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जानें शिशु की किस उम्र से डालें तकिये की आदत
माता पिता अपने अपने बच्चे की देखभाल में किसी भी प्रकार की कोई लापरवाही नहीं करना चाहते हैं और उन्हें हर सुख सुविधा देना चाहते हैं ताकि उनके बच्चे को किसी भी तरह की कोई परेशानी न हो ख़ास तौर पर उसके आराम में कोई बाधा ना आए। इसलिए सोते वक़्त बच्चे के सिराहने तकिया लगा दिया जाता है।
क्या आप इस बात से चिंतित है कि आपका बच्चा बिस्तर पर बिना तकिए के सोता है। खैर यदि आपका बच्चा दो साल से कम उम्र का है तो उसके लिए तकिये का इस्तेमाल खतरनाक साबित हो सकता है। जी हाँ कई बार तकिये की वजह से बच्चों का दम घुट जाता है।
आप इस बात से बिल्कुल परेशान न हो कि आपका बच्चा बिना तकिए के सोता है क्योंकि तकिया उसके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक साबित हो सकता है। कई अध्ययनों से इस बात का खुलासा हुआ है कि तकिये का प्रयोग कई बार बच्चों के लिए जानलेवा साबित होता है। या तो इससे उनका दम घुट जाता है या फिर उन पर SIDS (Sudden Infant Death Syndrome) यानी शिशु की अचानक मृत्यु का खतरा बना रहता है।
कई बार भले ही जोखिम भरी अवधि समाप्त हो जाती है लेकिन फिर भी बच्चों के लिए इतनी जल्दी तकिये का इस्तेमाल नहीं करने की सलाह दी जाती है। हालांकि कई लोग इस बात को केवल एक मिथ मानते हैं तो वहीं कुछ लोग इस बात पर यकीन कर अपने बच्चे के लिए तकिये का प्रयोग नहीं करते।
आज अपने इस लेख के माध्यम से हम आपको इस विषय से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण जानकारियां देंगे। तो चलिए जानते हैं शिशु के लिए तकिये का प्रयोग कब सुरक्षित होता है और कब नहीं।
तकिये पर सोने की बच्चों के लिए सही उम्र
कहते हैं बच्चे जैसे जैसे बड़े होते हैं वो अपने माता पिता को देखकर उनसे बहुत कुछ सीखते हैं। जब वे अपने पेरेंट्स को तकिया लगाकर सोते देखते हैं तो ऐसे में कई बार वे भी तकिए की मांग करते हैं। कुछ बाल रोग चिकित्सकों का मानना है कि बच्चों के लिए तकिया लगाकर सोने की कोई विशेष उम्र नहीं होती। वहीं कुछ विषेशज्ञों का मानना है कि बच्चों के लिए एक वर्ष की आयु तकिये के इस्तेमाल के लिए सबसे सही होती है।
उनका कहना है कि इस उम्र में बच्चों के दम घुटने का खतरा काफी कम हो जाता है। यदि आपका बच्चा एक वर्ष की आयु में भी पालने में सोता है तो आपको पालने में रखी उसके आस पास की हर चीज़ का ख़ास ध्यान रखना होगा ताकि बच्चे को कोई नुकसान ना पहुंचे। ऐसे में आप अपने बच्चे के लिए ठोस, छोटा और फ्लैट तकिये का प्रयोग करना चाहिए। अगर आप अपने बच्चे के लिए तकिये का प्रयोग करना चाहते हैं तो बेहतर होगा आप तब तक इंतज़ार करें जब तक आपका बच्चा आपके साथ बिस्तर पर सोने न लगे।
भूलकर भी अपने बच्चे के लिए अधिक नरम फर वाले तकिये का इस्तेमाल न करें क्योंकि इस तरह के तकियों से बच्चों में एलर्जी का भी खतरा बना रहता है।
सही तकिया ही चुनें
जब आपका बच्चा तकिये पर सिर रख कर सोने के लिए बिल्कुल तैयार हो जाए तो ज़ाहिर सी बात है आप उसके लिए तकिया ज़रूर खरीदेंगे। लेकिन कुछ बातें ऐसी है जिन्हें आपको ध्यान में रखने की ज़रुरत है जैसे,
1. बच्चे का तकिया हमेशा फ्लैट और थोड़ा-सा सख्त होना चाहिए।
2. नरम मुलायम तकिए के इस्तेमाल से बचें।
3. फर वाले तकिये का प्रयोग बिलकुल न करें।
4. यदि आप तकिये की जांच अच्छी तरह से करना चाहते हैं तो आप उसे पहले दबाकर देखें कि वह कितनी देर में वापस अपने आकार में आता है। यदि वह अपने आकार में देर से आता है तो वह काफी कठोर है और यदि वह तुरंत अपने आकार में जाता है तो वह अधिक मुलायम है। आपको ऐसा तकिया चुनना है जो न तो ज़्यादा कठोर हो न ही ज़्यादा मुलायम।
5. हमेशा पॉलिएस्टर तकिए खरीदें, जो नॉन -एलर्जिक हो और जो नेचुरल फाइबर तकिए से अधिक टिकाऊ हों। पॉलिएस्टर कवर वाले तकिये सिर की गर्मी बढ़ाते हैं ऐसे में बच्चों को बुखार आने का भी खतरा होता है। शरीर की बढ़ती गर्मी के कारण पसीना भी ज़्यादा आता है यह बच्चे के लिए बेहद खतरनाक होता है।
तकिए का उपयोग कैसे करें
जब आपने इस बात का निर्णय ले लिया हो कि अब आप अपने बच्चे के लिए तकिये का इस्तेमाल करेंगे तो सबसे पहले आप बच्चे के सिर को सही तरीके से तकिए के ऊपर रखें और ध्यान रखें कि उसका सिर ज़्यादा इधर उधर न हो। यदि बच्चे का सिर ज़्याद हिल रहा है तो आप फ़ौरन तकिया हटा दें और कम से कम दो हफ्ते और इंतज़ार करें। फिर दोबारा से कोशिश करें और जब आप आश्वस्त हो जाएं कि आपका बच्चा तकिये पर सही तरीके से सो रहा है तो आप सोते वक़्त उसके सिरहाने तकिया लगाना शुरू कर दें।