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क्या होता है आनंद कराज? जिस रस्म से सोनम और आनंद हुए एक दूजे के

आखिरकार सोनम कपूर-आनंद आहूजा की शादी की सभी रस्में पूरी हो चुकी हैं। ये शादी सिख रीति-रिवाजों के साथ हुई।शादी के चंद मिनटों बाद ही सोनम कपूर और आनंद आहूजा के 'आनंद कारज' (यानी सिख रीति रिवाजों से हुई शादी) की तस्वीरें सामने आ गई हैं।
आनंद कारज हिंदू धर्म के विवाह से बिल्कुल अलग माना जाता है। यह रस्म दिन में होती है, पारंपरिक हिंदू शादियों में जहां लग्न, मुहूर्त, जन्मपत्रियों, कुंडली दोष का मिलाना जरूरी होता है। आनंद कारज में ये रस्म ज्यादा महत्व नहीं रखते हैं। सिख धर्म में जो लोग गुरु और अपनी धर्म पर पूरी आस्था रखते हैं, वे आनंद कारज करते हैं, उन्हें खुशी के किसी भी काम के लिए मूहूर्त देखने की जरुरत नहीं होती है। उनके लिए हर दिन पवित्र होता है। आइए जानते है कि क्या होता है आनंद कारज ?
क्या
अर्थ
होता
है
आनंद
कारज
?
आनंद
कारज
का
अर्थ
होता
है
खुशी
का
कार्य।
आनंद
कारज
हिंदू
धर्म
के
विवाह
से
बिल्कुल
अलग
माना
जाता
है।
इस
शादी
में
लग्न,
मुहूर्त,
शगुन-अपशगुन,
नक्षत्र
देखना,
कुंडली
का
मिलान
आदि
आवश्यक
नहीं
होता
है।
ऐसा
होता
है
आनंद
कारज?
हालांकि
आनंद
कारज
के
कुछ
रस्में
जैसे
फेरे
लेना,
दुल्हन
का
मंडप
तक
लाना
जैसे
कुछ
रस्में
हिंदू
शादियों
की
रीति
रिवाजों
की
तरह
होती
हैं।
आनंद
कारज
में
ग्रंथी
गुरुग्रंथ
साहिब
का
पाठ
करते
हैं।
इस
दौरान
सभी
परिजनों
के
सिर
ढकें
हुए
होने
जरुरी
होते
है,
जहां
महिलाओं
के
सिर
पर
दुपट्टा
ओढ़ा
हुआ
होना
चाहिए
वहीं
पुरुषों
के
सिर
पर
पगड़ी
होती
है।
ये
रस्म
फेरों
से
पहले
होती
है।
इसके
के
बाद
फेरे
लेने
के
बाद
गुरु
ग्रंथ
साहिब
के
सामने
माथा
टेकने
के
बाद
ही
आनंद
कारज
यानी
सिख
रीति
रिवाजों
से
शादी
सम्पन्न
हो
जाती
है।
चार
फेरे
लिए
जाते
है
आनंद
कराज
में?
इस
दौरान
दुल्हन
के
पिता
पगड़ी
का
एक
सिरा
दूल्हे
के
कंधे
पर
रखते
हैं
और
दूसरा
सिरा
दुल्हन
के
हाथ
में
देते
हैं।
फिर
जोड़ा
गुरु
ग्रंथ
साहिब
के
चार
फेरे
लेता
है,
जिसको
लवाण,
लावा
या
फेरा
बोलते
हैं।
पहले
फेरे
या
लवाण
में
नाम
जपते
हुए
सतकर्म
की
सीख
जोड़े
को
दी
जाती
है।
दूसरे
फेरे
सच्चे
गुरु
को
पाने
का
रास्ता
दिखाया
जाता
है
ताकि
उनके
बीच
अहम
की
दीवार
न
रहे।
तीसरे
फेरे
में
संगत
के
साथ
गुरु
की
बाणी
बोलने
की
सीख
देते
हैं।
चौथे
और
अंतिम
लांवे
में
मन
की
शांति
और
गुरु
को
पाने
के
शब्द
कहे
जाते
हैं।
इन
रस्मों
के
बीच
अरदास
चलती
रहती
है,
इसके
बाद
अरदास
खत्म
होने
पर
सबको
रागी
का
प्रसाद
बनाकर
बांटा
जाता
है।
आनंद
कारज
मैरिए
एक्ट
जैसा
कि
ऊपर
बताया
कि
सिख
रीति
रिवाज
से
होने
वाली
शादी,
हिंदू
शादियों
से
अलग
होते
है।
सिख
विवाह
के
लिए
अधिनियम
तो
वर्ष
1909
में
ही
बना
था,
लेकिन
उसमें
विवाह
के
पंजीकरण
का
कोई
प्रावधान
नहीं
था।
अभी
तक
कई
सिखों
की
शादी,
हिंदू
शादी
एक्ट
के
तहत
ही
रजिस्ट्रर्ड
होती
आ
रही
थी।
इसलिए
1909
से
सिखों
समुदाय
आनंद
कारज
मैरिज
एक्ट
की
मांग
करते
आ
रहे
थे।
लेकिन हाल ही में सिर्फ दिल्ली में फरवरी 2018 में आनंद कारज मैरिए एक्ट लागू हो चुका है। जबकि आप मानेंगे नहीं भारत से पहले पाकिस्तान ने सिख शादी को मान्यता देने के लिए 2017 में ही सिख मैरिज एक्ट पारित कर दिया था। अब दिल्ली में जिन सिख परिवारों के लोगों की शादी हिन्दू मैरिज एक्ट के तहत रजिस्टर्ड है वे अब आनंद कारज मैरिज एक्ट के तहत इसके पंजीकृत करवा सकते हैं।