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गर्भावस्था के दौरान बवासीर को रोकने के तरीके
बवासीर में एनस के आसपास स्थित रक्त वहिकाओं में सूजन आ जाती है यानि शरीर के जिस हिस्से से मल बाहर आता है उस स्थान पर सूजन आ जाना बवासीर कहलाता है, इसे पाइल्स के नाम से भी जाना जाता है।
गर्भावस्था के दिनों में महिलाओं में बवासीर की समस्या आम बात हो जाती है क्योंकि इन दिनों में बेबी के पेट में आ जाने से महिला के शरीर का चक्र गड़बड़ हो जाता है और उसे कब्ज आदि की समस्या हो जाती है जिसके चलते बवासीर की समस्या जन्म ले लेती है। क्या प्रेग्नेंसी के 8 वें महीने में संभोग करना उचित है?
शरीर में भ्रूण के बढ़े होने पर भी लोअर यूट्रस पर दबाव पड़ता है जिसके चलते भी बवासीर की समस्या हो जाती है। गर्भावस्था के दिनों में बवासीर को रोकने के निम्मलिखित तरीके हैं :
पर्याप्त मात्रा में पानी और लिक्विड लेना :
गर्भावस्था के दिनों में कम से कम 10 ग्लास पानी नियमित स्प से पीना चाहिये ताकि बॉडी में डिहाईड्रेशन की समस्या न हो और फ्रेशनेस रहे। शरीर में पर्याप्त मात्रा में पानी होने से मेटाबोल्जिम संतुलित रहता है।
फाइबर का सेवन :
गर्भावस्था के दिनों में पाचन क्रिया को दुरूस्त रखकर बवासीर की समस्या से दूर रहा जा सकता है, इसके लिए आवश्यक है कि फाइबर वाले भोजन का सेवन किया जाएं।
गर्भावस्था योगा या स्ट्रेचिंग :
गर्भावस्था के दिनों में योगा और स्ट्रेचिंग करने से भी बवासीर की समस्या में आराम मिलता है। सांस सम्बंधी योगा और व्यायाम करने से भी राहत मिलती है। इन सभी योगा और व्यायाम को ट्रेनर की देखरेख में करना चाहिये, अन्यथा समस्या भी खड़ी हो सकती है।
स्टेटिक न रहना :
पेट में बच्चे की स्थिति अगर सही रहती है तो कब्ज आदि की समस्या भी नहीं होती है। इसके लिए आवश्यक है कि गर्भवती महिला स्थिर स्थिति में न रहें। वह ज्यादा देर तक खड़ी, बैठी या लेटी न रहें। थोड़ा टहलना, चलना-फिरना और लेटना आरामदायक होता है।
डॉक्टरी मदद :
गर्भावस्था के दिनों में पाइल्स की समस्या होने पर डॉक्टरी सलाह अवश्य लेनी चाहिये ताकि ब्लीडिंग आदि की समस्या न हो सकें। अगर डॉक्टर किसी मेडीसीन सजेस्ट करते है तो उसे भी खाएं। इससे आराम मिलेगा।