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क्वीन एलिजाबेथ ।। को था बोन मेरो कैंसर, नई किताब में किया गया दावा
क्वीन एलिजाबेथ ।। अपनी जिंदगी के अंतिम सालों में गुप्त रूप से कैंसर से लड़ाई लड़ रही थीं। यूनाइटेड किंगडम के सबसे लंबे समय तक राज करने वाली रानी का 96 साल की उम्र में 8 सितंबर, 2022 को बाल्मोरल कैसल, एबरडीनशायर, स्कॉटलैंड में उनके घर में निधन हो गया था। उनकी मौत के बाद एक नई बायोग्राफी 'एलिजाबेथ: एन इंटिमेट पोर्ट्रेट' सामने आई है। जिसे राइटर गाइल्स ब्रैंड्रेथ ने लिखा है। जिसमें दावा किया है कि रानी अपनी जिंदगी के अंतिम सालों में बोन मैरो कैंसर से लड़ रही थीं। नई किताब में दावा किया गया है कि क्वीन एलिजाबेथ ।। ने अंतिम वर्षों में गुप्त रूप से से लड़ाई लड़ी थी।
मायलोमा कैंसर था, राइटर ब्रैंड्रेथ ने अपकमिंग बायोग्राफी में बताया
नई बुक में, राइटर ब्रैंड्रेथ ने डेली मेल के माध्यम से लिखा, "मैंने सुना था कि क्वीन को मायलोमा कैंसर था, जिसकी वजह से उनमें थकान और वजन घटाने के साथ-साथ उनकी फुर्तीलेपन को कम किया था। प्रिंस फिलिप के दोस्त शैल्स ब्रैंड्रेथ ने 'एलिजाबेथ: एन इंटिमेट पोर्ट्रेट' नामक अपकमिंग बायोग्राफी में क्वीन एलिजाबेथ ।। के बारें में बताया।
मायलोमा का सबसे कॉमन समटम्स हड्डी का दर्द है, जो विशेष रूप से पेलविस और पीठ के नीचे हिस्से में होता है। मल्टीपल मायलोमा एक ऐसी बीमारी है जो अक्सर बुजुर्गों को प्रभावित करती है।
क्वीन जानती थीं, उसके पास सीमित समय है- ब्रैंड्रेथ
आज के टाइम में इसका कोई इलाज नहीं है, लेकिन ट्रीटमेंट, जिसमें इम्यून सिस्टम को रेगुलेट करने में मदद करने वाली दवाएं और हड्डियों को कमजोर होने से रोकने में मदद करने वाली दवाएं शामिल हैं। इसके लक्षणों की गंभीरता को कम कर सकते हैं और रोगी की जिंदगी के महीनों या दो से तीन साल तक बढ़ा सकते हैं।
ब्रैंड्रेथ ने शाही किताब में ये भी बताया है कि क्वीन जानती थी कि उसके पास सीमित समय बचा है, इसलिए उसने इनश्योर किया कि उसकी मौत से पहले उसे "कोई पछतावा नहीं" बचा था।
बुक के स्पेशलिस्ट ने लिखा है, मेजेस्टी क्वीन हमेशा से जानती थीं कि उनके पास समय सीमित था। उन्होंने इसे पूरी पूरी तरह से स्वीकार किया।
सितंबर में 96 साल की उम्र में रानी का निधन
पुस्तक में ये भी दावा किया गया है कि पिछले साल अप्रैल में अपने पति फिलिप की मौत के बाद अपने सहयोगियों को ये बताने के बावजूद कि वो बिजी रहने के लिए दृढ़ थी, लेकिन रानी को लो एनर्जी का सामना करना पड़ा।
इस साल सितंबर में 96 साल की उम्र में उनका निधन हो गया।
मायलोमा कैंसर क्या है?
cancer.org की वेबसाइट के अनुसार, मायलोमा बोन मैरो का कैंसर है, आपकी हड्डियों के अंदर स्पंज जैसी सामग्री जिसमें स्टेम सेल होती हैं, जो रेल ब्लड सेल (आरबीसी),वाइट ब्लड सेल (डब्ल्यूबीसी), या प्लेटलेट्स में विकसित हो सकती हैं।
बोन मैरो कैंसर तब होता है जब मैरो में अबनॉर्मल सेल रूप से या क्विस पेस से बढ़ने लगती हैं। बोन मैरो में शुरू होने वाले कैंसर को बोन मैरो कैंसर या ब्लड कैंसर कहा जाता है।
ये अनुमान लगाया गया है कि अमेरिका में सभी उम्र के कम से कम 4,000 लोगों को 2020 में प्राइमरी हड्डी सार्कोमा का निदान किया गया था।