दोनों का त्याग करना पड़ता है। जो भी मनुष्य एकादशी तिथि के सूर्योदय से लेकर द्वादशी तिथि के सूर्योदय तक बिना पानी पीये रहता है और सच्ची श्रद्धा से निर्जला व्रत का पालन करता है, उसे साल में जितनी एकादशी आती है उन सब एकादशी का फल इस एक व्रत को करने से मिल जाता है। तब भीम ने व्यास जी की आज्ञा का पालन कर निर्जला एकादशी का व्रत किया था।
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