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प्रेग्नेंसी में बवासीर, जाने क्या है कारण और गर्भवती महिला को किन बातों का करना चाहिए परहेज
गर्भावस्था के दिनों में आमतौर पर महिलाओं को बवासीर की समस्या हो जाती है, क्योंकि गर्भ में शिशु के विकास के वजह से महिला का मासिक चक्र बाधित होता है। इस कारण से कब्ज की समस्या हो जाती है, जो बवासीर का कारण है। यह समस्या विशेषकर गर्भावस्था के 17वें-18वें सप्ताह में होती है।
शुरुआती दिनों में मल त्यागने में कठिनाई जरुर होती है। गुदा द्वार (anus) के आस-पास के एरिया में दर्द और खुजली होती है तथा मल त्यागते समय खून की बूंदें दिखाई दे सकती हैं। एनस के पास मस्से जैसे दानें बन जाते हैं। शुरुआत में कठोर सतह पर बैठने पड़ मलद्वार में चुभन महसूस होती है।
प्रेगनेंसी के दौरान पाइल्स होने की वजह
गर्भवती के शरीर में प्रवाहित हो रहे ब्लड की मात्रा बढ़ जाती है। और प्रोजेस्टेरोन हॉर्मोन का हाई लेवल ब्लड वेसल की वॉल को शिथिल बना देता है। इसलिए पाइल्स की प्रॉब्लम होती है। गर्भावस्था में पाइल्स की प्रॉब्लम होना बहुत ही आम है, फिर चाहे आपको गर्भवती होने से पहले इस समस्या का सामना करना पड़े या फिर गर्भवती होने पर पहली बार इसका सामना करना पड़ रहा हो। कई महिलाओं को डिलीवरी के बाद भी इस समस्या का सामना करना पड़ सकता है। प्रेगनेंसी में डॉक्टर आयरन का सेवन करने के लिए कहते हैं। कई बार आयरन की अधिकता के वजह से पाइल्स की प्रॉब्लम होती है। प्रेग्नेंसी के दौरान डाइजेशन की प्रॉब्लम होती है, जिसकी वजह से भी ये समस्या हो सकती है। शिशु के जन्म के बाद पाइल्स या तो अपने आप ठीक हो जाती है या सालभर तक यह थोड़ी-बहुत समस्या बनी रह सकती है। लेकिन कुछ
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लेबर के वक्त भी हो सकता है बवासीर
कई महिलाओं को बवासीर (hemorrhoids) की समस्या लेबर के वक्त हो सकती है क्योंकि उस दौरान महिलाओं को बच्चें को गर्भ से बाहर निकालने के लिए पूरा जोर लगाना पड़ता है। जिसकी वजह से एनस (गुदा) की नसों और आस-पास की जगहों पर सूजन आ जाती है। अगर आपको इस समय ऐसी कोई दिक्कत होती है तो इस बारे में डॉक्टर्स से जरुर बात करें।
पाइल्स के लक्षण
- मल के साथ खून का आना
- म्यूकस निकलना
- दर्द, सूजन व जलन होना
- बार-बार मल आने जैसा महसूस होना
- हिप्स के आस-पास खुजली होना
गर्भावस्था में पाइल्स से कैसे बचें
हालांकि, गर्भावस्था और शिशु के जन्म के बाद पाइल्स होना बहुत ही सामान्य सी बात है लेकिन इससे बचने का सबसे अच्छा उपाय है कब्ज से बचना। इसके लिए आपको कुछ बातों का ध्यान रखना जरुरी है।
- हाइड्रेड रहें, 8 से 10 गिलास पानी पीएं।
- कैफीन का सेवन ना करें ताकी डिहाइड्रेशन न हो।
- फाइबर से भरपूर डाइट लें।
- पर्याप्त मात्रा में फल और सब्जियां खाएं।
- लिक्विड डायट लें।
- रेगुलर एक्सरसाइज करने की कोशिश करें।
- जब भी प्रेशर बने तुरंत वॉशरूम जाएं, ज्यादा देर तक रोक कर न रखें।
- मल त्यागते है जबरन जोर न लगाएं।
- अगर इन उपायों को आजमाने के बाद भी आपको कब्ज रहती है, तो आप अपनी डॉक्टर से laxative के लिए बात करें ये भी एक सुरक्षित उपाय है।
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ज्यादा आराम भी न करें
पेट में बच्चे की स्थिति अगर सही हो, तो कब्ज की समस्या महिलाओं को नहीं होती है। इसलिए आवश्यक है कि गर्भवती महिला स्थिर स्थिति में न रहे। वह ज्यादा देर तक खड़ी, बैठी या लेटी न रहे। थोड़ा टहलना, चलना-फिरना और लेटना आरामदायक होता है।