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10 दिन के बेबी की देखभाल के दौरान रखें इन बातों का ख्याल
नवजात शिशु के जन्म के बाद ही उसकी देखभाल करने में बहुत सावधानी बरतनी चाहिए क्योंकि इस दौरान की गई लापरवाही से उसे आगे तक इसका नुकसान उठाना पड़ सकता है। शिशु को जन्म देने के बाद मां को अपने बच्चे की देखभाल के लिए बहुत चीजों को ध्यान में रखने की जरूरत है।
नवजात शिशु के शरीर का तापमान, सांस लेने और और उसे कितने समय में दूध पिलाना है। ये सब चीजें शिशु की सेहत पर असर डालती हैं। अगर आपने भी अभी शिशु का जन्म दिया है या आपकी भी जल्द ही डिलीवरी होने वाली है तो निम्न बातों का ध्यान जरूर रखें।
बच्चे को गर्माहट मिलना जरूरी है
जन्म के तुरंत बाद शिशु को गरमाई देना जरूरी है। जन्म के बाद उसे आराम से किसी साफ कपड़े से पोंछकर सिर से पैर तक कवर कर दें। शिशु को मां के सीने या पेट पर लिटाएं, इससे शिशु को गरमाई मिलती है। मां और बच्चे दोनों को कपड़े से ढक सकते हैं।
बच्चे को सांस लेने दें
शिशु को ठीक तरह से सांस लेने दें। उसके मुंह और नाक से म्यूकस एवं एम्नियोटिक फ्लूइड को साफ करें ताकि वो खुलकर सांस ले सके। अकसर शिशु के जन्म के बाद ऐसा किया जाता है। शिशु के मुंह और नाक में वायु मार्गों को साफ करने के लिए सक्शनिंग डिवाइस का इस्तेमाल किया जाता है।
स्तनपान करवाएं
नवजात शिशु को केवल मां का दूध पिलाया जाता है। अगर शिशु का वायुमार्ग साफ करने पर भी सांस लेने में दिक्कत हो रही है तो उसे जबरदस्ती दूध पिलाने की कोशिश ना करें। ऐसा करना असुरक्षित हो सकता है।
गर्भनाल को साफ करें
गर्भनाल को काटकर शिशु को मां से अलग किया जाता है इसलिए इसे साफ करने वाले उपकरणों को कीटाणुरहित होना चाहिए। गर्भनाल को बड़ी सावधानी के साथ एल्कोहल से साफ करके सुखा लें। इससे किसी भी तरह के संक्रमण या बैक्टीरिया के पनपने से बचा जा सकता है।
शिशु के दिल की धड़कन देखें
डॉक्टर को शिशु के जन्म के तुरंत बाद उसकी दिल की धड़कन चैक करनी चाहिए। आमतौर पर शिशु की हार्ट रेट 100 बीपीएम होनी चाहिए। अगर पल्स रेट इससे कम है शिशु को डॉक्टर की सलाह पर आर्टिफिशियली वेंटिलटर की जरूरत हो सकती है। आप बड़ी आसानी से शिशु के दिल की धड़कन की जांच कर सकते हैं।
विटामिंस की कमी चेक करें
आमतौर पर नवजात शिशु में विटामिन 'के' की कमी देखी जाती है। इसलिए विटामिन 'के' का 0.5 से 1.0 मि.ग्रा तक का इंजेक्शन जन्म के कुछ घंटों बाद दिया जाता है। इससे शिशु हेमरेज रोगों से बच सकता है यानी ब्लीडिंग से संबंधित बीमारियां जिनका खतरा शिशु को जन्म के बाद शुरुआती समय में रहता है। ये बीमारी 10,000 में से एक शिशु को प्रभावित करती है।
धैर्य रखें
नवजात शिशु बहुत संवेदनशील होते हैं इसलिए जन्म के बाद इनकी देखभाल के लिए बहुत धैर्य और ज्ञान की जरूरत होती है। बड़े प्यार और सौम्यता से नवजाज शिशु की देखभाल करें ताकि आगे चलकर वो स्वस्थ रहें।
माता-पिता की जिम्मेदारी
बच्चों की नींद कच्ची होती है और वो बार-बार नींद से उठकर रोने लगते हैं। ऐसा रात के समय ज्यादा होता है। ऐसे में माता-पिता दोनों को ही शिफ्ट में उठकर बच्चे को संभालना चाहिए। अगर मां दिन के समय बच्चे को संभालती है तो रात में ये जिम्मेदारी पिता को लेनी चाहिए।
गर्भ में होने का एहसास कराएं
शिशु को गोद में उठाकर उसे सीने से लगाकर सहलाएं। उसे ऐसा एहसास होना चाहिए कि वो अब भी आपके गर्भ में सुरक्षित है।
शिशु को नहलाना
आपको शिशु को आराम से और धीरे-धीरे नहलाना चाहिए। गर्भनाल के आसपास वाले हिस्से को साफ करें क्योंकि ये बहुत जल्दी सूख जाता है। इस अवस्था में आप स्पॉन्ज बाथ भी दे सकती हैं। शिशु को तौलिए पर लिटाकर मुलायम कपड़े से उसे साफ करें।