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शारदीय नवरात्रि की पौराणिक कथा से जानें क्यों खास माने गए हैं ये नौ दिन

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दुर्गा माता की आराधना के लिए नवरात्रि का समय सर्वश्रेष्ठ माना गया है। हिंदू पंचांग के मुताबिक आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवरात्रि की पावन तिथि की शुरुआत होती है। इस शुभ समय पर माता के अलग अलग नौ रूपों की आराधना की जाती है।

Shardiya Navratri Pauranik Katha in Hindi

इस साल नवरात्रि का पर्व 17 अक्टूबर से शुरू होगा। माना जाता है कि इस दौरान दुर्गा मां की विशेष पूजा करने से मनचाहे फल की प्राप्ति होती है। आज इस लेख के माध्यम से जानते है कल्याणकारी शारदीय नवरात्रि से जुड़ी पौराणिक कथा।

साल में आते हैं चार नवरात्र

साल में आते हैं चार नवरात्र

साल में माता को समर्पित नवरात्रि का पर्व चार बार आता है, जिनमें चैत्र नवरात्रि, शारदीय नवरात्रि और दो गुप्त नवरात्रि शामिल है। गुप्त शक्तियों के लिए आराधना करने वाले भक्तों के लिए गुप्त नवरात्रि बेहद खास माने जाते हैं। वहीं आमजन के लिए चैत्र और शारदीय नवरात्रि बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। नवरात्रि का प्रत्येक दिन माता के अलग रूप को समर्पित होता है।

शारदीय नवरात्रि पौराणिक कथा

शारदीय नवरात्रि पौराणिक कथा

शास्त्रों के अनुसार नवरात्रि का त्योहार मनाए जाने के पीछे मुख्य दो कारण बताए गए हैं। पहली पौराणिक कथा के अनुसार महिषासुर नामक एक राक्षस था। वह ब्रह्मा जी का परम भक्त था। उसने अपनी कठोर तपस्या से ब्रह्माजी को प्रसन्न किया और एक वरदान प्राप्त कर लिया। वरदान में उसने मांगा कि कोई भी देव, दानव या पृथ्वी पर रहने वाला कोई मनुष्य उसे मार नहीं पाएगा।

वरदान मिलने के बाद से महिषासुर बहुत निर्दयी हो गया। उसने तीनो लोकों में आतंक मचाकर रख दिया। उसके आतंक से परेशान होकर देवी-देवताओं ने ब्रह्मा, विष्णु, महेश के साथ मिलकर मां शक्ति के रूप में दुर्गा को जन्म दिया। दुर्गा माता और महिषासुर के बीच नौ दिनों तक भीषण युद्ध हुआ और आखिरकार दसवें दिन मां दुर्गा ने महिषासुर का वध कर दिया। यह दिन बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाया जाता है।

भगवान श्रीराम से जुड़ी कथा

भगवान श्रीराम से जुड़ी कथा

नवरात्रि से जुड़ी दूसरी पौराणिक कथा के मुताबिक श्रीराम ने लंका पर आक्रमण करने से पूर्व और रावण के साथ युद्ध में विजय हासिल करने के लिए शक्ति की देवी माता भगवती की आराधना की थी। भगवान राम ने नौ दिनों तक रामेश्वरम में माता की पूजा-अर्चना की। उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर ही माता ने उन्हें लंका विजयी होने का आशीर्वाद दिया। दसवें दिन प्रभु श्रीराम ने लंकेश्वर रावण को युद्ध में हराकर उसका वध किया और लंका पर विजय प्राप्त की। नवरात्रि के बाद दसवां दिन विजय दशमी के रूप में जाना जाता है।

English summary

Shardiya Navratri Pauranik Katha in Hindi

Must Read Shardiya Navratri Pauranik Katha in Hindi.
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